Essay on Corruption in Hindi (भ्रष्टाचार पर निबंध)

Essay On Corruption
भ्रष्टाचार पर निबंध
अनियंत्रित भ्रष्टाचार कारण और निवारण

Corruption in Hindi essay

Essay On Corruption

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Essay based on Bhrashtachar niyantran or Essay High Corruption.प्रिय मित्रों, यहां हम आपके लिए सभी निबंध लेकर आए हैं, तो अब निबंध प्रस्तुत है! भारत में भ्रष्टाचार या भ्रष्टाचार पर, यह निबंध यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। भ्रष्टचार नियंत्रण या निबंध उच्च भ्रष्टाचार पर आधारित निबंध।

अनियन्त्रित भ्रष्टाचार : कारण और निवारण

 प्रस्तावना

भ्रष्टाचार शब्द संस्कृत के ‘ भ्रष्ट ‘ शब्द के साथ आचार शब्द के योग से निष्पन्न हुआ है । ‘ भ्रष्ट ‘ का अर्थ है – अपने स्थान से गिरा हुआ अथवा विचलित , और ‘ आचार ‘ का अर्थ है – आचरण , व्यवहार । इस प्रकार किसी व्यक्ति द्वारा अपनी गरिमा से गिरकर अपने कर्तव्यों के विपरीत किया गया आचरण भ्रष्टाचार है ।

भ्रष्टाचार के विविध रूप –

वर्तमान में भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि उसके विविध रूप देखने में आते हैं , जिनमें से कुछ मुख्य प्रकार हैं –

  1.  रिश्वत ( सुविधा – शुल्क ) -किसी कार्य को करने के लिए किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा लिया गया उपहार , सुविधा अथवा नकद धनराशि को रिश्वत कहा जाता है । इसी को साधारण भाषा में घूस और सभ्य भाषा में सुविधा – शुल्क भी कहा जाता है । अपने कार्य को समय से और बिना किसी परेशानी के कराने के लिए अथवा नियमों के विपरीत कार्य कराने के लिए आज लोग सहर्ष रिश्वत देते हैं ।
  2. भाई – भतीजावाद – किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा केवल अपने सगे – सम्बन्धियों को कोई सुविधा , लाभ अथवा पद ( नौकरी ) प्रदान करना ही भाई – भतीजावाद है । आज नौकरियों तथा सरकारी सुविधाओं अथवा योजनाओं के क्रियान्वयन के समय समर्थ ( अधिकारी / नेता ) लोग अपने बेटा – बेटी , भाई , भतीजा आदि सगे – सम्बन्धियों को लाभ पहुंचाते हैं ।
  3. कमीशन – किसी विशेष उत्पाद ( वस्तु ) अथवा सेवा के सौदों में किसी सक्षम व्यक्ति द्वारा सौदे के बदले में विक्रेता अथवा सुविधा प्रदाता से कुल सौदे के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत प्राप्त करना कमीशन है । आज सरकारी , अर्द्ध – सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के अधिकांश सौदों अथवा ठेकों में कमीशनबाजी का वर्चस्व है ।
  4. यौन शोषण – यह भ्रष्टाचार का सर्वथा नवीन रूप है । इसमें प्रभावशाली व्यक्ति विपरीत लिंग के व्यक्ति को अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए अनुचित लाभ पहुंचाने के बदले उसका यौन – शोषण करता है ।

भ्रष्टाचार के कारण –

भ्रष्टाचार के यद्यपि अनेकानेक कारण हैं , जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

