Bhagavat sharan upadhyay jeevan parichay -भगवत शरण उपाध्याय जीवन परिचय कृतियाँ – gyansindhuclasses.com
भगवतशरण उपाध्याय जीवन परिचय एवं कृतिया
यूपी बोर्ड -2022- हिंदी कक्षा -10
जीवन – परिचय-
डॉ . भगवतशरण उपाध्याय का जन्म सन् 1910 ई. में बलिया जिले के उजियारपुर गाँव में था । प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् उपाध्याय जी काशी आए और यहीं से प्राचीन इतिहास में एम.ए. किया । वे संस्कृत साहित्य और पुरातत्त्व के परम ज्ञाता थे । हिन्दी साहित्य की उन्नति में इनका विशेष योगदान था.
उपाध्याय जी ने पुरातत्त्व एवं प्राचीन भाषाओं के साथ – साथ आधुनिक यूरोपीय भाषाओं का भी अध्ययन किया ।
इन्होंने क्रमशः ‘ पुरातत्त्व विभाग ‘ , ‘ प्रयाग संग्रहालय ‘ , ‘ लखनऊ संग्रहालय ‘ के अध्यक्ष पद पर , ‘ बिड़ला महाविद्यालय में प्राध्यापक पद पर तथा विक्रम महाविद्यालय में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष पद पर कार्य किया और यहीं से अवकाश ग्रहण किया ।
उपाध्याय जी ने अनेक बार यूरोप , अमेरिका , चीन आदि देशों का भ्रमण किया तथा वहाँ पर भारतीय संस्कृति और साहित्य पर महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिए । अगस्त , 1982 में इनका देहावसान हो गया ।
रचनाएँ / कृतियाँ –
इन्होंने विभिन्न विषयों पर सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की । इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं –
आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- विश्व साहित्य की रूपरेखा ,
- साहित्य और कला ,
- इतिहास के पन्नों पर ,
- विश्व को एशिया की देन ,
- मन्दिर और भवन आदि ।
यात्रा साहित्य –
- कलक़त्ता से पीकिंग ।
अन्य ग्रन्थ
- ठूठा आम ,
- सागर की लहरों पर ,
- कुछ फीचर कुछ एकांकी ,
- इतिहास साक्षी है ,
- इण्डिया इन कालिदास आदि ।
भाषा – शैली –
डॉ . उपाध्याय ने शुद्ध परिष्कृत और परिमार्जित भाषा का प्रयोग किया है । भाषा में प्रवाह , बोधगम्यता ,सजीवता है ।
उपाध्याय जी की शैली कल्पनामयी और सजीव है । इसके अतिरिक्त विवेचनात्मक , वर्णनात्मक और भावात्मक शैलियों का इन्होंने प्रयोग किया है ।