हिदी साहित्य का इतिहास (आदिकाल )
कक्षा -11th & 12th
हिन्दी (सामान्य & साहित्यिक)
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साहित्येतिहास लेखन की परम्परा
- सर्वप्रथम सुव्यवस्थित हिन्दी साहित्य का इतिहास रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा| उनसे पूर्व लिखे गए साहित्येतिहास ग्रन्य निम्नलिखित हैं-
- इस्त्वार – द – ला लितरेत्युर एन्दुई ऐन्दुस्तानी ( फ्रेंच भाषा में ) गार्सा द तासी
- शिवसिंह सरोज——— शिवसिंह सेंगर
- द मॉर्डन वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ नॉर्दन हिन्दुस्तान ( अंग्रेजी में ) जॉर्ज ग्रियर्सन
- मिश्रबन्धु विनोद ——मिश्रबन्धु
(शुकदेव बिहारी मिश्र , श्याम बिहारी मिश्र , कृष्ण बिहारी मिश्र)
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- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के बाद के इतिहास ग्रन्थ
- हिन्दी भाषा और साहित्य ——–श्यामसुन्दर दास
- उसके साहित्य का इतिहास ——–अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध ‘
- हिन्दी साहित्य का इतिहास——– रमाशंकर शुक्ल ‘ रसाल
- हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास ——–रामकुमार वर्मा
- हिन्दी साहित्य ——– हजारी प्रसाद द्विवेदी
- आधुनिक हिन्दी साहित्य ——– लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय
- हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास ——– गणपति चन्द गुप्त
- हिन्दी साहित्य का अद्यतन इतिहास ——– ( संपा ) नगेन्द्र
- हिन्दी साहित्य का नवीन इतिहास ——– बच्चन सिंह
- वर्तमान में भी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा जारी है –
काल विभाजन
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का काल विभाजन
- वीरगाथा काल (आदिकाल) – सं 1050 से 1375 तक
- भक्तिकाल (पूर्व मध्यकाल) – सं 1375 से 1700 तक
- रीतिकाल (उत्तर मध्यकाल) – सं 1700 से 1900 तक
- गद्यकाल ( आधुनिककाल )- सं 1900से 1984 तक
डॉ . रामकुमार वर्मा का काल विभाजन
- सन्धिकाल — सं . 750-1000
- चारणकाल — सं . 1000-1375
- भक्तिकाल — सं . 1375-1700
- रीतिकाल — सं . 1700-1900
- आधुनिक काल — सं . 1900 से आगे
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का काल विभाजन
- आदिकाल — सं . 1000-1350
- भक्तिकाल — सं . 1350-1700
- रीतिकाल — सं . 1700-1900
- आधुनिक काल — सं . 1900 से आगे
सर्वप्रचलित महत्वपूर्ण काल विभाजन
- आदिकाल 700-1450 ई
- पूर्वमध्यकाल ( भक्ति काल ) 1450-1750 ई
- उत्तर मध्यकाल ( रीतिकाल ) 1750-1850 ई
- आधुनिक काल 1850 से आगे-
- पूर्व भारतेंदु युग
- भारतेंदु युग
- द्विवेदी युग
- छायावाद युग
- प्रगतिवाद युग
- प्रयोगवाद युग
- नकेनवाद (प्रपद्यवाद) युग
- नयी कविता युग
- अकविता युग
- साठोत्तरी कविता
आदिकाल का नामकरण –
समय – संवत् 1050 से 1375 तक
नाम | प्रयोक्ता |
चारणकाल | जार्ज ग्रियर्सन |
प्रारम्भिक काल | मिश्र बंधु |
