Mamta gadyansh- ममता कहानी के गद्यांश -Gyansindhuclasses

Mamta gadyansh- ममता कहानी के गद्यांश

Mamta gadyansh- ममता कहानी के गद्यांश -Gyansindhuclasses are giving You best Question and Answer of Story Mamta Written By Jayshankar Prasad. यहाँ पर जयशंकर प्रसाद जी द्वारा रचित कहानी ममता के गद्यांशो पर आधारित प्रश्नोत्तर दिए जा रहे हैं. यूपी बोर्ड परीक्षा कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में संकलित हैं|

गद्यांश-1 Mamta gadyansh- ममता कहानी के गद्यांश -Gyansindhuclasses

1. रोहतास दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता , सोन नदी के तीक्षण गम्भीर प्रवाह को देख रही है । ममता विधवा थी । उसका यौवन सोन नदी के समान ही उमड़ रहा था । मन में वेदना , मस्तक में आँधी , आँखों में पानी की बरसात लिए , वह सुख के कंटक – शयन में विकल थी ।

वह रोहतास – दुर्गपति के मन्त्री चूड़ामणि की अकेली दुहिता थी , फिर उसके लिए कुछ अभाव होना असम्भव था , परन्तु वह विधवा थी – हिन्दू – विधवा संसार में सबसे तुच्छ निराश्रय प्राणी है – तब उसकी विडम्बना का कहाँ अन्त था ?

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) उपरोक्त गद्यांश में हिन्दू – विधवा की स्थिति कैसी बताई गई है ?
( घ ) ममता कौन थी ? वह क्या देख रही थी ?
( ङ ) ममता का संक्षिप्त परिचय दीजिए ।

गद्यांश-3

2. ” हे भगवान ! तब के लिए ! विपद के लिए ! इतना आयोजन ! परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस ! पिताजी , क्या भीख न मिलेगी ? क्या कोई हिन्दू भू – पृष्ठ पर न बचा रह जाएगा , जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके ? यह असम्भव है । फेर दीजिए पिताजी , मैं कॉप रही हूँ – इसकी चमक आँखों को अन्या बना रही है ।

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) इस गद्यांश में ममता की किस मनोवृत्ति को स्पष्ट किया गया है ?
( घ ) अपने पिता का कौन – सा कृत्य ममता को परमपिता की इच्छा के विरुद्ध लगा?

गद्यांश-4

3. काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति का खण्डहर था। भग्न चूड़ा , तृण गुल्मों से ढके हुए प्राचीन , ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति , ग्रीष्म की चन्द्रिका में अपने को शीतल कर रही थी । जहाँ पंचवर्गीय भिक्षु गौतम का उपदेश ग्रहण करने के लिए पहले मिले थे , उसी स्तूप के भानावशेष की मलिन छाया में एक झोंपड़ी के दीपालोक में एक स्त्री पाठकर रही थी। ” अनन्याश्चिन्तयन्तो मा ये जनाः पर्युपासते- “

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) धर्मचक्र कहाँ स्थित था ?
( घ ) पंचवर्गीय भिक्षु कौन थे ? ये गौतम से क्यों और कहाँ मिले थे ?

गद्यांश-5

3.  अश्वारोही पास आया । ममता ने रुक – रुककर कहा- ” मैं नहीं जानती कि वह शहंशाह था या साधारण मुगल : पर एक दिन इसी झोपड़ी के नीचे वह रहा । मैंने सुना था कि वह मेरा घर बनवाने की आज्ञा दे चुका था । मैं आजीवन अपनी झोपड़ी खो जाने के डर से भयभीत रही । भगवान ने सुन लिया . मैं आज इसे छोड़े जाती हूँ । अब तुम इसका मकान बनाओ या महल में अपने चिर – विश्राम गृह में जाती हूँ ।

( क ) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) वह आजीवन क्यों भयभीत रही ? अथवा आजीवन भयभीत रहने का कारण लिखिए ।
(घ ) ( i ) ‘ शहंशाह ‘ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ?
( ii ) ” चिर – विश्राम – गृह ‘ से क्या आशय है ?

इन सभी प्रश्नों  के उत्तरों के लिए –

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