समय कहानी का सारांश & चरित्र चित्रण – Class 11 कथा भारती

समय कहानी का सारांश & चरित्र चित्रण – Class 11 कथा भारती

समय कहानी का सारांश & चरित्र चित्रण – Class 11 कथा भारती –gyansindhuclasses: UpBoard Class 11 Hindi Sahityik Katha Bharti Question Answer. कक्षा 11 कथा भारती के अंतर्गत यशपाल द्वारा रचित कहानी समय के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में दिए जा रहे हैं|

Board | बोर्डUP Board (UPMSP)
Class | कक्षा11th (XI)
Subject  | विषयSahityik Hindi || साहित्यिक हिंदी कक्षा ११वी
Topic | शीर्षककथा भारती – समय (यशपाल) कहानी के प्रश्न उत्त्तर  Question Answwer of Story- Samay Writtenn By -Yashpal  
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समय कहानी का सारांश

प्रसिद्ध कहानीकार यशपाल की ‘ समय ‘ कहानी बड़ी रोचक है । एक अधिकारी को रिटायर होने से डेढ़ – दो वर्ष पहले से ही चिन्ता होने लगी कि उसका समय कैसे कटेगा ? जब वे नौकरी करते थे तब अवकाश के दिन कितने अच्छे लगते थे गिन गिन कर अवकाश के दिनों की प्रतीक्षा करते थे । लेकिन पूर्ण अवकाश होने पर व्यक्ति निरुत्साहित क्यों हो जाता है ? उसको इसे तो अपने श्रम का अर्जित फल मानकर , उससे पूरा लाभ उठाना चाहिए और सन्तोष करना चाहिए । आराम और अपनी इच्छा से श्रम करने में तो कोई बाधा नहीं डालेगा । अध्ययन का मन चाहा अवसर होगा और पर आदेश पालन से मुक्ति मिलेगी । इससे बड़ा सन्तोष दूसरा क्या चाहिए ?

सर्विस के समय गर्मियों में महीने दो महीने हिल स्टेशनों पर रह लेने का पापा को बहुत शौक था । मितव्ययिता के कारण रिटायर होने पर उन्होंने पहाड़ जाना छोड़ दिया है । रिटायर होने पर उन्होंने लखनऊ आवास बनाया तथा सन्ध्या के समय टहलने जाने का नियम भी पहले टहलने या शॉपिंग के लिए वे स्वयं व पत्नी को लेकर जाते थे , बच्चों को साथ नहीं ले जाते थे । बच्चों को मम्मी – पापा के साथ बाजार जाने की उत्सुकता रहती थी । जब कभी बच्चों को बाजार साथ ले जाते तो बच्चे जो भी चीज माँगते , वह खरीद देते ।

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बाजार में पापा बच्चों को डराते – धमकाते नहीं थे । मम्मी पापा जब बाजार जाने को तैयार होते तो बच्चों को नौकर के साथ इधर – उधर टहला देते थे । वे अपने साथ बच्चों को बाजार में ले जाकर स्वयं को बुजुर्ग सिद्ध करना नहीं चाहते थे ।

समय बीतने पर पापा के स्वभाव और व्यवहार में कुछ परिवर्तन और आया । पहले उन्हें अपनी पोशाक चुस्त – दुरुस्त रखने और व्यक्तिगत उपयोग में बढ़िया चीजों का शौक था । अब पापा अपने शौक और रुचियों को बच्चों द्वारा पूरा होते देखकर सन्तोष पाते हैं ; मानो उन्होंने अपने व्यक्तित्व का न्यास बच्चों में कर लिया है ।

धीरे – धीरे समय के गुजरने के साथ – साथ पापा के स्वभाव में पर्याप्त परिवर्तन हो या । पत्नी अस्वस्थ एवं वृद्ध होने के कारण टहलने में असमर्थ हो गयी ।

आप पढ़ रहे हैं – यशपाल रचित- समय कहानी का सारांश

इसलिए नापा हजरतगंज बाजार टहलने जाने के लिए बच्चों को साथ ले जाने लगे । कभी” मण्टू को , कभी पुष्पा को और कभी किसी एक बच्चे को साथ ले जाते । हजरतगंज टहलने के बाद पापा स्वयं ही प्रस्ताव कर देते – कहो , क्या पसन्द है ? कॉफी या आइसक्रीम । , बच्चों को साथ ले जाने के दो ही प्रयोजन होते थे । एक तो बूढ़ों या बुजुर्गों की अपेक्षा नवयुवकों का साथ और दूसरे बुढ़ापे के कारण , कमजोर नजर का प्रभाव । अकेले चलने में वे ठोकर खा जाते हैं और प्रकाश की चकाचौंध से परेशानी का भी अनुभव करते हैं । इसलिए जब वे सन्ध्या समय बाहर जाते , तो किसी – न – किसी को साथ ले जाते थे ।