बीजवपनकाल | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
वीरगाथाकाल | आ० रामचंद्र शुक्ल |
वीरकाल | विश्वनाथ प्रसाद मिश्र |
संधिकाल एवं चारण काल | डॉ 0 रामकुमार वर्मा |
सिद्धसामंत काल | राहुल सांस्कृत्यायन |
आदिकाल | हजारीप्रसाद द्विवेदी |
जयकाल | रमाशंकर शुक्ल रसाल |
संक्रांतिकाल | रामप्रसाद मिश्र |
आधारकाल | सुमन राजे |
रासो काव्य , सिद्ध साहित्य , जैन साहित्य ,
नाथ साहित्य प्रमुख कवि और काव्य रचनाएं प्रमुख साहित्य
अपभ्रंश साहित्य के कवि-
- अपभ्रंश भाषा के प्रथम कवि स्वयंभू हैं⇨डॉ. रामकुमार वर्मा के अनुसार
- स्वयंभू की रचनाएं⇨ पउमचरिउ, रिट्ठणेमिचरिउ, स्वयंभूछंद
- अपभ्रंश का बाल्मीकि अथवा व्यास स्वयंभू को कहा जाता है|
- पुष्पदंत की रचनाएं ⇨जसहरचरिउ, णयकुमार चरिउ|
- हिंदी का भवभूति ⇨ पुष्यदन्त
- भाखा की जड़ ⇨ शिव सिंह सेंगर ने पुष्यदन्त को कहा है|
- अभिमानमेरू, कविकुल तिलक, काव्य रत्नाकर ⇨ उपाधियां पुष्पदंत की हैं|
- धनपाल ⇨ भविसयक्तकहा (भविष्यतकथा)
रासो साहित्य –
- उपदेश रसायन रास ⇨ जिन्नदत्त सूरी
- भारतेश्वर बाहुबली रास ⇨ शालिभद्र सूरी
- संदेशरासक ⇨ अब्दुल रहमान
- पाहुड़दोहा ⇨ राम सिंह
- परमात्म प्रकाश, योग सागर ⇨ जोइन्दु
- परमाल रासो (आल्हाखंड) ⇨ जगनिक
- खुमान रासो ⇨ दलपति विजय
- पृथ्वीराज रासो ⇨ चंदबरदाई (हिंदी का प्रथम महाकाव्य)
- बीसलदेव रासो ⇨ नरपति नाल्ह – प्रथम बारहमासा वर्णन के प्रवर्तक |
- विजयपाल रासो ⇨ नल्ल सिंह
- हम्मीर रासो ⇨ शारंगधर
- चंदायन /नूकर चंदा की प्रेम कथा / लोरकहा /लोरिक चंदा की प्रेम कथा ⇨मुल्ला दाऊद
- जयमयंक जस चंद्रिका ⇨ मधुकर कवि
- जयचंद्रप्रकाश ⇨ भट्ट केदार
- रणमल्ल छंद ⇨ श्रीधर
सिद्ध साहित्य
- दोहाकोष – सरहपा
- चर्यापद शबरपा
- योगचर्या – डोम्भिपा
जैन साहित्य
- श्रावकाचार – देवसेन
- भरतेश्वर बाहुबली रास – शालिभद्र सूरि
- चन्दन बाला रास -आसगु कवि
- स्थूलिभद्र रास – जिनधर्म सूरि
- रेवंतगिरि रास विजयसेन सूरि
- नेमिनाथ रास – सुमति गणि
नाथ साहित्य
- गोरखनाथ- प्राणसंकली , आत्मबोध , महीन्द्र गोरखबोध
अन्य कवि – काव्य रचनाएं
- जयचन्द प्रकाश – केदार भट्ट
- जयमयंक जस चन्द्रिका- मधुकर कवि
- स्वयंभू – पउमचरिउ
- महापुराण – पुष्पदन्त
- भविष्यत कहा – धनपाल
- संदेस रासक – अब्दुर्रहमान
- शब्दानुशासन- हेमचन्द
- पाहुड़ दोहा – रामसिंह
- उक्ति व्यक्ति प्रकरण- दामोदर शर्मा
- खुसरो की पहेलियाँ, मुकरियाँ, दो सुखने, गजल – अमीर खुसरो
- राउलवेल- रोडा
- वर्णरत्नाकर- ज्योतिरीश्वर ठाकुर
- नल दमयंती कथा – व्यास कवि
आदिकाल की प्रवृत्तियाँ –
- रासो ( चरित काव्य या कथा काव्य ) काव्य की परम्परा
- सिद्ध , जैन , नाथ सम्प्रदाय द्वारा धार्मिक काव्य रचना
- वीर तथा शृंगार रस की प्रधानता
- कल्पना का प्राचुर्य
- राष्ट्रीय भावना का अभाव
- रचनाओं की संदिग्धता
- अपभ्रंश प्रभावित हिन्दी भाषा
- डिंगल – पिंगल काव्य शैलियों का प्रयोग
- प्रबन्ध काव्य व मुक्तक काव्य की रचना
- लोक साहित्य की रचना