Essay on Pollution (प्रदूषण : समस्या और समाधान) Environmental Pollution

Essay on Pollution

प्रदूषण : समस्या और समाधान

Environmental Pollution prevention in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण  : समस्या और समाधान 

Essay on Pollution प्रदूषण : समस्या और समाधान
Essay on Pollution its challenges in India

Essay on Pollution प्रदूषण : समस्या और समाधान Environmental Pollution prevention in Hindi पर्यावरण प्रदूषण  : समस्या और समाधान पर्यावरण प्रदुषण की समस्या और समाधान विषय पर निबंध दिया जा रहा है आशा करता हूँ आपको बहुत अच्छा लगेगा आपके सरलता से  समझने योग्य  बनाया गया है |

प्रस्तावना –

विकास और व्यवस्थित जीवनक्रम के लिए जीवधारियों को सन्तुलित वातावरण की आवश्यकता होती है । सन्तुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रहता है । कभी – कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है अथवा वातावरण में बहुत – से हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है । परिणामतः वातावरण दूषित हो जाता है ; जो जीवधारियों के लिए किसी – न – किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है । इसे ही प्रदूषण कहते हैं ।

प्रदूषण के प्रकार –

               विकसित और विकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान हैं । इनमें से प्रमुख प्रदूषणों का विवेचन निम्नलिखित है- 

  1. वायु प्रदूषण – वायुमण्डल में विद्यमान विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में अपनी क्रियाओं द्वारा वायुमण्डल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइ – ऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखती हैं , किन्तु मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण तथा आवश्यकता के नाम पर इस सन्तुलन को बिगाड़ता रहता है । अपनी आवश्यकता के लिए मनुष्य वनों को काटता है , परिणामतः वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है । मिलों की चिमनियों से निकलनेवाले धुएँ के कारण वातावरण में विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसें बढ़ती चली जा रही हैं ।  कोयले और तेल के जलने से सल्फर डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है । यह गैस वायु में पहुंचने पर वर्षा या नमी के साथ घुलकर धरती पर पहुँचती है और गन्धक का अम्ल बनाती है । यह नासिका में जलन पैदा करती है और ककड़ी को प्रभावित करती है । इतना ही नहीं ; इससे वस्त्र , धातु और प्राचीन इमारतों को क्षति पहुँचती है ।
  2. जल प्रदूषण – सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है । पौधे अपना भोजन जल में घुली हुई अवस्था में ही प्राप्त करते है । जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व , कार्बनिक – अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसे बुलं रहती हैं । यदि जल में इन पदार्थों की मात्रा असन्तुलित हो जाती है तो जल प्रदुष्टि होकर हानिकारक हो जाता है ।देश के अनेक शहरों में पीने का पानी निकट वहनेवाली नदियों से लिया जाता है । दुर्भाग्य से हम इन्हीं नदियों में मिलों का कचरा , मल – मूत्र आदि प्रवाहित करते हैं । इसके फलस्वरूप हमारे देश को अधिकांश नदियों का जल प्रदृष्टि हार जा रहा है
  3. रेडियोधर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्र और सामाविक परीक्षण से भी जल , वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है , जो आम की गाड़ी के लिए ही नहीं , वरन् आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक है । परमाणु बिलोट से सम्बद्ध स्थान का तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिकल जाती है । विस्फोट के समय उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं , जहाँ पर ये ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और वायु के झोंकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं ।
  4. ध्वनि प्रदूषण – अनेक प्रकार के वाहनों ; क्या – मोटरकार स.ट विमान , ट्रैक्टर आदि तथा लाउडस्पीकर , बाजे , कारखानों के साइरन और मशीन से भी ध्वनि प्रदूषण होता है । ध्वनि की तरंगें जीवधारियों को क्रियाओं को प्रभावित करती हैं । अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य को सुनने की शक्ति का ह्रास होता है तथा उसे नींद ठीक प्रकार से नहीं आती , यहाँ तक कि कभी – कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है ।

प्रदूषण पर नियन्त्रण –

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर पूरे प्रयास आवश्यक है । जल प्रदूषण के निवारण एवं नियम के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 ई ० में ‘ जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम ‘ लागू किया है । इसके अन्तर्गत एक केन्द्रीय बोर्ड के सभी प्रदेशों में ‘ प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड ‘ गठित किए गए हैं । इन बोडों ने प्रदूषण नियन्त्रण की योजनाएँ तैयार की हैं । औद्योगिक कचरे के लिए मानक निर्धारित किए गए हैं ।

उद्योगों के कारण उत्पन्न होनेवाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नए उद्योगों को लाइसेंस दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी ।

इसी प्रकार उन्हें धुएँ तथा अन्च प्रदूषणों के समुचित ढंग से निष्कासन और उसको व्यवस्था का भी दायित्व लेना होगा । वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं । इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि नए वन – क्षेत्र बनाए जाएँ और जनसामान्च को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाए ।

उपसंहार –

सरकार प्रदूषण को रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग है । पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम भविष्य में और अधिक अच्छा एवं स्वस्थ जीवन जी सकेंगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे ; अत : सरकार के साथ – साथ हम सभी का भी यह पुनीत कर्तव्य बन जाता है कि हम प्रदूषण – मुक्त पर्यावरण तैयार करने की दिशा में जागरूक रहे ।

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