महँगाई की समस्या
Essay On problem of inflation in Hindi हिंदी निबन्ध – महँगाई की समस्या- यहां पर हमने महंगाई की समस्या पर आधारित निबंध की चर्चा की है इससे संबंधित अन्य टॉपिक पर भी यही निबंध लिख सकते हैं -अन्य सम्बन्धित शीर्षक – बढ़ती हुई महँगाई , मूल्य वृद्धि की समस्या महँगाई : कारण और निवारण , महँगाई और आम आदमी महँगाई के दुष्प्रभाव आदि |
Essay On problem of inflation in Hindi हिंदी निबन्ध – महँगाई की समस्या- Here we have discussed the essay based on the problem of inflation, you can write the same essay on other topics related to it like. UP Board CBSE Board class 9,10,11,12 Essential and important essay for children of all Classes. We have explained the topic heading by heading along with the outline here.
रूपरेखा –
- प्रस्तावना ,
- महँगाई के दुष्परिणाम ,
- मूल्य वृद्धि के कारण ,
- मुद्रा की क्रय शक्ति में गिरावट ,
- घाटे की अर्थव्यवस्था ,
- अस्थिर राजनीतिक वातावरण ,
- जमाखोरी मुनाफाखोरी ,
- कोटा लाइसेन्स पद्धति ,
- काले धन का प्रचलन ,
- महँगाई रोकने के उपाय ,
- उपसंहार
प्रस्तावना :-
देश का आम आदमी आजकल बढ़ती हुई महँगाई से त्रस्त है । सच तो यह है कि मूल्यवृद्धि ने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है । बाजार में आज उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें रातों – रात बढ़ जाती हैं , ऐसी स्थिति में सामान्य व्यक्ति के लिए परिवार का भरण – पोषण करना भी कठिन हो रहा है । सीमित आमदनी वाले नौकरी पेशा व्यक्तियों , छोटे – छोटे दुकानदारों एवं श्रमिकों पर इस महँगाई की मार सबसे ज्यादा पड़ती है । मध्यवर्ग में परिवार टूटने का एक मूल कारण बेतहाशा बढ़ती हुई महँगाई भी है । पिता – पुत्र , पति – पत्नी , भाई – भाई के बीच में होने वाले मनमुटाव का मूल कारण आर्थिक होता है । महँगाई ने आज आर्थिक रूप से व्यक्ति की रीढ़ तोड़ दी है , ऐसी स्थिति में वह अपने खर्चों में कटौती करने को बाध्य हो गया है , साथ ही अपने सीमित उत्तरदायित्व का निर्वाह करने हेतु परिवार से अलग हो रहा है ।
महँगाई के दुष्परिणाम-
मूल्यवृद्धि जिस अनुपात में होती है और जिस तीव्रता से होती है , उस अनुपात में और उतनी ही तेजी से व्यक्ति की आय नहीं बढ़ पाती परिणामतः वह अनैतिक कार्यों में लिप्त होकर रिश्वतखोरी , मुनाफाखोरी , चोरबाजारी जैसे समाज विरोधी काम करते हुए अपनी आय बढ़ाने का प्रयास करता है । gyansindhuclasses.com बढ़ती हुई महँगाई ने व्यक्ति को अनैतिक बनने के लिए विवश कर दिया है । बढ़ती हुई महँगाई ने एक ओर तो व्यक्ति में तनाव , कुण्ठा , असुरक्षा , संत्रास जैसे भावों को जन्म दिया है तो दूसरी ओर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है ।
मूल्य वृद्धि के कारण –
मूल्यवृद्धि का सबसे प्रमुख कारण है जनसंख्या विस्फोट | इस देश की जनसंख्या जिस अनुपात में बढ़ रही है , उस अनुपात में उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन नहीं हो पाता । बाजार में वस्तुओं की माँग अधिक होती है तथा आपूर्ति कम होती है , परिणामतः माँग पूर्ति के सिद्धान्त के अनुसार वस्तु की कीमत बढ़ जाती है । gyansindhuclasses.comआज तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए आवास जुटा पाना कठिन काम है , परिणामतः मकान किरायों में वृद्धि हो गई है ।
मुद्रा की क्रय शक्ति में गिरावट –
भारतीय मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी आई है । एक मोटे अध्ययन के आधार पर यदि सन् १ ९ ६१ को आधार मान लें तो उसकी तुलना में आज एक रुपए का मूल्य मात्र १५ पैसे रह गया है । रुपए की क्रयशक्ति घट गई है । अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राओं के परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय रुपए की कीमत में कमी आई है । डालर , पौण्ड , येन , मार्क जैसी मुद्राएँ मजबूत हुईं , किन्तु रुपए की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति खराब हुई है । मुद्रा की इस कमजोर एवं दयनीय स्थिति ने भी मूल्यवृद्धि में योगदान किया है ।
घाटे की अर्थव्यवस्था –
