Samas in Hindi Grammar|| समास परिभाषा व भेद और उदाहरण – हिन्दी व्याकरण (समास)

अव्ययीभाव, द्विगु,  द्वंद्व , कर्मधारय, तत्पुरुष, बहुब्रीहि  समास परिभाषा एवं उदाहरण

Samas in Hindi Grammar|| समास परिभाषा व भेद और उदाहरण, Hindi Grammar Samas यहाँ पर समास के भेद, समास की परिभाषा,  समास के उदाहरण आदि दिए जा रहे हैं |

Samas in Hindi Grammar|| समास परिभाषा व भेद और उदाहरण - हिन्दी व्याकरण (समास)
Samas in Hindi Grammar|| समास परिभाषा व भेद और उदाहरण – हिन्दी व्याकरण (समास)

हिद्नी व्याकरण समास

परिभाषा: –

  समास का शाब्दिक अर्थ – ‘ संक्षेपीकरण ‘ ।

दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं |

समास में पद – दो पद होते हैं:

(1) पूर्वपद

(2) उत्तरपद

समस्त पद या सामासिक पद:-

 समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है । इसे समस्त पद भी कहते हैं |

जैसे-   मनचाहा

समास विग्रह –

सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करना समास – विग्रह होता है ।

जैसे-  मनचाहा |

  प्रधान खंड –

जिस पर अर्थ का मुख्य बल पड़ता है  प्रधान हैं,

जैसे- जैसे- प्रतिदिन में  ‘प्रति’।

अप्रधान/गौण खंड –

जिस खंड पर अर्थ का बल नहीं पड़ता है।

जैसे- प्रतिदिन में  ‘दिन’।

पहचान

अव्ययी भाव समास में = पूर्वपद प्रधान होता है ।

तत्पुरुष समास में = उत्तरपद प्रधान होता है ।

कर्मधारय समास में =उत्तरपद प्रधान होता है ।

द्विगु समास में = उत्तरपद प्रधान होता है ।

द्वन्द्व समास में = दोनों पद प्रधान होता है ।

बहुव्रीहि समास में = दोनों पद अप्रधान होते हैं / अन्य पद प्रधान।

 ( 1 ) अव्ययीभाव समास-

जिस समास में पूर्वपद अव्यय हो , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं ।

  • यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
  • आमरण = मरण तक
  • प्रतिदिन = दिन दिन
  • अनुरुप = रूप के योग्य
  • यथाक्रम = कर्म के अनुसार
  • भरपेट = पेट भर
  • यथाक्रम = क्रम के अनुसार
  • यथासंभव = संभावना के अनुसार
  • यथासाध्य = साध्य के अनुसार
  • आजन्म = जन्म तक
  • आमरण = मरण तक
  • यावतजीवन = जब तक जीवन है
  • व्यर्थ = बिना अर्थ का

( 2 ) तत्पुरुष समास- जिस समास में पूर्वपद विशेषण व उत्तर पद विशेष्य होता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है ।

अनेक बार दोनों पदों के मध्य आने वाला ‘ पूरा शब्द समूह ‘ ( परसर्ग की तरह लुप्त हो जाता है ,

जैसे दही + बड़ा = दही में डूबा हुआ बड़ा में

तत्पुरुष समास दो प्रकार से बनते हैं-

 ( 1 ) संज्ञा + संज्ञा के समास से

जैसे – युद्ध का क्षेत्र – युद्धक्षेत्र

स्नान के लिए गृह – स्नानगृह

( 2 ) संज्ञा + क्रियामूलक शब्द से

जैसे- शरण में आगत- शरणागत

पथ से भ्रष्ट – पथभ्रष्ट

 ” विशेष – समस्त पद बनाते समय विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है तथा इसके विपरीत समास विग्रह के अन्तर्गत विभक्ति चिह्नों ‘ से ‘ में ‘ पर ‘ ऊपर ‘ को ‘ आदि का प्रयोग किया जाता है । संस्कृत से हिंदी में कुछ ऐसे समास भी आ गए हैं जिनसे कुछ विशिष्ट नियमों के कारण संस्कृत की विभक्तियों का लोप नहीं होता ।

जैसे – मृत्यु को जीतने वाला मृत्युंजय ( शिव )

