डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जीवन परिचय
Dr. Rajendra prasad Jeevan Parichay
Dr. Rajendra Prasad Ka Jeevan Parichay- डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जीवन परिचय- Dr Rajendra Prasad Biography In Hindi? डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन UP Board class 10th chapter 4th Class 10 Hindi Chapter 4 Dr Rajendra Prasad jivan parichay . Bhartiya Sanskriti (भारतीय संस्कृति) is wretten by Dr. Rajendra Prasad.
(जीवन परिचय एवं कृतियाँ)
जीवन-परिचय :-
कुशल राजनीतिज्ञ और प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार डॉ . राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 1884 ई . में बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक स्थान पर हुआ था । इनके पिता का नाम महादेव सहाय था । इनका परिवार गाँव के सम्पन्न और प्रतिष्ठित कृषक परिवारों में से था । ये अत्यन्त मेधावी छात्र थे । इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम०ए० और एल० एल० बी० की परीक्षा उत्तीर्ण की । तत्पश्चात मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य करने लगे ।
प्रसाद जी ने सन् 1911- 1920 ई० तक कोलकाता और पटना में वकालत का कार्य किया । फिर वकालत छोड़कर देश सेवा में लग गए । सन् 1917 में गाँधी जी के आदर्शों और सिद्धान्तों से प्रभावित होकर इन्होंने चम्पारण के आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और वकालत छोड़कर राष्ट्रीय स्वतन्त्रता – संग्राम में कूद पड़े ।कई बार जेल यात्राएं भी की|
डॉ . राजेन्द्र प्रसाद तीन बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभापति और सन् 1962 तक भारत के राष्ट्रपति रहे । सन् 1962 में इन्हें ‘ भारत रत्न ‘ से अलंकृत किया गया । जीवनपर्यन्त हिन्दी और हिन्दुस्तान की सेवा करने वाले डॉ० प्रसाद जी 28 फरवरी , 1963 में पंचतत्व में लीन हो गए।
कृतियाँ :-
डॉ . राजेन्द्र प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
- भारतीय शिक्षा ,
- गाँधीजी की देन ,
- शिक्षा और संस्कृति ,
- मेरी आत्मकथा ,
- बापूजी के कदमों में ,
- मेरी यूरोप यात्रा ,
- संस्कृति का अध्ययन ,
- चम्पारण में महात्मा गाँधी
- खादी का अर्थशास्त्र आदि ।
भाषा-शैली :-
इनकी भाषा सरल , सुबोध और व्यावहारिक है। संस्कृत , उर्दू , अंग्रेज़ी , बिहारी शब्दों का प्रयोग हुआ है| इनकी शैली के मुख्य रूप से दो रूप प्राप्त होते हैं- साहित्यिक शैली और भाषण शैली । इनकी सेवाओं का हिन्दी जगत् सदैव ऋणी रहेगा ।