Essay On Science (विज्ञान के चमत्कार -वरदान या अभिशाप ) Vigyan Vardan Ya Abhishap हिन्दी कक्षा- 10 (x)
Essay On Science (विज्ञान के चमत्कार -वरदान या अभिशाप ) Vigyan Vardan Ya Abhishap: हिंदी निबन्ध – विज्ञान के चमत्कार अन्य शीर्षक- विज्ञान : वरदान या अभिशाप| Here i am giving you hindi essay on science – miracle and this essay important for up board students mp board students and all board students. UPMSP Essay best topic for you.
प्रिय मित्रों यह निबंध निम्नलिखित शीर्षक पर भी आधारित है-
विज्ञान से विकास और विनाश (vigyan se vikas aur vinash) , विज्ञान की प्रगति (vigyan ki pragati), मानव जीवन में विज्ञान का योगदान (manav jivan me vigyan ka yogadan), विज्ञान की देन (vigyan ki den), विज्ञान और मानव जीवन विज्ञान का महत्त्व (vigyan aur manav jivan me vigyan ka mahatva)|
विज्ञान के बढ़ते चरण (vigyan ke badhate charan) , विज्ञान से लाभ व हानि (vigyan se labh va hani), विज्ञान ही विकास की आधारशिला है sciuence best or bad essay).
1. प्रस्तावना –
सुदूर देश को जाने वाली रेलगाड़ी , व्योम के वक्षस्थल पर विहार करनेवाला वायुयान , शब्द के समुद्र को विद्युत – सरिता के प्रवाह में सीमित करनेवाला रेडियो , टेलीविजन और कोलकाता में व्यवसाय में बँधे मारवाड़ी नवयुवक को जयपुर स्थित उसकी प्रियतमा से प्यार की दो बातें करानेवाला टेलीफोन आदि विज्ञान के ही आधुनिक आविष्कार हैं ।
2. विज्ञान की व्यापकता –
आज जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं , विश्व का कोई ऐसा कोना नहीं और तो और विचार की कोई गति नहीं जहाँ विज्ञान न हो । यदि प्राचीन भक्त कवि भगवान के लिए ‘ हरि व्यापक सर्वत्र समाना ‘ कह सकते थे जो आज हम भी विज्ञान के लिए अधिकारपूर्वक कह सकते हैं ‘ जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है , न तेरी सी खुशबू न तेरी सी बू है । ‘
3.विज्ञान के विभिन्न आविष्कार तथा लाभ-
आज विज्ञान के प्रताप से आज दूर से दूर का स्थान भी समीप से समीपतर है । रेल , मोटर , जलयान , वायुयान तथा हैलीकॉप्टर आदि साधनों द्वारा कोई भी स्थान दूर नहीं रह गया है । इस संसार की तो बात ही क्या है ? आज का वैज्ञानिक चन्द्रलोक की भी यात्रा कर आया है तथा मंगललोक पर जाने की तैयारी कर रहा है ।
विज्ञान हमें केवल दूर से दूर स्थान तक अल्प समय और अल्प व्यय में पहुँचाता ही नहीं है , अपितु हजारों मील दूर के दृश्यों को टेलीविजन पर दिखा भी देता है ।
विभिन्न क्षेत्रों में – विभिन्न क्षेत्रों में – विज्ञान ने समय को भी अपने चंगुल से नहीं छोड़ा है । ऐसी – ऐसी मशीनों का आविष्कार हो चुका है जो प्रकृति तथा मनुष्य के द्वारा एक लम्बे समय में किये जानेवाले कार्यों को थोड़े समय में कर देती है ।
रेडियो , टेलीविजन , तार , बेतार का तार और टेलीप्रिन्टर द्वारा पलक मारते ही संसार के एक छोर के समाचार दूसरे छोर तक पहुंच जाते हैं ।
चिकित्सा के क्षेत्र में – चिकित्सा के क्षेत्र में ‘ एक्स – रे , सिटी स्कैन , अल्ट्रासाउण्ड , ‘ इंजेक्शन ‘ आदि के द्वारा एक नवीन कायाकल्प हो गया है । शिक्षा कार्य में भी विज्ञान ने बहुत कुछ सहायता प्रदान की है । भौतिक विज्ञान , जन्तु विज्ञान , खगोल विज्ञान , वनस्पतिशास्त्र , रसायनशास्त्र आदि विषयों का अच्छा ज्ञान वैज्ञानिक आविष्कारों की सहायता से सरलता से हो जाता है ।