पापा की बाहर जाने की तैयारी अनेक घोषणाओं और पुरस्कारों के साथ होती , जिससे सब जान जाएँ कि वे बाहर जा रहे हैं और कोई उनके साथ हो ले ।

एक बार उन्होंने हमेशा की तरह आवाज लगायी , पुष्पा दीदी आवाज सुनकर मण्टू से साथ जाने को कहती हैं । लेकिन मण्टू ने उत्तर दिया कि मुझे बुड्ढों के साथ जाने में बोरियत होती है । पापा ने इस बात को सुन लिया और चिन्ता में डूब गये । मुझे भी बचपन की स्मृति आ गयी । सोचने लगा समय के साथ सब बदल जाते हैं । पापा ने नाँ से अपनी छड़ी माँगी और टहलने चल दिये । सम्भवतः उन्होंने भी स्वीकार कर लिया कि समय के साथ सब बदल जाता है !

समय कहानी – पापा का चरित्र चित्रण

परिचय –

‘ समय ‘ कहानी का प्रमुख पात्र एक अवकाश प्राप्त अधिकारी है । कहानी में इन्हें ‘ पापा ‘ की संज्ञा दी गयी है । इनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं 1. सम्भावित भविष्य के प्रति चिन्तित – ‘ पापा ‘ अपनी नौकरी से अवकाश प्राप्त करने के पूर्व से ही चिन्तित थे कि अवकाश का बोझ कैसे सँभलेगा और जीवन का अधिकांश समय कैसे व्यतीत होगा ?

  1. व्यवस्थित दिनचर्या व्यक्ति – ‘ पापा ‘ व्यवस्थित दिनचर्या वाले व्यक्ति हैं । अवकाश प्राप्त होने पर उन्हें कार्यालयीय भार से मुक्ति मिल जाएगी । अत : उस समय का सदुपयोग करने के लिए उन्होंने पहले से ही योजना बना ली थी कि वे अपने शासन कार्य के अनुभव पर एक पुस्तक लिखेंगे । अब वे इस पर अध्ययन करते हैं और नोट्स भी बनाते हैं । शाम को वे विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी भी करते हैं |
  2. शौकीन मिजाज — -पापा बहुत ही शौकीन मिजाज के व्यक्ति थे । उनकी पोशाक हमेशा चुस्त – दुरुस्त रहती थी । अपने उपयोग में आने वाली अच्छी और स्तरीय वस्तुओं का उन्हें शौक था । नौकरी के दौरान वे खर्चीले स्वभाव के थे । गर्मियों के दिनों में पर्वतीय स्थानों पर घूमने व रहने का उन्हें बड़ा शौक था । घर में हमेशा दो – तीन नौकर रहा करते थे ।
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  1. जीवन से सन्तुष्ट – पापा अपनी नौकरी के समय में अपने जीवन से सन्तुष्ट थे और अब अवकाश के समय सन्तुष्ट हैं । अपने जिन शौक और रुचियों से उन्हें अब सन्तुष्टि नहीं होती , उन शौक और रुचियों को अपने बच्चों द्वारा पूरा होते देखकर वे सन्तुष्ट हो जाते हैं
  2. 5. युवा दिखने की चाहत – पापा को शुरू से ही युवा दीखने की चाहत थी । इसीलिए मम्मी के साथ घूमने जाते समय वे बच्चों को अपने साथ नहीं ले जाते थे ; क्योंकि इससे उन्हें अपने बुजुर्ग होने का अनुभव होता था ।
  3. समय के साथ परिवर्तित — अवकाश प्राप्त होने के बाद पापा मितव्ययी हो गये । दूसरे वे बच्चों को भी अपने साथ ले चलना चाहते हैं क्योंकि बच्चे भी अब कद में उनसे ऊँचे , जवान , स्वस्थ और सुडौल हो गये हैं । इससे उन्हें अब गर्व का अनुभव होता है ।

 निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि एक पढ़े-लिखे, सभ्य |

सुशिक्षित युवक और कालान्तर में परिवर्तित प्रौढ़ व्यक्ति के चरित्र में जो गुण होने चाहिए|

 कहानी में इनका चरित्र चित्रण अत्यधिक गरिमापूर्ण और स्वाभाविक ढंग से ऐसे ही किया है|

जैसे वे स्वयं अपने पिता का चरित्र चित्रित कर रहे हों ।

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