Essay On Terrorism (आतंकवाद पर निबन्ध-आतंकवाद की समस्या)

Essay On Terrorism Hindi (आतंकवाद पर निबन्ध-आतंकवाद की समस्या)

Essay On Terrorism Hindi (आतंकवाद पर निबन्ध-आतंकवाद की समस्या)
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♦रूपरेखा –

  • प्रस्तावना 
  • आतंकवाद से तात्पर्य 
  • विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद
  • भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ
  • आतंकवाद का समाधान
  • उपसंहार 

प्रस्तावना –

21वीं  शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में आतंकवाद सभी महाद्वीपों में फैल चुका है । दक्षिण एशिया के देशों में इसकी विभीषिका सर्वाधिक रूप से मौजूद दिखायी पड़ रही है । भारत आतंकवाद से अधिक पीड़ित है । इस क्षेत्र में भारत व पाकिस्तान के सम्बन्ध कभी भी अच्छे नहीं रहे हैं । पाकिस्तान युद्ध में भारत से विजय नहीं प्राप्त कर सकता ; अत : उसने छद्म रूप से आतंकवाद को हथियार बना लिया है ।आतंकवाद से तात्पर्य – आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है , जो राजनैतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शक्ति या अस्त्र – शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है ।

अस्त्र – शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग , दल , समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है । अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आतंकवादी गैरकानूनी ढंग से अथवा हिसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासनतन्त्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास भी करते हैं । इस प्रकार “ आतंकवाद उस प्रवृत्ति को कह सकते हैं , जिसमें कुछ लोग अपनी उचित अथवा अनुचित माँग मनवाने के लिए घोर हिंसात्मक और अमानवीय साधनों का प्रयोग करने लगते हैं । ”

विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद –

आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में हैं । राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है । संसार के भौतिक दृष्टि से सम्पन्न देशों में आतंकवाद की यह प्रवृत्ति और भी ज्यादा पनप रही है । अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी और भारतीय प्रधानमन्त्रियों श्रीमती इन्दिरा गांधी तथा श्री राजीव गांधी को नृशंस हत्या , अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट , भारत के हवाई जहाज का पाकिस्तान में अपहरण आदि घटनाएँ अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण हैं ।

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ-

विगत दो दशाब्दियों में भारत के पंजाब , बिहार , असम , बंगाल , जम्मू – कश्मीर आदि कई प्रान्तों में आतंकवादियों ने व्यापक स्तर पर आतंकवाद फैलाया । कश्मीर की समस्या का समाधान न हो पाना भी भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का कारण रहा है । पाकिस्तान कश्मीर की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को उकसाकर उस क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा दे रहा है । यह सिलसिला वर्ष 1990 से चल रहा है । भारत के अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है । मुम्बई में 26 नवम्बर , 2008 को बड़ा आतंको हमला भारत को झेलना पड़ा ।

इससे पूर्व 13 दिसम्बर , 2001 को भी भारतीय संसद पर जैश के आतंकियों ने हमला किया था । जम्मू – कश्मीर विधानसभा के भवन पर भी जैश – ए – मोहम्मद ने ब्लास्ट किया था । जनवरी 2016 ई ० मे पठानकोट स्थित एयरबेस पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया । यद्यपि सभी आतंकवादियों को मारकर इस हमले को विफल कर दिया गया , किन्तु भारत को भी अपने सार जाँबाज सैनिकों को गंवाना पड़ा । जुलाई 2017 में अमरनाथ यात्रा के समय तीर्थयात्रियों से भरी बस पर आतंकी हमला कर दिया गया । इस हमले में तीर्थयात्री मारे गए । वर्ष 2018 में पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र के अनेक सैन्य स्थलों पर आतंकी हमले करवाए । फरवरी 2018 में सुजवा में सैन्य क्षेत्र पर आतंकी हमला किया गया , जिसमें भारत के कुछ सैनिक शहीद हो गए ।

आतंकवाद का समाधान –

आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो , इसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो , किन्तु यह तो स्पष्ट ही है कि इसने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है । आतंकवाद मानव – जाति के लिए कलंक है , इसलिए इसका कठोरता से दमन किया जाना चाहिए । भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी गम्भीरता से लिया है और इनकी समाप्ति के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए है ।

भारत की संसद ने ‘ आतंकवाद – विरोधी विधेयक पारित कर दिया है , जिसके अन्तर्गत आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहनेवाले व्यक्तियों को कठोर – से – कठोर दण्ड देने की व्यवस्था की गई है ।

प्रमुख बिंदु

  • आतंकवाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक दोनों ही स्तरों पर किया जाना चाहिए । जिन लोगों को पीड़ा हुई अथवा जिनके परिवार अथवा सम्पत्ति को नुकसान हुआ है तथा जिनके सम्बन्धियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है , उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए , जिससे उनके घाव हरे न रहे और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को सह न सकने की स्थिति में स्वयं भी आतंकवादी न बन जाएँ ।
  • आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है कि सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए ।
  • इसके अतिरिक्त जहाँ एक ओर आतंकवादियों के साथ कठोर व्यवहार करना होगा , वहीं गुमराह युवकों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने की कोशिश भी करनी होगी । आतंकवादियों को पकड़ने तथा उन्हें दण्डित करने के लिए आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए । इसके लिए जनता को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है , जिससे जनता आतंकवादियों से लड़ने में भय का अनुभव न करे ।
  • आतंकवाद से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किए जाने चाहिए । अनेक देशों के राजनेताओं ने आतंकवाद की भर्त्सना की है ।
  • आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एकमत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प लें ।
उपसंहार –

आतंकवाद मानवीय सभ्यता पर कलंक है । आतंकवाद से किसी भी समस्या का समाधान सम्भव नहीं है । अब समय आ गया है कि मानवीय सभ्यता के इस कलंक को पूरे संसार से स्वार्थी रूप से मिटा देना चाहिए ।

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