अणुवीक्षण यन्त्र तथा दूरदर्शन यन्त्रों की सहायता से मानव – ज्ञान की सूक्ष्मता बढ़ चुकी है ।
रेडियो , टेलीविजन तथा चलचित्रों की सहायता से विद्यार्थियों को मनोरंजक ढंग से प्रायः सभी विषयों की शिक्षा दी जाती है । ‘ प्रेस ‘ के जीवन से पुस्तकों तथा समाचार – पत्रों की प्राप्ति सरल से सरलतम हो गयी है । हमारे दैनिक जीवन में भी विज्ञान ने अपूर्व सहायता की है । कपड़ा , फर्नीचर , सुई , कागज , पेंसिल , फाउण्टेन पेन , समाचार पत्र , प्रसाधन दृश्य आदि सभी जीवनोपयोगी वस्तुएँ विज्ञान की दी हुई हैं । प्रियजनों के रूप तथा स्वर को सुरक्षित रखने के लिए कैमरा , टेपरिकार्डर का आविष्कार हो चुका है । हमारे नित्य – प्रति के जीवन में विज्ञान की पैठ से सभी विस्मित हैं । विज्ञान के आविष्कारों से कोई क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है ।
4. विज्ञान से हानियाँ
ऊपर के विवरण से ज्ञात होता है कि विज्ञान के आविष्कार मानव के जीवन की गहराई से घुल – मिलकर उसके हाथ पाँव के समान ही उसके अभिन्न अंग बन गये हैं । इसका तात्पर्य है कि विज्ञान ने मानव का कल्याण ही किया है पर नहीं , चित्र का एक पार्श्व यदि रंगीन होता है और मानव मन को लुभानेवाला होता है तो दूसरा अनाकर्षक होता है । विज्ञान का भी आज यही हाल है । आज विज्ञान ने असंख्य मशीनों को जन्म दिया है ।
हर छोटे – छोटे कार्य के लिए भी मशीनें मौजूद हैं । एक – एक मशीन सैकड़ों और हजारों मनुष्यों के बराबर कार्य करती हैं , जिससे बेकारी की एक नयी भीषण समस्या उत्पन्न हो गयी है । इन मशीनों ने ग्रामीण उद्योग – धन्धों और कुटीर उद्योगों को समाप्त कर दिया है । मशीनों से बना माल देखने में अच्छा होता है और मूल्य में सस्ता पड़ता है । इसकी प्रतियोगिता में हाथ का बना माल भला कैसे टिक सकता है ? इस मशीनीकरण ने कलात्मकला को भी पर्याप्त हानि पहुंचायी है ।
जीवन में विलासिता और भौतिकता को प्रवेश कराने का सर्वाधिक उत्तरदायित्व विज्ञान पर ही है । उसने आज जीवन को आनन्द देने वाली तथा विलासिता की वस्तुएँ प्रदान की हैं कि मनुष्य चाहते हुए भी उनसे नहीं बच पाता है । विज्ञान ने प्रत्यक्ष रूप से प्राणिजगत् को नष्ट करने के कुछ कम साधन उत्पत्र नहीं किये हैं । टैंक , डायनामाइट , रॉकेट , बम , परमाणु बम , हाइड्रोजन बम , न्यूट्रॉन बम आदि ऐसे शस्त्र हैं , जो पलक मारते ही लाखों मनुष्यों को भस्म कर डालते हैं । अस्त्र – शस्त्र वायुमण्डल को भी इतना दूषित कर देते हैं कि मानव – जगत् में नाना प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं । इस प्रकार आज विज्ञान से मानव को ही नहीं मानवता को भी खतग उत्पन्न हो गया है ।
5. उपसंहार –
अब विश्वास हुआ है कि ये वैज्ञानिक आविष्कार मानव जाति के लिए अभिशाप अधिक हैं वरदान कम । सत्य भी यह है कि जब से वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव को सुविधा दी है और उसकी भोग की भूख को तीव्र किया है , तब से विश्व में शान्ति की समस्याएँ पेचीदा होती जा रही हैं और उनका कोई समाधान नहीं दिखाई देता ।
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