सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘ अज्ञेय ‘ जीवन एवं साहित्यिक परिचय
UP Board Chapter 10 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय साहित्यिक परिचय| Agyey Jeevan & Sahityik Parichay- इसमें यूपी बोर्ड हिंदी साहित्यिक /सामान्य हिंदी 12 हेतु पाठ UP Board Chapter सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय साहित्यिक परिचय| Agyey Jeevan & Sahityik Parichay Hindi Anuvad का Hindi संस्कृत Chapter UP Board Chapter सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय साहित्यिक परिचय| Agyey Jeevan & Sahityik Parichay दिया जा रहा है, बोर्ड परीक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
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Subject / विषय | General & Sahityik Hindi / सामान्य & साहित्यिक हिंदी |
Class / कक्षा | 12th |
Chapter( Lesson) / पाठ | Chpter -10 Hindi Kavyanjali (हिंदी काव्यांजलि) |
Topic / टॉपिक | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय साहित्यिक परिचय| Agyey Jeevan & Sahityik Parichay |
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All Chapters/ सम्पूर्ण पाठ्यक्रम | सामान्य हिंदी || साहित्यिक हिंदी |
अज्ञेय जी का साहित्यिक परिचय
जीवन परिचय —
‘ अज्ञेय ‘ का जन्म सन् १ ९ ११ ई . में लाहौर के करतारपुर नामक ग्राम में हुआ है । इनके पिता हीरानन्द शास्त्री प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता थे । बाल्यावस्था से ही ये अपने पिता के साथ पुरातत्वीय खोजों में लिप्त रहे । इस कारण एकान्त के अभ्यासी हो गए थे ।
इन्होंने घर पर ही प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत शिक्षा के साथ प्रारम्भ की । इसके बाद इन्होंने फारसी और अंग्रेजी का अध्ययन भी घर पर ही किया । मद्रास तथा लाहौर से इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की । विज्ञान स्नातक होने के बाद जब ये एम . ए . कर रहे थे तभी क्रान्तिकारी षड्यन्त्रों में भाग लेने के कारण ये गिरफ्तार कर लिए गए और सन् १ ९ ३० से १ ९ ३४ तक जेल में रहे । बाद में एक वर्ष इनको घर में ही नजरबन्द रहना पड़ा ।
साहित्यिक परिचय
सन् १ ९ ४३ ई . और १ ९ ४६ ई . में इन्होंने सेना में भर्ती होकर असम – बर्मा सीमान्त पर और युद्ध समाप्त हो जाने पर पंजाब – पश्चिमोत्तर सीमान्त पर एक सैनिक के रूप में सेवा की । सन् १ ९ ५५ में ये यूनेस्को वृत्तिप्राप्त कर यूरोप चले गए । कुछ समय तक ये अमेरिका में भारतीय संस्कृति और साहित्य के प्राध्यापक भी रहे । जोधपुर विश्वविद्यालय में ये तुलनात्मक साहित्य तथा भाषा अनुशीलन विभाग के निदेशक रहे । वर्षों तक ये दिल्ली से ‘ नया प्रतीक ’ निकालते रहे । इन्होंने सन् १ ९ ४३ में ‘ तार सप्तक ‘ का प्रकाशन करके हिन्दी कविता में नवीन आन्दोलन चलाया । इनके उपन्यास और कहानियां उच्चकोटि की हैं । पत्रकार के रूप में इनको पर्याप्त सम्मान मिला । सन् १ ९ ८७ में इनका देहान्त हो गया । अज्ञेय जी की कृति ‘ कितनी नावों में कितनी बार ‘ को ‘ भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार ‘ प्राप्त हुआ है ।
कृतियां –
१. उपन्यास – ( १ ) शेखर एक जीवनी ( दो भाग ) , ( २ ) नदी के द्वीप , ( ३ ) अपने – अपने अजनबी ।
२. कहानी संग्रह – ( १ ) विपथगा , ( २ ) जयदोल , ( ३ ) शरणार्थी , ( ४ ) कोठरी की बात , ( ५ ) तेरे ये प्रतिरूप , ( ६ ) अमरबल्लरी |
३. निबन्ध संग्रह – ( १ ) त्रिशंकु , ( २ ) आत्मनेपद , ( ३ ) हिन्दी साहित्य : एक आधुनिक परिदृश्य , ( ४ ) सब रंग और कुछ राग , ( ५ ) लिखि कागद कोरे ।
४. आलोचना– ( १ ) हिन्दी साहित्य : एक आधुनिक परिदृश्य , ( २ ) तार – सप्तकों की भूमिकाएं ।
५. यात्रावृत्त – ( १ ) अरे यायावर रहेगा याद , ( २ ) एक बूंद सहसा उछली ।
६. नाटक – ( १ ) उत्तर प्रियदर्शी |
७. काव्य संग्रह – ( १ ) चिन्ता , ( २ ) इत्यलम , ( ३ ) अरी ओ करुणा प्रभामय , ( ४ ) हरी घास पर क्षण भर , ( ५ ) बावरा अहेरी , ( ६ ) इन्द्रधनुष रौंदे हुए से , ( ७ ) कितनी नावों में कितनी बार , ( ८ ) सुनहरे शैवाल |