Essay On Discipline | हिंदी निबन्ध छात्र जीवन में अनुशासन का महत्त्व

छात्र जीवन में अनुशासन का महत्त्व | विद्यार्थी और अनुशासन

Essay On Discipline | हिंदी निबन्ध छात्र जीवन में अनुशासन का महत्त्व – यहां पर हमने छात्र जीवन में अनुशासन का महत्त्व विद्यार्थी और अनुशासन  पर आधारित निबंध की चर्चा की है इससे संबंधित अन्य टॉपिक पर भी यही निबंध लिख सकते हैं |

Essay On Discipline | हिंदी निबन्ध छात्र जीवन में अनुशासन का महत्त्व – Here we have discussed the essay based on the importance of discipline in student life or student and discipline, you can write the same essay on other topics related to it like. UP Board Mp Board RBSE, CBSE Board class  9,10,11,12  Essential and important essay for Students of all Classes. We have explained the topic heading by heading along with the outline here.

1- प्रस्तावना –

मनुष्य सामाजिक प्राणी है । समाज में वह अन्य मनुष्यों के सम्पर्क में रहता है । कोई भी मनुष्य अकेले अपना जीवन निर्वाह सरलता से नहीं कर सकता । उसे समाज में ही से रहकर जीवन व्यतीत करना होता है । समाज मनुष्य को बहुत अधिकार देता है जिससे वह अपने जीवन को सुखपूर्वक और सुविधापूर्वक बिता सके , परन्तु मनुष्य के अधिकारों के साथ – साथ कर्त्तव्य भी हैं जिनका पालन उसे करना होता है । उसे समाज में एक नियमित जीवन बिताना होता है । नियमित जीवन व्यतीत करने के लिए मनुष्य को अनुशासन में रहना अत्यन्त आवश्यक है ।

किसी भी राष्ट्र के नागरिकों के लिए प्रथम एवं मुख्य कर्त्तव्य यह हो जाता है कि वे अनुशासन में रहें , आदर्श नागरिक के लिए अनुशासित जीवन अनिवार्य है । जिस देश के नागरिक अनुशासन का पालन करते हैं , वह देश निश्चय ही महान् और शक्तिशाली होगा । अतः राष्ट्रीय जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है । आज के छात्र ही भावी नागरिक हैं अतः छात्रों के लिए भी अनुशासन का विशेष महत्त्व है । यदि देश के छात्र अनुशासित जीवन का महत्त्व समझ लें तो देश से अनुशासनहीनता की समस्या समाप्त हो सकती है ।

2- अनुशासन से अभिप्राय –

अनुशासन शब्द से अभिप्राय सुव्यवस्था और नियमितता से लिया जाता है । मानव जीवन के प्रत्येक पहलू में अनुशासन का महत्त्व है । युद्ध में सेना अनुशासन के अभाव में सफलता प्राप्त नहीं कर सकती । कक्षा में अध्यापक अनुशासन के अभाव में शिक्षा प्रदान नहीं कर सकता । इस प्रकार प्रत्येक कार्य को पूर्ण और सफल बनाने के लिए अनुशासन · अत्यन्त आवश्यक है ।

प्रकृति नियमानुसार अपना कार्य करती है । ऋतुयें नियमानुसार आती हैं और चली जाती हैं । रात और दिन क्रम से आते हैं और चले जाते हैं । प्रत्येक कार्य निरन्तर अनुशासित ढंग से होता रहता है । किसी भी क्षेत्र में अनुशासन भंग होते ही घोर अव्यवस्था एवं अनर्थ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

3- अनुशासन के प्रकार –

मनुष्य के लिए अनुशासन के दो प्रकार होते हैं । एक तो आन्तरिक अनुशासन और दूसरा बाह्यअनुशासन । आन्तरिक अनुशासन से आशय , मनुष्य के लिए अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण रखने से है । इसके अतिरिक्त बाह्य अनुशासन से अभिप्राय दूसरों के साथ सभ्यता का व्यवहार करना . दूसरों के अधिकारों और अपने कर्तव्यों का ध्यान रखना तथा समाज में सही और पात्रानुकूल आचरण करने से है ।