विश्व को भरने वाला – विश्वंभर ( ईश्वर )

उदाहरण –

  • कर्म-
    • गिरहकट = गिरह को काटने वाला ।
    • स्वर्गवास = स्वर्ग को प्राप्त
  • करण
    • मनचाहा = मन से चाहा ।
    • बिहारी रचित = बिहारी द्वारा रचित
  • सम्प्रदान –
    • रसोईघर = रसोई के लिए घर ।
    • मार्गव्यय = मार्ग के लिए व्यय
    • ऋणमुक्त = ऋण से मुक्त
  • अपादान-
    • देशनिकाला देश से निकाला
  • सम्प्रदान –
    • गंगाजल = गंगा का जल
    • दीनानाथ = दीनों के नाथ
  • अधिकरण –
    • नगरवास = नगर में वास
    • आपबीती = आप पर बीती ।
  • नञ् समास- जिस शब्द में ‘ न ‘ के अर्थ में ‘ अ ‘ अथवा ‘ अन ‘ का प्रयोग हो , वह ‘ नञ् तत्पुरुष समास ‘ कहलाता है । जैसे-
    • असभ्य = न सभ्य
    • अनन्त = न अन्त
    • अभाव = न भाव
    • असम्भव = न सम्भव

( क ) कर्मधारय समास –

जिस सामासिक पद का उत्तर पद प्रधान हो और पूर्वपद का उत्तरपद में विशेषण विशेष्य अथवा उपमान उपमेय का संबंध हो, वह कर्मधारय समास कहलाता है ।

Note- हिन्दी में कभी – कभी विशेष्य पहले तथा विशेषण बाद में भी आ सकता है|

जैसे –

  • पुरुषोत्तम
    • पुरुष ( संज्ञा ) + उत्तम ( विशेषण )
  • ऋषिवर
    • ऋषि (विशेषण) + वर( संज्ञा )
  • परमानन्द = परम है जो आनन्द
  • नीलकंठ = नीला है जो कंठ
  • महात्मा = महान है जो आत्मा
  • नीलकंठ = नीला कण्ठ
  • नीलकमल = नीला है जो कमल
  • पीतांबर = पीत है जो अम्बर
  • महादेव = महान है जो देव
  • नीलगाय = नीली है जो गाय

( ख ) द्विगु समास –

जिस  का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं । इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है ।

  • तिराहा = ति ( तीन ) तीन राहों का समूह
  • चौमासा = चौ ( चार ) चार मासों का समूह
  • नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
  • दोपहर = दो पहरों का समाहार

अलुक् तत्पुरुष : जिस समास में पहले शब्द के बाद कारक – चिह्न , किसी – न – किसी रूप में विमान रहता है उसे अलुक् तत्पुरुष हैं ।

जैसे- ‘ मृत्युंजय ‘ में पहला शब्द केवल मृत्यु नहीं है ‘ मृत्युम् ‘ है अर्थात् संस्कृत के कर्म कारक की विभक्ति म् मौजूद हैं , अतः मृत्युंजय अलुक् तत्पुरुष है ।

इनके विग्रह हिंदी में इस प्रकार होते हैं

      • मृत्युंजय
      • धनञ्जय
      • मनसिज
      • ऊटपटांग
      • बृहस्पति

उपपद तत्पुरुष :

जिनका बाद वाला शब्द भाषा में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त नहीं होता और प्रत्यय की तरह किसी अन्य शब्द के साथ ही आता है ,

जैसे-  ज, ग, द, कार , चर , ज्ञ आदि शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयोग में नहीं आते किन्तु समास शब्दों के निर्माण में सहायक होते हैं ।

इनमें-  दिनकर , जलज , जलद , स्वर्ग , तटस्थ , – नभचर , खग , महीप , स्वस्थ आदि शब्द विशिष्ट अर्थ रखने के कारण बहुव्रीहि भी हैं ।

लुप्तपद तत्पुरुष-

किसी के पद ही लुप्त हो जाएँ तो वह लुप्तपद तत्पुरुष कहलाता है , उसका विग्रह इस प्रकार होता है