भारत सरकार कई दशकों से घाटे की अर्थव्यवस्था वाला यजट प्रस्तुत कर रही है । बजट का घाटा पूरा करने के लिए नई करेंसी छाप ली जाती है , यह भी मुद्रा की क्रयशक्ति में अपनी भूमिका निभाता है । सरकारी नीतियाँ भी व्यवस्था में सरकार को पर्याप्त धन व्यय करना होता को कमजोर महँगाई के लिए उत्तरदायी हैं । सब जानते हैं कि है , साथ ही उम्मीदवार भी बेहताशा धन खर्च चुन करते हैं । यह धन वस्तुतः विना हिसाब – किताब वाला काला धन होता है , यह जितना अधिक प्रचलन में होगा , उतनी ही मूल्यवृद्धि करेगा । विगत दो चुनावों ने सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य में लगभग पचास प्रतिशत वृद्धि दी है । लोकतन्त्र एक महँगी व्यवस्था है अतः सरकार को इस सम्बन्ध में पुनर्विचार करते हुए ऐसी व्यवस्था कर होगी कि gyansindhuclasses.comचुनाव के कारण महँगाई न बढ़ सके ।
अस्थिर राजनीतिक वातावरण –
देश में अस्थिर राजनीतिक वातावरण भी महँगाई के लिए उत्तरदायी है । जब केन्द्र या प्रान्त की सरकार कमजोर होती है और उसे दूसरी पार्टी के सहारे चलना होता है तब वह कटोर कदम उठाने में असमर्थ रहती है । बड़े – बड़े उद्योगपति धन वल पर सरकार को गिराने की सामर्थ्य रखते हैं अत : सरकार उनके विरुद्ध निर्णय लेने में हिचकिचाती है । यदि देश में एक ही दल की स्थिर सरकार होगी तो वह कठोर वित्तीय नियन्त्रण लागू कर सकेगी और तव मूल्यवृद्धि पर अंकुश लगाया जा सकेगा । gyansindhuclasses.com
जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी –
जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति से भी महँगाई बढ़ जाती है । कभी – कभी वस्तुओं का कृत्रिम अभाव व्यापारी उत्पन्न कर देते हैं और जब बाजार से चीजें गायव हो जाती हैं तब वे मुँहमाँगी कीमत पर अपना जमा किया हुआ सामान बेचने लगते हैं । सीमेण्ट , चीनी मिट्टी का तेल , पेट्रोल , डीजल आदि आम उपभोग की वस्तुओं में होने वाली मूल्यवृद्धि का मूल कारण इनकी जमाखोरी एवं ब्लैक मार्केटिंग ही है ।
कोटा लाइसेन्स पद्धति –
सरकार द्वारा राशन , लाइसेन्स एवं कोटा पद्धति इसलिए प्रारम्भ की गई थी जिससे वस्तुएं उपभोक्ताओं को निश्चित मूल्य पर दी जा सकें किन्तु देखा यह गया है कि जिस वस्तु का वितरण सरकार अपने हाथ में लेती है , वह बाजार में ऊँची कीमत पर बिकने लगती है । आज चीनी मिट्टी का तेल एवं गेहूँ राशन पर कम कीमत पर किन्तु खुले बाजार में अधिक कीमत पर बिकते हैं । बहुत सारे लोग किसी वस्तु का लाइसेन्स लेकर उसे निर्धारित मूल्य पर प्राप्त करते हैं किन्तु स्वयं उसका उपभोग न करके ऊँची कीमतों पर बाजार में बेच देते हैं ।
काले धन का प्रचलन –
बढ़ती हुई महँगाई का एक प्रमुख कारण काले धन का प्रचलन भी है । काले धन का अभिप्राय उस पैसे से होता है , जिस पर कर अदा न किया गया हो । आज व्यापारियों , उद्योगपतियों , फिल्म अभिनेताओं , सरकारी कर्मचारियों एवं अंशधारियों तथा डॉक्टरों , वकीलों आदि पर बेशुमार काला धन है । इसका उपयोग प्रायः विलासिता के साधनों को क्रय करने में किया जाता है । काले धन का प्रचलन बाजार में जिस मात्रा में होगा , उसी मात्रा में मूल्यवृद्धि भी होगी ।
महँगाई रोकने के उपाय –
मूल्यवृद्धि की समस्या से निपटने के लिए सरकार को कड़े कानून बनाने होंगे । gyansindhuclasses.com सर्वप्रथम उसे जमाखोरों एवं चोरवाजारी करने वालों के विरुद्ध अभियान छेड़ना होगा और ऐसा कार्य करने वाले समाज विरोधी तत्वों को कठोर आर्थिक दण्ड एवं कारावास की सजा देनी होगी । काले धन को निकालने के लिए भी विशेष प्रयासों की आवश्यकता है । साथ ही परिवार नियोजन के साधनों का व्यापक प्रचार – प्रसार करके बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगाना होगा । जब तक जनसंख्या वृद्धि दर में कमी नहीं आएगी तब तक मूल्यवृद्धि को रोक पाना असम्भव है । चुनाव व्यवस्था में भी अपेक्षित सुधार करके उसे कम खर्चीला बनाने की आवश्यकता है । सरकार को जनहित में कठोर निर्णय लेने होंगे एवं आम जनता को राहत देने के लिए अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देना होगा । कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाकर , औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन की गति तीव्र करके एवं आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं का आयात करके भी मूल्यवृद्धि को एक सीमा तक रोका जा सकता है । ”
उपसंहार –
महँगाई का सम्बन्ध व्यक्ति , समाज और राष्ट्र तीनों से है , क्योंकि यह सबको प्रभावित कर है । सरकार का परम दायित्व है कि वह अपने नागरिकों के भरण – पोषण का उत्तरदायित्व वहन करे तथा उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु व्यवस्था करे । जमाखोरी पर प्रभावी अंकुश लगाकर , काले धन को समाप्त करके प्रबन्धकीय सुधार करके , जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण लगाकर महँगाई को रोका जा सकता है । जन असन्तोष की स्थिति उत्पन्न होने से पूर्व ही सरकार को इस दिशा में सक्रिय प्रयास करने चाहिए ।