Shringar ras ki paribhasha udaharan- शृंगार रस

श्रृंगार रस  /SHRINGAR RAS / sringar ras 

Shringar ras ki paribhasha udaharan- शृंगार रस रस – परिभाषा, भेद और उदाहरण – हिन्दी व्याकरण, Ras in Hindi Ras (रस)- रस क्या होते हैं? रस की परिभाषा . UP Board  All Class Hindi रस. Gyansindhuuclasses are presented Here Ras Class 10th | Ras Hindi Grammar, Ras ki Paribhasha, Examples, Question Answer and Ras Hindi Grammar (रस), Ras Class 10 Explanation, Notes.ras hindi

परिभाषा –  जब विभाव , अनुभाव और व्यभिचारी के संयोग से रति ‘ नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत हो , तो उसे ‘ शृंगार ‘ रस कहते हैं ।

शृंगार रस के दो पक्ष होते हैं –

( क ) संयोग शृंगार – जहाँ प्रेमी प्रेमिका की संयोग दशा में प्रेम का चित्रण , मधुर वार्तालाप , दर्शन , स्पर्श आदि का वर्णन हो , उसे ‘ संयोग ‘ शृंगार कहते हैं ।

उदाहरण-

कर मुंदरी की आरसी , प्रतिबिम्बित प्यौ पाइ ।

पीठ दिये निधरक लखै , इकटक दीठि लगाइ ।

स्पष्टीकरण : – प्रस्तुत उदाहरण में ‘ संयोग ‘ शृंगार रस है ।

स्थायी भाव – रति । आश्रय – नवोढा वधू ।

आलम्बन – प्रियतम ( नायक ) ।

उद्दीपन – प्रियतम का प्रतिबिम्ब ।

अनुभाव – एक टक से प्रतिबिम्ब को देखना ।

व्यभिचारी भाव – हर्ष , औत्सुक्य ।

( ख ) विप्रलम्भ ( वियोग ) शृंगार – जहाँ प्रेमी और प्रेमिका की वियोग दशा में प्रेम का चित्रण तथा विरह वेदना का रसमय वर्णन हो , उसे ‘ विप्रलम्भ ‘ शृंगार कहते हैं ।

उदाहरण-

हौं ही बोरी विरह बस , के बोरों सब गाउँ ।

कहा जानिए कहत हैं , ससिहि सीतकर नाउँ ।

स्पष्टीकरण – उपर्युक्त उदाहरण में ‘ विप्रलम्भ ‘ शृंगार रस है ।

स्थायी भाव – रति । आश्रय – विरहिणी नायिका ।

आलम्बन – प्रियतम ( नायक ) ।

उद्दीपन – चन्द्रमा , चाँदनी ।

अनुभाव – अश्रु , स्वेद आदि ।

व्यभिचारी भाव – विषाद , आवेग , दैन्य आदि ।

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