    • तुलादान = तुला के बराबर करके दिया जाने वाला दान
    • मालगाड़ी = माल ढोने वाली गाड़ी
    • वनमानुष = वन में रहने वाला मानुष
    • पर्णशाला = पर्ण से बनी शाला
    • व्यर्थ = जिसका अर्थ चला गया हो
    • जलकुंभी = जल में उत्पन्न होने वाली कुंभी
    • मधुमक्खी= मधु एकत्र करने वाली मक्खी
    • जलपोत = जल पर चलने वाला पुत्र
    • अश्रुगैस = आंसू लाने वाली गाय
    • जलयान = जल पर चलने वाला यान
द्वन्द्व समास-

इस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर  और ‘, ‘ अथवा या ‘ एवं ‘ लगता है , वह द्वन्द्व समास कहलाता है ।

  • आगा -पीछा = आधा और पीछा
  • खरा- खोंटा= खरा या खोटा
  • दाल- भात = दाल और भात
  • मां-बाप = मां और बाप
  • आचार -विचार= आचार और विचार
  • पाप- पुण्य = पाप और पुण्य
  • गंगा- यमुना = गंगा और यमुना
  • भाई-बहन = भाई और बहन
  • घास -फूस = घास और फूल
  • अन्न-जल = अन्न और जल
  • हरिहर = हरि और हर
  • दाल- रोटी = दाल और रोटी
  • रुपया -पैसा = रुपया और पैसा
  • देवासुर = देव और असुर
  • साग – पात= साग और पात
  • राम – लक्ष्मण = राम लक्ष्मण
  • दिवरात्रि = दिन और रात्रि
  • जय – पराजय = जय और पराजय
  • हानि- लाभ= हानि और लाभ

द्वंद समास के मुख्य रूप से तीन भेद होते हैं-

  1. इतरेतर द्वंद्व
  2. समाहार द्वंद्व
  3. वैकल्पिक द्वंद

◆ बहुव्रीहि समास :-

जिस सामासिक शब्द के दोनों पद प्रधान न  यानी अन्य पद प्रधान हो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं।  जैसे –

  • नीलकंठ = नीलकंठ है जिसका अर्थात शिव
  • चक्रपाणि = चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात विष्णु
  • चंद्रमौलि= चंद्र है सिर पर जिसके अर्थात शंकर।
  • गजानन = गज का है आनन जिसका अर्थात गणेश

बहुव्रीहि के तीन निम्नलिखित भेद हैं-

  1. समानाधिकरण
  2. व्यधिकरण
  3. तुल्ययोग
  4. व्यतिहार

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न

  1. पर्णशाला में कौन सा समास है ?
    1. तत्पुरुष
    2. कर्मधारय
    3. बहुव्रीहि
    4. द्वंद
  1. बारहसिंघा में कौन सा समास है?
    1. बहुव्रीहि समास
    2. तत्पुरुष समास
    3. कर्मधारय समास
    4. द्विगु समास
  2. परमानंद में कौन सा समास है ?
      1. कर्मधारय
      2. द्विगु
      3. बहुब्रीहि
      4. तत्पुरुष
  1. निशाचर पद में कौन सा समास है?
    1. तत्पुरुष समास
    2. बहुव्रीहि समास
    3. द्विगु समास
    4. द्वंद्व समास
  2. यथाशक्ति में कौन सा समास है ?
    1. अव्ययीभाव
    2. तत्पुरुष समास
    3. द्विगु समास
    4. A B दोनों
  3. पीतांबर में कौन सा समास है ?
    1. तत्पुरुष समास
    2. बहुव्रीहि समास
    3. द्विगु समास
    4. द्वंद्व समास
  4. नीलांबर में कौन सा समास है
    1. तत्पुरुष समास
    2. बहुव्रीहि समास
    3. कर्मधारय समास
    4. द्वंद्व समास
  1. रसोईघर में कौन सा समास है?
    1. करण तत्पुरुष
    2. संप्रदान तत्पुरुष
    3. अपादान तत्पुरुष
    4. अधिकरण तत्पुरुष
  2. सद्धर्म में कौन सा समास है?
    1. कर्मधारय समास
    2. तत्पुरुष समास
    3. अव्ययीभाव समास
    4. बहुव्रीहि समास
  1. अधपका में कौन सा समास है
    1. कर्मधारय समास
    2. तत्पुरुष समास
    3. अव्ययीभाव समास
    4. बहुव्रीहि समास
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