रामधारीसिंह दिनकर जीवन एवं साहित्यिक परिचय
इस पोस्ट में यूपी बोर्ड हिंदी साहित्यिक /सामान्य हिंदी 12 हेतु पाठ रामधारीसिंह दिनकर जीवन एवं साहित्यिक परिचय || Ramdhari singh Dinkar Biography Sahityik parichay का हल दिया जा रहा है, बोर्ड परीक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
In this post, UP Board Hindi Literary & General Hindi lesson for class 12 रामधारीसिंह दिनकर जीवन एवं साहित्यिक परिचय || Ramdhari singh Dinkar Biography Sahityik parichay is being solved, which has been prepared keeping in mind the point of view of the board examination.
Subject / विषय | General & Sahityik Hindi / सामान्य & साहित्यिक हिंदी |
Class / कक्षा | 12th |
Chapter( Lesson) / पाठ | Chpter -9 |
Topic / टॉपिक | Ramdhari Singh Dinkar ka jivan parichay || रामधारीसिंह दिनकर जीवन एवं साहित्यिक परिचय |
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जीवन – परिचय
राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह ‘ दिनकर ‘ का जन्म सन् 1908 ई. में बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया घाट नामक ग्राम में हुआ था , इनके पिता का नाम रविसिंह एवं माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी था । इन्होंने मोकामा घाट से मैट्रिक तथा पटना विश्वविद्यालय से बी . ए . ( ऑनर्स ) किया ।
बाल्यावस्था में ही इनकी काव्य प्रतिभा का परिचय हो गया था , इन्होंने मिडिल कक्षा में पढ़ते हुए ‘ वीरबाला ‘ नामक काव्य की रचना कर ली थी । मैट्रिक में पढ़ते समय इनका ‘ प्राणभंग ‘ नामक काव्य प्रकाशित हो गया था । बी.ए. ( ऑनर्स ) करने के पश्चात् दिनकर जी मोकामा घाट हाईस्कूल में एक वर्ष तक प्राचार्य रहे ।
कुछ समय पश्चात् मुजफ्फरपुर कॉलेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए । सन् 1952 में इन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया , जहाँ ये सन् 1962 तक रहे । सन् 1963 में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए ।
दिनकर जी ने भारत सरकार की हिन्दी – समिति के सलाहकार और आकाशवाणी के निदेशक के रूप में भी कार्य किया , इन्हें सन् 1959 में ‘ पद्मविभूषण ‘ पुरस्कार की उपाधि से अलंकृत किया गया । दिनकर जी ‘ साहित्य अकादमी पुरस्कार ‘ और ‘ ज्ञानपीठ पुरस्कार ‘ से भी सम्मानित किए गए । यह महान् साहित्यकार सन् 1974 में इस संसार को सूना कर गया ।
कृतियाँ / रचनाएँ
दिनकर जी की प्रसिद्ध कृतियाँ निम्नलिखित हैं-
निबन्ध संग्रह –
- मिट्टी की ओर ,
- अर्द्धनारीश्वर ,
- रेती के फूल ,
- उजली आग ।
संस्कृति ग्रन्थ –
- संस्कृति के चार अध्याय ,
- भारतीय संस्कृति की एकता ।
- आलोचना ग्रन्थ –
- शुद्ध कविता की खोज ।
काव्य ग्रन्थ –
- रेणुका
- हुँकार ,
- सामधेनी ,
- रूपवन्ती ,
- कुरुक्षेत्र ,
- रश्मिरथी ,
- उर्वशी ,
- परशुराम की प्रतीक्षा ।
मुख्य रचनाओं की ट्रिक
रश्मि. उर्वशी ने किया परशुराम. का वेट |
बापू के संग रेणुका शंख. बजाया लेट|
कुरु. साम. में रस. भरा हुंकारों का वेट|
भाषा- शैली –
दिनकर जी की भाषा में तत्सम शब्दों की बहुलता होती है , फिर भी सुबोधता और स्पष्टता सर्वत्र विद्यमान रहती है । भाषा में उर्दू , फारसी और अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग मिलता है ।
इन्होंने अपने निबन्धों में विवेचनात्मक, समीक्षात्मक और भावात्मक शैली का प्रयोग किया है ।
इन्होंने अपने काव्य में देश के प्रति असीम राष्ट्रीय भावना का परिचय दिया है ।
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