Bhasha evam lipi- भाषा एवं लिपि क्या है
हिंदी भाषा का संक्षिप्त इतिहास
Bhasha evam lipi- भाषा एवं लिपि क्या है -Gyansindhuclasses: यहाँ पर भाषा की परिभाषा एवं भाषा क्या है तथा लिपि की परिभाषा एवं लिपि क्या है और भाषा एवं लिपि में क्या अंतर है इस टोपिक पर चर्चा की गयी है|
भाषा
भाषा की परिभाषा :– उच्चारण अवयवों से उच्चरित ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा किसी भाषा समाज के लोग आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
बोली – भाषा का प्रयोग एक विस्तृत क्षेत्र में जबकि बोली का प्रयोग एक सीमित क्षेत्र में होता है।
हिंदी की पाँच उप-भाषाएं एवं अट्ठारह बोलियां हैं।
पश्चिमी हिंदी
इसकी पांच बोलिया हैं-
१. ब्रजभाषा :- शौरसेनी अपभ्रंश के मध्य रूप से इसका विकास हुआ ।
२. खड़ी बोली या कौरवी:- इसका उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ।
३. बुंदेली :- इसका उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ।
४. हरियाणवी या बांगरू:- उत्तरी शौरसेनी अपभ्रंश के पश्चिमी रूप से उत्पत्ति हुई।
५. कन्नौजी:- शौरसेनी अपभ्रंश से उत्पत्ति हुई।
पूर्वी हिंदी
इसकी तीन बोलियां हैं-
१. अवधी:- अवधी का उद्भव अर्ध्दमागधी अपभ्रंश से हुआ।
२. बघेली :- इसका भी उद्भव अर्ध्दमागधी अपभ्रंश से ही हुआ है।
३. छत्तीसगढ़ी :- इसका भी अर्धमगधी अब भ्रंश के दक्षिणी रूप से हुआ
राजस्थानी हिंदी
इसकी चार बोलियां हैं-
१. उत्तरी राजस्थानी:- इसे मेवाती भी कहा जाता है। इसकी एक मिश्रित बोली अहीरवाटी भी है।
२. दक्षिणी राजस्थानी:- मालवी मारवाड़ी इस का उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ यह पश्चिमी राजस्थानी कहलाती है
३. पूर्वी राजस्थानी जयपुरी या ढूंढा री पूर्वी राजस्थानी भी कही जाती है ढूंढा री भी कही जाती है
बिहारी हिंदी
१. भोजपुरी मालवीय भ्रंश के पश्चिमी रूप से विकसित अंतर्राष्ट्रीय से विकसित अंतर्राष्ट्रीय महत्व की बोली मैथिली मां गधी अपभ्रंश के मध्य रूप से विकसित है मगहिया माधवी माधवी माधवी अपभ्रंश से विकसित है पांच
पहाड़ी हिंदी
१. नेपाली
२. कुमाऊनी एवं
३. गढ़वाली गढ़वाली मध्यवर्ती
के अंतर्गत आती
भाषा एवं लिपि
भाषा:- भाषा वह साधन है,जिसके माध्यम से किसी समाज के लोग अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
लिपि:- लिपि वह व्यवस्था है जिसके माध्यम से हम अपने विचारो को लिख कर व्यक्त करते हैं।