4- छात्र और अनुशासन –

छात्र के जीवन में तो अनुशासन एक अनिवार्य अंग हैं । छात्र जीवन के प्रारम्भ में ही उसके भविष्य की नींव पड़ती है । यदि छात्र जीवन में किसी बालक का जीवन अनुशासित हो जाता है तो जीवन भर वह अपने कर्त्तव्य पथ से नहीं डगमगायेगा तथा राष्ट्र के लिए भी उत्तम और श्रेष्ठ नागरिक सिद्ध होगा । परन्तु प्रायः देखने में यह आता है कि आज का विद्यार्थी उच्छृंखल हो गया है और सम्भवतः वह अनुशासन की सीमाओं में बँधना नहीं चाहता । यहाँ तक कि अध्यापक के सही मार्ग दर्शाने पर भी वह नहीं मानता और असभ्यता के स्तर तक उतर आता है ।

ऐसा करना अत्यन्त लज्जापूर्ण और अशोभनीय है । विद्यार्थियों को अपने गुरुजनों और अभिभावकों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा कि वे बड़े होकर आने वाली संतति से अपने लिए चाहते हैं । यद्यपि इस बात को अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि विद्यार्थियों को अपने व्यक्तित्व के निर्माण के लिए स्वतन्त्र विचारधारा वाला होना आवश्यक है । प्रत्येक व्यक्ति की स्वतन्त्रता दूसरे व्यक्ति की स्वतन्त्रता में बँधी हुई है । आज के छात्र स्वतन्त्रता नहीं चाहते , वे तो स्वच्छन्दता चाहते हैं , जो कि एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हो सकती । अतः छात्रों को अनुशासन का अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए जिससे वे अपना जीवन सुव्यवस्थित , संयमी और महान् बना सकें ।

5- अनिवार्य सैनिक शिक्षा और अनुशासन –

अनिवार्य सैनिक शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को अनुशासन सिखाना है । आजकल विद्यालयों में इसे अनिवार्य कर दिया है । इसे एन ० सी ० सी ० का शिक्षण भी कहते हैं । यह स्कूल और कॉलिजों के छात्र और छात्राओं को प्रदान किया जाता है । यह एक प्रकार का सैनिक प्रशिक्षण है , परन्तु इसका उद्देश्य छात्रों को सैनिक शिक्षा देने के साथ – साथ अनुशासन का पाठ पढ़ाना है ।

6- नैतिक शिक्षा और अनुशासन

विद्यार्थी में अनुशासन , कर्त्तव्यनिष्ठा और सदाचार की प्रेरणा भरने के लिए शिक्षा प्रणाली में आधारभूत परिवर्तन की आवश्यकता है । इसके लिए कुछ प्रदेशों की सरकारों ने स्कूली शिक्षा में नैतिक शिक्षा का अनिवार्य विषय लागू कर दिया है । इसके अतिरिक्त विद्यार्थी के रहन – सहन तथा व्यवहार के लिए भी पृथक् रूप से अंक दिये जाने चाहिये ।

विद्यार्थी को अनुशासन भंग करने तथा आदेशों पालन न करने के लिए अंकों की कटौती जुर्माने के रूप से की जानी चाहिए । इस प्रकार शिक्षा पद्धति में नैतिक शिक्षा और अनुशासन के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान होना चाहिए ।

7- उपसंहार —

अनुशासनहीन व्यक्ति असभ्य और ब उज्ज्वलता के लिए कहलाता है । इसी प्रकार अनुशासनहीन समाज जंगली और अनैतिक होता है । छात्रों के भविष्य की अनुशासनहीनता का समाप्त होना आवश्यक है । आज का विद्यार्थी कल का नागरिक है । अतः राष्ट्र के भावी सुव्यवस्थित निर्माण लिए आज के बालक को अनुशासित बनाना अत्यन्त आवश्यक है ।

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