Essay On Population (जनसँख्या वृद्धि निबन्ध)

Essay On Population (जनसँख्या वृद्धि निबन्ध)

जनसंख्या विस्फोट निबंध

essay on increasing population
essay on increasing population

अन्य सामान शीर्षक जो परीक्षा में उपयोगी साबित हो सकते हैं – 

  • बढ़ती जनसंख्या  (Jansankhya Vriddhi)
  • घटते संसाधन
  • जनसंख्या वृद्धि की समस्या 
  • जनसंख्या नियोजन (jansankhya niyantran)
  • बढ़ती आबादी : एक समस्या
  • जनसंख्या वृद्धि एवं पर्यावरण
  • बढ़ती जनसंख्या – घटती सुविधाएँ
  • भारत में बढ़ती जनसंख्या : एक विकराल समस्या 
  • जनसंख्या वृद्धि की समस्या और उसके निराकरण के उपाय
  • जनसंख्या वृद्धि एक अभिशाप

 रूपरेखा-

  1.  प्रस्तावना
  2. भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण 
  3. जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करने के उपाय
  4. उपसंहार ।

Essay On Population

( 1 ) प्रस्तावना –

विद्वानों का ऐसा अनुमान है कि आज से लगभग 20-30 लाख वर्ष पूर्व मानव का इस धरा पर प्रादुर्भाव हुआ था । प्रारम्भ से 1830 ई 0 तक विश्व की कुल जनसंख्या केवल एक अरब थी , किन्तु अगले 100 वर्षों में ही अर्थात् 1930 ई ० तक जनसंख्या दुगुनी हो गयी । तात्पर्य यह है कि जितनी जनसंख्या वृद्धि लाखों वर्षों में हुई उतनी वृद्धि इधर मात्र 100 वर्षों में ही हो गयी ।

जनसंख्या वृद्धि की यह गति और द्रुत हुई और अगली एक अरब की वृद्धि केवल 30 वर्षों में ही हो गयी । इस प्रकार 1960 ई 0 तक तीन अरब नर – नारी इस धरती पर हो गये और फिर अगले 15 वर्षों में ही अर्थात् 1975 ई 0 तक जनसंख्या बढ़कर 4 अरब हो गयी । विश्व जनसंख्या में पुनः 1अरब की वृद्धि होने में केवल 12 वर्ष ही लगे । 2011 ई 0 के मध्य में सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या बढ़कर 121.04 करोड़ हो गयी थी । भारत जनसंख्या वृद्धि की इस प्रतियोगिता में काफी तेज है ।

जनसंख्या के आकार के साथ देश की अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होती है । भारत जैसे विशाल जनसंख्यावाले देश में जहाँ जनसंख्या के आकार में निरन्तर एवं तीव्र गति से वृद्धि हो रही है , यह समस्या जटिलतर होती जा रही है । सामान्यतया जनसंख्या में वृद्धि की दर से काफी अधिक दर से यदि अर्थव्यवस्था में उन्नति नहीं होती है तो देश आर्थिक दृष्टि से काफी कमजोर हो जाता है ( भारत के सन्दर्भ में यह अक्षरशः सही है ) और अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के सभी प्रयास , योजनाएँ एवं विनियोग अर्थहीन हो जाते हैं । ऐसी परिस्थिति में जनसंख्या के ‘ गुणात्मक पहलू ‘ का भी अधःपतन हो जाता है ।

( 2 ) भारत में जनसंख्या – वृद्धि के कारण –

भारत में जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  • ऊँची जन्मदर –

    भारत में जन्मदर ऊँची है । इसका मुख्य कारण भारतीय जलवायु का गर्म होना है जिसके कारण यहाँ के लड़के – लड़कियाँ शीघ्र ही वयस्क हो जाते हैं ।

  • मृत्यु दर में गिरावट –

    चिकित्सा सुविधाओं में वृद्धि होने तथा महामारीवाले संक्रामक रोगों पर नियन्त्रण हो जाने के कारण मृत्यु दर में तीव्रता से गिरावट आयी है ।

