Ham aur Hamara Adarsh Gadyansh Par Adharit Prashnottar

हम और हमारा आदर्श ( तेजस्वी मन के सम्पादित अंश )

डॉ ० ए ० पी ० जे ० अब्दुल कलाम ( गद्यांश पर आधारित प्रश्नोत्तर)

Ham aur Hamara Adarsh Gadyansh Par Adharit Prashnottar – Here we will briefly discuss the Q&A based on the passage of Chapter Hum Aur Hamara Adarsh ( Tejashwi Mann ke Sampadit Ansh) for class 12th Based On UPMSP Syllabus. Visit my website www.gyansindhuclasses.com for full Syllabus of General Hindi Syllabus.

Passage-1

Ham aur Hamara Adarsh Gadyansh Par Adharit Prashnottar

( 1 ) जो कुछ भी हम संसार में देखते हैं वह ऊर्जा का ही स्वरूप है । जैसा कि महर्षि अरविन्द ने कहा है कि हम भी ऊर्जा के ही अंश हैं । इसलिए जब हमने यह जान लिया है कि आत्मा और पदार्थ दोनों ही अस्तित्व का हिस्सा हैं , वे एक – दूसरे से पूरा तादात्म्य रखे हुए हैं तो हमें यह एहसास भी होगा कि भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी दृष्टिकोण से शर्मनाक या गैर – आध्यात्मिक बात नहीं है ।

प्रश्न- ( i ) महर्षि अरविन्द ने क्या कहा है ?

उत्तर – महर्षि अरविन्द ने कहा है कि हम भी ऊर्जा के अंश है ।

( iii ) हम इस संसार में जो कुछ देखते हैं वह क्या है ?

उत्तर – हम इस संसार में जो कुछ देखते हैं , वह ऊर्जा का ही ‘ स्वरूप है ।

( iii ) ‘ अस्तित्व ‘ और ‘ तादात्म्य ‘ शब्दों का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – अस्तित्व – होना , मौजूदगी । तादात्मय – पहचानना , समझकर कहना ।

( iv ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर –  कलाम जी  भौतिकता और अध्यात्मिकता को न तो एक दूसरे का विरोधी मानते हैं न ही भौतिक मानसिकता को गलत । आत्मा व पदार्थ सभी का अस्तित्व है , दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं अतः भौतिकता कोई बुरी चीज नहीं है ।

( v ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का शीर्षक और लेखक का नाम लिखिए ।

उत्तर –  शीर्षक— हम और हमारा आदर्श | लेखक – डॉ ० ए ० पी ० जे ० अब्दुल कलाम ।

Passage-1

( 2 ) मैं यह नहीं मानता कि समृद्धि और अध्यात्म एक – दूसरे के विरोधी हैं या भौतिक वस्तुओं की इच्छा रखना कोई गलत सोच है । उदाहरण के तौर पर , मैं खुद न्यूनतम वस्तुओं का भोग करते हुए जीवन बिता रहा हूँ , लेकिन मैं – सर्वत्र समृद्धि की कद्र करता हूँ , क्योंकि समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है , जो अन्ततः हमारी आजादी को बनाए रखने में सहायक हैं । आप अपने आस – पास देखेंगे तो पाएँगे कि खुद प्रकृति भी कोई काम आधे – अधूरे मन से नहीं करती । किसी बगीचे में जाइए । मौसम में आपको फूलों की बहार देखने को मिलेगी । अथवा ऊपर की तरफ ही देखें , यह ब्रह्माण्ड आपको अनंत तक फैला दिखाई देगा , आपके यकीन से भी परे ।

 प्रश्न- ( i ) समृद्धि और अध्यात्म के सम्बन्ध में लेखक क्या नहीं मानता ?लेखक यह नहीं मानता कि समृद्धि और अध्यात्म एक दूसरे के विरोधी हैं या भौतिक वस्तुओं की इच्छा रखना कोई गलत सोच है । 

( ii ) समृद्धि अपने साथ क्या लाती है ?

उत्तर – समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है ।

( iii ) ‘ न्यूनतम ‘ और ‘ अनन्त ‘ का क्या अर्थ है ?

उत्तर – न्यूनतम का अर्थ कम से कम तथा अनन्त का अर्थ जिसकी कोई गिनती न हो ।

( iv ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर – प्रकृति समस्त कार्य समयानुसार करती है , मौसम में आपको फूलों की बहार देखने को मिलेगी

( v ) गद्यांश से सम्बन्धित पाठ का शीर्षक और उसके लेखक का नाम लिखिए ।

उत्तर – शीर्षक – हम और हमारा आदर्श लेखक- डॉ ० ए ० पी ० जे ० अब्दुल कलाम

Passage-3

( 3 ) मैं खासतौर से युवा छात्रों से ही क्यों मिलता हूँ ? इस सवाल का जवाब तलाशते हुए मैं अपने छात्र – जीवन के दिनों के बारे में सोचने लगा । रामेश्वरम् के द्वीप से बाहर निकल कर ‘ यह कितनी लम्बी यात्रा रही । पीछे मुड़कर देखता हूँ तो विश्वास नहीं होता । आखिर वह क्या था जिसके कारण यह संभव हो सका ? महत्वाकांक्षा ?

कई बातें मेरे दिमाग में आती हैं । मेरा ख्याल है कि सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि मैंने अपने योगदान के मुताबिक ही अपना मूल्य आँका । बुनियादी बात जो आपको समझनी चाहिए वह यह है कि आप जीवन की अच्छी चीजों को पाने का हक रखते हैं , उनका जो ईश्वर की दी हुई है । जब तक शिल्पियों से सँवारे जाने पर अत्यन्त सौंदर्य के प्रतीक बन जाते हैं ।

नाना भाँति के अनगढ़ नग विन्ध्य की नदियों के प्रवाह में सूर्य की धूप से चिलकते रहते हैं , उनको जब चतुर कारीगर पहलदार कटाव पर लाते हैं तब उनके प्रत्येक घाट से नयी शोभा और सुन्दरता फूट पड़ती है , वे अनमोल हो जाते हैं ।

प्रश्न – ( i ) पृथ्वी को वसुंधरा क्यों कहते हैं ?

उत्तर – पृथ्वी के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है । पृथ्वी पर ही अनेक प्रकार के रत्न उत्पन्न होने के कारण पृथ्वी को वसुन्धरा कहते हैं ।

( iii ) अमूल्य निधियाँ कहाँ भरी हैं ?

उत्तर – कलाम जी के अनुसार मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा बनने का मूल कारण उसकी महत्वाकांक्षा है । अमूल्य निधियों में महत्वाकांक्षा का विशेष योगदान है ।

( iii ) पाठ का शीर्षक और लेखक का नाम लिखिए ।

उत्तर –  शीर्षक- हम और हमारा आदर्श । लेखक – डॉ ० ए ० पी ० जे ० अब्दुल कलाम ।

( iv ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर – जब चतुर कारीगर पहलदार कटाव पर लाते हैं , तब उनके प्रत्येक घाट से नयी शोभा और सुन्दरता फूट पड़ती है , वे अनमोल हो जाते हैं ।

( v ) पृथ्वी की देह को किसने सजाया है ?

उत्तर – पृथ्वी की देह को मनुष्यों ने सजाया है ।

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