Ramchandra shukla jeevan parichay

आचार्य रामचंद्र शुक्ल /Acharya Ramchandra Shukla

Ramchandra shukla jeevan parichay: जीवन परिचय: Up Board Exam Acharya Ramchandra Shukla ka Jeevan parichay aur kritiyan. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय and Biography of  Ram Chandra Shukla for UP Board exam.

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय Ramchandra shukla jeevan parichay: जीवन परिचय:

प्रसिद्ध आलोचक , निबंधकार एवं साहित्यकार इतिहासकार रहे और आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का जन्म सन 1884 ईस्वी में बस्ती जिले के अगोना नामक ग्राम में हुआ था । पिता का नाम चंद्रबली शुक्ल था | आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने हाई स्कूल की परीक्षा मिशन स्कूल मिर्जापुर से उत्तीर्ण की|  इंटरमीडिएट की परीक्षा अंतिम वर्ष में ही छूट गई थी । शुक्ल जी ने मिर्जापुर के न्यायालय में नौकरी कर ली किंतु किसी कारण से छोड़ दी ।

      बाद में मिर्जापुर के मिशन स्कूल में चित्रकला के अध्यापक हो गए । स्वाध्याय से इन्होंने हिंदी अंग्रेजी संस्कृत बंगला आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया । पत्र – पत्रिकाओं में लिखना आरंभ कर दिया बाद में इनकी नियुक्ति हुई |

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक पद पर हो गई। बाबू श्यामसुंदर दास के पश्चात आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी हिंदी विभाग के अध्यक्ष बने । इसी पद पर कार्य करते हुए सन 1941 में हिंदी साहित्य का यह आलोचक पंचतत्व में लीन हो गया ।

कृतित्व (Kritiyan)

      आचार्य रामचंद्र शुक्ल मूर्धन्य आलोचक , श्रेष्ठ निबंधकार थे | वे  निष्पक्ष इतिहासकार महान शैलीकार एवं युग प्रवर्तक आचार्य थे । इन्होंने अनेक आलोचनाएं लिखी | इनकी विद्वता के कारण ही ‘ हिंदी शब्द सागर ‘ के संपादन कार्य में सहयोग के लिए इन्हें बुलाया गया । आलोचना इनका मुख्य एवं प्रिय विषय था | हिंदी साहित्य का इतिहास लिख कर इतिहास लेखन की परंपरा का सूत्रपात किया ।

चिंतामणि भाग 1 और 2 , विचारवीथी

  • इतिहास ग्रंथ  – हिंदी साहित्य का इतिहास
  • आलोचना ग्रंथ सूरदास & रस मीमांसा और  त्रिवेणी (संपादन कार्य) जायसी ग्रंथावली एवं  तुलसी ग्रंथावली  तथा भ्रमरगीत सार , हिंदी शब्द सागर + काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका+ आनंद कादंबिनी * कहानी : 11 वर्ष का समय
  • काव्य कृति = अभिमन्यु वध की रचना की ।
  • मेगास्थनीज का भारतवर्षीय विवरण & आदर्श जीवन कल्याण का आनंद तथा  विश्व प्रबंध व  बुद्धचरित ( काव्य ) आदि प्रमुख हैं|
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