  • प्रजनन क्षमता का अधिक होना – भारतीय स्त्रियों की प्रजनन क्षमता अधिक है अतः परिवार वृद्धि तीव्र गति से होती है ।
  • विवाह एक सार्वभौमिक आवश्यकता – भारत में विवाह एक सार्वभौमिक आवश्यकता है । यहाँ सन्तान उत्पन्न करना एक धार्मिक कर्त्तव्य माना जाता है ।
  • निर्धनता – देश की अवनति दशा एवं निर्धनता के कारण भी भारत में जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहन मिला है । एडम स्मिथ ने कहा है , ” दीनता और निर्धनता सन्तानोत्पत्ति के वायुमण्डल के अनुकूल होती है । “
  •  शिक्षा का अभाव – अधिकांश भारतीय अशिक्षित , रूढ़िवादी एवं अन्धविश्वासी हैं । वे सन्तान को ‘ प्रभु की देन ‘ मानते हैं ।
  •  प्रचलित अन्धविश्वास – वंश चलाने एवं पितृ – विसर्जन हेतु पुत्र की कामना करना तथा अन्य धार्मिक अन्धविश्वास आदि के कारण परिवार में बच्चों की संख्या अधिक हो जाती है जो जनसंख्या वृद्धि में सहायक है ।
  • शरणार्थियों का आगमन – देश की स्वतन्त्रता के बाद पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से आनेवाले लाखों – करोड़ों शरणार्थियों के कारण भी देश की जनसंख्या में वृद्धि हुई है । पिछले कुछ वर्षों में विदेशों में बसे भारतीयों को वहाँ से निकाला जा रहा है और वे लोग भारत में आकर बस रहे हैं । इन देशों में लंका , मलाया , ब्रिटेन , म्याँमार , कीनिया व कनाडा प्रमुख हैं ।

( 3 ) जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करने के उपाय –

         देश में जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए हमें तात्कालिक एवं दीर्घकालिक दोनों प्रकार के उपाय करने की आवश्यकता है । जनसंख्या को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए- 

  • शिक्षा का विस्तार –

    समाज में अशिक्षित व्यक्तियों की संख्या अधिक होने से जनसंख्या में वृद्धि होती है । अशिक्षित लोग न तो अपने भविष्य के बारे में सोच पाते हैं और न ही देश और संसार की समस्याओं तक पहुँच पाते हैं । शिक्षा के विस्तार से जनसंख्या नियन्त्रण में सहायता मिलती है । शिक्षा राष्ट्रीय समृद्धि और कल्याण की कुंजी है । शिक्षा के माध्यम से लोगों में जनसंख्या के प्रति नया दृष्टिकोण विकसित होता है ।

  • जनसंख्या –

    शिक्षा को अनिवार्य विषय बनाना – विद्यालयों में जनसंख्या – शिक्षा अनिवार्य विषय के रूप में होनी चाहिए । जनसंख्या – शिक्षा का उद्देश्य परिवार नियोजन का ज्ञान देना ही नहीं है , अपितु यह एक ऐसा शैक्षिक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य परिवार , समुदाय , राज्य , देश और विश्व में जनसंख्या के विषय में शिक्षा प्रदान करना है । 

  • परिवार कल्याण कार्यक्रम का प्रचार व प्रसार
  • – जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए परिवार कल्याण कार्यक्रम का प्रचार व प्रसार होना आवश्यक है । परिवार कल्याण कार्यक्रम का उद्देश्य दम्पत्ति द्वारा अपने बच्चों की संख्या सीमित रखने तथा दो बच्चों के जन्म के मध्य पर्याप्त समयान्तर रखने से है । अतः सरकार का उत्तरदायित्व है कि परिवार नियोजन का प्रचार करे तथा परिवार नियोजन की सभी सुविधाएँ ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में उपलब्ध कराये ।
  • जनसंख्या को नियन्त्रित करने हेतु विज्ञापन व सन्देशवाहन के साधनों का उपयोग – जनसंख्या वृद्धि के कारणों , परिणामों एवं जनसंख्या को नियन्त्रित करने के उपायों का विज्ञापन एवं प्रचार रेडियो , दूरदर्शन व चलचित्रों के माध्यम से ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में करने की आवश्यकता है । इसके माध्यम से भी जनसंख्या को सीमित करने में सहायता मिलेगी ।
  • सीमित दाम्पत्य परिवारों को पुरस्कृत करना – जिन दाम्पत्य परिवारों के परिवार में एक या दो ही बच्चे हैं , ऐसे परिवारों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए । इससे अन्य व्यक्तियों को भी सीमित परिवार की प्रेरणा मिलेगी ।
  • जनमानस में जनसंख्या के प्रति अनुकूल चेतना का विकास करना – जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए हमें जनमानस में अनुकूल चेतना का विकास करना होगा । जन – जन में जनसंख्या के प्रति अनुकूल चेतना का विकास होने पर ही हम जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण पाने में सफल हो सकते हैं ।

( 4 ) उपसंहार –

        इस प्रकार पूर्णरूप से इस विषय पर विवेचन करने के पश्चात् स्पष्टतया यह ज्ञात होता है कि जनसंख्या वृद्धि के साथ 2 और भी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं । इस समस्या के समाधान के लिए जनसंख्या नियोजन आयोग की स्थापना होनी चाहिए । लोगों में शिक्षा का प्रसार हो खासकर महिला शिक्षा पर विशेष बल दिया जाय ,परिवार कल्याण कार्यक्रमों को प्रभावशाली बनाया जाय और बाल विवाहों की कठोरता से रोकथाम सुनिश्चित की जाय । इन कार्यों के अतिरिक्त देश के उत्पादन में वृद्धि के लिए भी नये कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करनी होगी ।

 

–Essay On Population

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