  • महँगी शिक्षा – शिक्षा के व्यवसायीकरण ने उसे अत्यधिक महँगा कर दिया है । आज जब एक युवा शिक्षा पर लाखों रुपये खर्च करके किसी पद पर पहुँचता है तो उसका सबसे पहला लक्ष्य यही होता है कि उसने अपनी शिक्षा पर जो खर्च किया है उसे किसी भी उचित – अनुचित रूप से ब्याजसहित वसूले । उसकी यही सोच उसे भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल देती है और फिर वह चाहकर भी इससे निकल नहीं पाता ।
  • लचर न्याय – व्यवस्था – लचर न्याय – व्यवस्था भी भ्रष्टाचार का एक मुख्य कारण है । प्रभावशाली लोग अपने धन और भुजबल के सहारे अरबों – खरबों के घोटाले करके साफ बच निकलते हैं , जिससे युवावर्ग इस बात के लिए प्रेरित होता है कि यदि व्यक्ति के पास पर्याप्त धनबल है तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता । बस यही धारणा उसे अकूत धन प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार की अन्धी गली में धकेल देती है , जहाँ से वह फिर कभी निकल नहीं पाता ।
  •  जन – जागरण का अभाव -हमारे देश की बहुसंख्यक जनता अपने अधिकारों से अनभिज्ञ है , जिसका लाभ उठाकर प्रभावशाली लोग उसका शोषण करते रहते है और जनता चुपचाप भ्रष्टाचार की चक्की में पिसती रहती है ।
  • जीवन मूल्यों का ह्रास और चारित्रिक पतन — आज व्यक्ति के जीवन मे मानवीय मूल्यों का इतना हास हो गया कि उसे उचित अनुचित का भेद ही दिखाई नहीं देता । जीवन – मूल्यों के इसी हास ने व्यक्ति का इतना चारित्रिक पतन कर दिया है । कि उससे अन्य लोगों के हितो की तो आशा ही नहीं की जा सकती । ऐसे मूल्यहीन , दुश्चरित्र व्यक्ति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं ।

भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय –

भ्रष्टाचार को दूर करने के कुछ मुख्य उपाय इस प्रकार है-

  • जनान्दोलन- भ्रष्टाचार को रोकने का सबसे मुख्य और महत्त्वपूर्ण उपाय जनान्दोलन है । जनान्दोलन के द्वारा लोगों को उनके अधिकारों का ज्ञान फैलाकर इस पर अंकुश लगाया जा सकता है ।
  • कठोर कानून – कठोर कानून बनाकर ही भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकती है । यदि लोगों को पता हो कि भ्रष्टाचार करनेवाला कोई भी व्यक्ति सजा से नहीं बच सकता , तो प्रत्येक व्यक्ति अनुचित कार्य करने से पहले हजार बार सोचेगा ।
  • नि : शुल्क उच्चशिक्षा – भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश तभी लगाया जा सकता है , जब देश के प्रत्येक युवा को निःशुल्क उच्चशिक्षा का अधिकार प्राप्त होगा । यद्यपि अभी ऐसा किया जाना सम्भव नहीं दिखता तथापि 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करना इस दिशा में उठाया गया महत्त्वपूर्ण कदम है ।
  • पारदर्शिता – देश और जनहित के प्रत्येक कार्य में पारदर्शिता लाकर भी भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है ; क्योंकि अधिकांश भ्रष्टाचार गोपनीयता के नाम पर ही होता है ।
  • कार्यस्थल पर व्यक्ति की सुरक्षा और संरक्षण –  प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकार और कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए कार्य करने के लिए यह आवश्यक है कि उसे पर्याप्त सुरक्षा तथा संरक्षण प्राप्त हो , जिससे व्यक्ति निडर होकर अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ कर सके । यदि कार्यकारी व्यक्ति को पूर्ण सुरक्षा और संरक्षण मिले तो धनबल और बाहुबल का भय दिखाकर कोई भी व्यक्ति अनुचित कार्य करने के लिए किसी को विवश नहीं कर सकता । महिलाकर्मियों के लिए तो कार्यस्थल पर सुरक्षा और संरक्षण देने हेतु कानून बनाया जा चुका है , जिससे उनका यौन – शोषण रोका जा सके । यद्यपि इस कानून को और अधिक व्यापक तथा प्रभावी बनाने की आवश्यकता है ।
  • नैतिक मूल्यों की स्थापना –– नैतिक मूल्यों की स्थापना करके भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है । इसके लिए समाज सुधारकों और धर्म प्रचारकों के साथ – साथ शिक्षक वर्ग को भी आगे आना चाहिए ।
उपसंहार –

हम तभी विकसित देशों की श्रेणी में शामिल  हो सकते हैं , जब भ्रष्टाचार के क्षेत्र में न्यायिक तराजू पर राजा और रंक एक ही पलड़े में रखे जाएँ । भ्रष्टाचार पर कठोर कदम उठाए जाएँ और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन जागरण हो ।

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