छायावाद युग
समयावधि- 1919 से 1938 ई . तक
- “छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह है” डॉ. नगेन्द्र ने कहा|
- लिखित रूप में छायावाद शब्द के प्रथम प्रयोक्ता मुकुटधर पांडेय थे , इन्होंने ‘ हिंदी में छायावाद ‘ लेख में सर्वप्रथम इसका प्रयोग किया ।
- छायावादी युग के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
DOWNLOAD
PDF CLICK HERE
जयशंकर प्रसाद ( 1889-1936 )
- छायावादी रचनाएं –
- झरना ( 1918 ) ,
- आंसू ( 1925 ) ,
- लहर ( 1933 ) ,
- कामायनी ( 1935 )
- अन्य रचनाएं :
DOWNLOAD
उर्वशी, वनमिलन, प्रेम राज्य, अयोध्या का उद्धार, शोकोच्छवास, वभ्रुवाहन , कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय , महाराणा का महत्व ,
चित्राधार (ब्रज भाषा में रचित कविताएं )
- जयशंकर प्रसाद कृत ‘ कामायनी ‘ महाकाव्य का संक्षिप्त विवरण-
- अंगीरस – शांत ( निर्वेद ) रस है
- दर्शन – शैवदर्शन के अन्तर्गत आने वाले प्रत्यभिज्ञान दर्शन की मान्यताओं के अनुरूप समरसतावाद एवं आनंदवाद की स्थापना की है ।
- कामायनी का उद्देश्य – आनंदवाद की स्थापना है ।
- मुख्य छंद – ताटंक छंद है ।
- कामायनी के सर्ग- प्रसाद की अंतिम कृति ‘ कामायनी ‘ है , जिसमें 15 सर्ग है ।
- 1 . चिन्ता , आशा , 3. श्रद्धा , 4. काम , 5. वासना , 6. लज्जा , 7 . कर्म , 8. ईर्ष्या , 9. इडा , 10. स्वप्न , 11. संघर्ष , 12 . निर्वेद , 13. दर्शन , 14. रहस्य , 15.आनन्द
- कामायनी में प्रतीक — मनु- मन , श्रद्धा- हृदय, इड़ा – बुद्धि , कुमार- मानव ,
- आचार्य शांतिप्रिय द्विवेदी ने ‘ कामायनी ‘ को छायावाद का उपनिषद कहा है
- गजानन माधव मुक्तिबोध ‘ ने कामायनी को फैंटेसी माना है ।
- नंद दुलारे वाजपेयी ने ‘ कामायनी ‘ को नये युग का प्रतिनिधि काव्य माना है ।
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला ‘ ( 1897-1962 )
- निराला जी का दार्शनिक आधार ‘ अद्वैतवाद ‘ है ।
- इन्होंने ‘ मतवाला ‘ और ‘ समन्वय ‘ नामक पत्रों का सम्पादन भी किया है ।
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘ का ‘ निराला ‘ उपनाम , ‘ मतवाला ‘ के तुक पर रखा गया था ।
- निराला को ‘ महाप्राण ‘ कवि भी कहा जाता है ।
छायावादी रचनाएं :
- अनामिका ( 1923 ) ,
- परिमल ( 1930 ) ,
- गीतिका ( 1936 ) ,
- तुलसीदास ( 1938 )
अन्य रचनाएं — कुकुरमुत्ता , अणिमा , बेला , नए पत्ते , अर्चना , आराधना , गीत गुंज , सांध्यकाकली
प्रमुख कविताएँ –
- सरोजस्मृति ( 1935 ) ,
- राम की शक्ति पूजा ( 1936 ) ,
सांध्यसुंदरी , अपरा , पंचवटी प्रसंग , भिक्षुक , बादलराग , स्नेह निर्झर बह गया है , महाराज शिवाजी के पत्र , वर दे वीणा वादिनी वर दे ‘ , महँगू महँगा रहा , गर्म पकौड़ी , रानी और कानी , मास्को डायलाग्स , आदि ।
सुमित्रानंदन पंत ( 1900-1977 )
छायावादी रचनाएं :
- उच्छवास ( 1920 ) ,
- ग्रन्थि ( 1920 ) ,
- वीणा ( 1927 ) ,
- पल्लव ( 1928 ) ,
- गुंजन ( 1932 )
प्रगतिवादी रचनाएं : –
- युगान्त ( 1936 )
- युगवाणी ( 1939 )
- ग्राम्या ( 1940 )
अन्तश्चेतनावादी रचनाएं :
- स्वर्ण किरण ( 1947 ) ,
- स्वर्ण धूलि ( 1947 ) ,
- वाणी
- युग पथ
नवमानवतावादी रचनाएं :
- उत्तरा ( 1949 ) ,
- कला और बूढ़ा चांद ( 1959 ) ,
- अतिमा ( 1955 ) ,
- लोकायतन ( 1964 , महाकाव्य ) ,
- चिदम्बरा
काव्य नाटक : 1. रजत शिखर , 2. शिल्पी , 3. सौवर्ण , 4. अतिमा , 5. मधुवन , 6. युग पुरुष , 7. छाया , 8. मानसी , 9. ज्योत्स्ना
प्रमुख कविताएँ : नौका विहार , परिवर्तन , मौन निमंत्रण , बापू , बापू के प्रति , ताज , प्रथम रश्मि , आदि ।
महादेवी वर्मा ( 1907-1988 )
- नीहार ( 1930 ) ,
- रश्मि ( 1932 ) ,
- नीरजा ( 1935 ) ,
- सांध्यगीत ( 1936 ) ,
- यामा ( 1940 ) ,
- दीपशिखा ( 1942 ) ,
- सप्तपर्णा ( 1960 )
प्रमुख कविताएँ :
जाग बेसुध जाग , जाग तुझको दूर जाना , पंथ होने दो अपरचित , हे धरा के अमर सुत ! तुझको अशेष प्रणाम !
छायावाद के कवि चतुष्टय
- जयशंकर प्रसाद ,
- सुमित्रानंदन पंत ,
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘
- महादेवी वर्मा
छायावाद के वृहत्त्रयी
- जयशंकर प्रसाद ,
- सुमित्रानंदन पंत ,
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘
छायावाद की लघुत्रयी
- महादेवी वर्मा ,
- रामकुमार वर्मा
- भगवती चरण वर्मा
छायावाद के ब्रह्मा , विष्णु , महेश
- ब्रह्मा -जयशंकर प्रसाद
- विष्णु – सुमित्रानंदन पंत
- महेश- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ निराला ‘