Mitrata lesson gadyansh

Mitrata lesson gadyansh

Mitrata lesson gadyansh :UP Board Class 10 Hindi Chapter 1 मित्रता (गद्य खंड). Here we have given UP Board high school Hindi.

मित्रता/mitrata || आचार्य रामचंद्र शुक्ल/ Acharya Ramchandra shukla

Mitrata lesson gadyansh
gadyansh

Passage-1

1. लोग ऐसे समय में समाज में प्रवेश करके अपना कार्य आरम्भ करते हैं , जबकि हमारा चित्त कोमल और हर तरह का संस्कार ग्रहण करने योग्य रहता है । हमारे भाव अपरिमार्जित और हमारी प्रवृत्ति अपरिपक्व रहती है । हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं जिसे जो जिस रूप का चाहे उस रूप का करे – चाहे राक्षस बनावे , चाहे देवता । ऐसे लोगों का साथ करना हमारे लिए बुरा है , जो हमसे अधिक दृढ़ संकल्प के हैं । क्योंकि हमें उनकी हर एक बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है । पर ऐसे लोगों का साथ करना और बुरा है , जो हमारी ही बात को ऊपर रखते हैं । क्योंकि ऐसी दशा में न तो हमारे ऊपर कोई दबाव रहता है और न हमारे लिए कोई सहारा रहता है ।

क. उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
ख. गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
ग. लेखक के अनुसार हमें किन लोगों की संगति में नहीं रहना चाहिए।

Passage-2

2. विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है । हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों में हमें दृढ़ करेंगे , दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएंगे , हमारे सत्य , पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे , जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे , तब वे हमें सचेत करेंगे , जब हम हतोत्साहित होंगे , तब हमें उत्साहित करेंगे । सारांश यह है कि वे हमें उत्तमतापूर्वक जीवन – निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंगे । सच्ची मित्रता में उत्तम – से – उत्तम वैद्य की – सी निपुणता और परख होती है , अच्छी – से – अच्छी माता की – सी धैर्य और कोमलता होती ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्न प्रत्येक पुरुष को करना चाहिए ।

क. उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
ख. गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
ग. व्यक्ति को अपने मित्र से क्या उम्मीद करनी चाहिए।
घ. हमें अपने मित्रों से कौन सी आशा रखनी चाहिए या एक सच्चा मित्र किसे कहा गया है?
ङ. लेखक ने सच्चे मित्र की तुलना किससे की है?

Passage-3

3. सुन्दर प्रतिमा , मनभावनी चाल और स्वच्छन्द प्रकृति ये ही दो – चार बातें देखकर मित्रता की जाती है पर जीवन – संग्राम में साथ देने वाले मित्रों में इनसे कुछ अधिक बातें होनी चाहिए । मित्र केवल उसे नहीं करते , जिसके गुणों की तो हम प्रशंसा करें , पर जिससे हम स्नेह न कर सके , जिससे अपने छोटे – मोटे काम तो हम निकालते जाएँ , पर भीतर – ही – भीतर घृणा करते रहे ? मित्र सो पथ – प्रदर्शक के समान होना चाहिए , जिस पर हम पूरा विश्वास कर सके , भाई के समान होना चाहिए , जिसे हम अपना प्रीति – पात्र बना सके हमारे और हमारे मित्र के बीच सच्ची सहानुभूति होनी चाहिए . ऐसी सहानुभूति , जिससे एक के हानि – लाभ को दूसरा अपना हानि – लाभ समझे ।

मित्रता के लिए यह आवश्यक नहीं है कि दो मित्र एक ही प्रकार के कार्य करते हों या एक ही रुचि के हों । इसी प्रकार प्रकृति और आचरण की समानता भी आवश्यक या वांछनीय नहीं है । दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में बरावर प्रीति और मित्रता रही है ।

क. उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
ख. गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
ग. लेखक ने अच्छे मित्र की क्या विशेषताएं बताई हैं अथवा सच्चा मित्र कैसा होना चाहिए।
घ. हमारे और हमारे मित्र के बीच कैसी सहानुभूति होनी चाहिए।

Passage-4

4. मित्र का कर्तव्य इस प्रकार बताया गया है – उच्च और महान कार्य में इस प्रकार सहायता देना , मन बढ़ाना और साहस दिलाना कि तुम अपनी निज की सामर्थ्य से बाहर काम कर जाओ । यह कर्तव्य उसी से पूरा होगा , जो दृढ़ – चित्त और सत्य – संकल्प का हो । इससे हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए , जिनमें हम से अधिक आत्मबल हो । हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना चाहिए , जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था । मित्र हों तो प्रतिष्ठित और शुद्ध हृदय के हों , मृदुल और पुरुषार्थी हों , शिष्ट और सत्यनिष्ठ हों , जिससे हम अपने को उनके भरोसे पर छोड़ सकें और यह विश्वास कर सकें कि उनसे किसी प्रकार का धोखा नहीं होगा ।

क. उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
ख. गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
ग. मित्र का कर्त्तव्य स्पष्ट कीजिए ।
अथवा अच्छे मित्र का क्या कर्त्तव्य होना चाहिए ?
अथवा मित्र का कर्त्तव्य कैसा होना चाहिए ?

Passage-5

5. कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है । यह केवल नीति और सदवृत्ति ही नाश नहीं करता , बल्कि बुद्धि का भी आय करता है । किसी युवा पुरा की संगति यदि बुरी होगी तो वह उसके पैरों में बँधी चक्की के समान होगी , जो उसे दिन – प्रतिदिन अवनति के गहढे में गिराती जाएगी और यदि अच्छी होगी तो सहारा देने वाली बाहु के समान होगी जो उसे निरन्तर उन्नति की ओर उठाती जाएगी ।

क. उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
ख. गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
ग. युवा पुरुष की संगति के बारे में क्या कहा गया है ?
घ. युवा पुरुष की संगति यदि बुरी होगी तो उसका क्या परिणाम होगा

( ii ) अच्छी संगति के लाभों का वर्णन कीजिए ।
( ii ) कुसंग का क्या प्रभाव होता है ?
(Iii) कुसंग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर किस प्रकार पड़ता है ?
ङ. गद्यांश का साहित्यिक सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए ।
च. कुसंग और अच्छी संगति में क्या अन्तर है ?

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