UP Board Solution Of Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय – Yourope me Rashtravad ka Uaday (The Rise of Nationalism in Europe)

UP Board Solution Of Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय – Yourope me Rashtravad ka Uaday (The Rise of Nationalism in Europe) MCQ Long and Short Answer Type Questions

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UP Board Solution Of Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय - Yourope me Rashtravad ka Uaday (The Rise of Nationalism in Europe) MCQ Long and Short Answer Type Questions

                  लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Laghu Uttariya Prashn)

प्रश्न1.फ्रांस की क्रान्ति कब हुई? इसका मुख्य कारण क्या था ?

उत्तर फ्रांस की क्रान्ति 1789 ई. में लुई 16वें के शासनकाल में हुई। फ्रांस की क्रान्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

दोषयुक्त शासन व्यवस्था – फ्रांस की क्रान्ति का प्रमुख कारण वहाँ की दोषपूर्ण शासन व्यवस्था थी। राजा देश का प्रधान था और वास्तु अनुसार आचरण करता था। शासन के अन्तर्गत करों की वसूल करने की प्रणाली भी अत्यधिक दोषपूर्ण थी। राज्य स्वयं अपने अधिकारों द्वारा कर वसूल नहीं करता था। अपितु यह अधिकार सबसे अधिक बोली देने वाले व्यक्ति को दिया जाता था, जिसने फ्रांस के लोगों में असन्तोष की भावना को प्रबल किया।

सामाजिक असमानता – फ्रांस की क्रान्ति का एक महत्त्वपूर्ण कारण सामाजिक असमानता थी। फ्रांस की क्रान्ति के समय फ्रांसीसी समाज में अत्यधिक असमानता व्याप्त थी। समाज दो वर्गों में विभाजित थे- प्रथम वर्ग में कुलीन तथा पादरी वर्ग आता था, जो करों का भुगतान नहीं करता था, जबकि दूसरे वर्ग में किसान तथा अन्य श्रमिक आते थे, जो अत्यधिक करों का भुगतान करते थे तथा उनकी सामाजिक स्थिति भी ठीक नहीं थी

प्रश्न 2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने क्या कदम उठाए ? gyansindhuclasses.com

उत्तर फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने आरम्भ से ही ऐसे कदम उठाए, जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना उत्पन्न हो सके। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए

.पितृभूमि तथा नागरिक जैसी विचारधारा ने संयुक्त समुदाय पर बल दिया। इसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्रदान किए गए

.नया तिरंगा चुना गया तथा इसे पूर्व राष्ट्रध्वज का स्थान दिया गया। स्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा। इसका नाम परिवर्तित कर नेशनल असेम्बली कर दिया गया। शहीदों का गुणगान किया गया, नई स्तुतियाँ रची गईं तथा शपथ ली गई, ये सभी राष्ट्र के नाम पर की गईं।

.केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की गई, जिसके तहत अपने भू-भाग पर रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए गए।

.आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार नापने की एक समान व्यवस्था भी स्थापित की गई। पेरिस में फ्रेंच जैसी भाषा बोली या लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की संयुक्त भाषा बन गई और क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया।

प्रश्न 3. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को अधिक कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?

उत्तर.अपने शासन वाले क्षेत्रों के शासन को अधिक कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्न बदलाव किए थे

.नेपोलियन संहिता द्वारा जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए तथा इनके स्थान पर कानून के समक्ष बराबरी और सम्पत्ति के अधिकारों को सुरक्षित बनाया गया। सभी क्षेत्रों में समान कर व्यवस्था लागू की गई। कलाकारों, विद्वानों और देश

.भक्तों को सम्मानित किया गया। इस संहिता को फ्रांसीसी नियन्त्रण के आधीन क्षेत्रों में भी लागू किया गया।

प्रश्न 4. फ्रांसीसी क्रान्ति की उन घटनाओं का उल्लेख कीजिए, जिन्होंने यूरोप के अन्य भागों से सम्बन्ध रखने वाले लोगों को प्रभावित किया था।

उत्तर.फ्रांसीसी क्रान्ति की कुछ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं, जिन्होंने यूरोप के अन्य भागों से सम्बन्ध रखने वालों को भी अत्यधिक प्रभावित किया था

निरंकुश शासन से मुक्ति – फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने क्रान्ति के समय यह घोषणा की कि फ्रांसीसी राष्ट्र का यह भाग्य और लक्ष्य था कि वह यूरोप के लोगों को निरंकुश शासकों से मुक्त कराए।

जैकोबिन क्लबों की स्थापना करना – जब फ्रांस की घटनाओं की खबर यूरोप के विभिन्न शहरों में पहुँची, तो छात्र तथा शिक्षित मध्य वर्गों के अन्य सदस्य जैकोबिन क्लबों की स्थापना करने लगे।

नेपोलियन का उदय और उसका प्रभाव – फ्रांसीसी क्रान्ति द्वारा निर्मित की गई परिस्थितियों ने नेपोलियन के लिए मार्ग खोल दिया, जिसके कारण उसने यूरोप की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अनेक कदम उठाए ।

प्रश्न 5. “अनेक यूरोपीय देशों में पढ़े-लिखे मध्यवर्ग के नेतृत्व में क्रान्ति 1848 ई. में आरम्भ हो गई थी।” उपयुक्त उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर.1848 ई. में अनेक यूरोपीय देशों में पढ़े लिखे मध्यवर्ग के नेतृत्व में क्रान्ति आरम्भ हो गई थी। इस सन्दर्भ में निम्नलिखित उदाहरण देखे जा सकते हैं ब्रूसेल्स में विद्रोह – फ्रांस में हुए विद्रोह ने सेल्स में भी विद्रोह भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप यूनाइटेड किंगडम ऑफ नीदरलैण्ड से बेल्जियम अलग हो गया। फ्रांस में विद्रोह – फ्रांस में पहला विद्रोह जुलाई, 1830 में हुआ था। नेपोलियन के बाद जब बूब राजा, जिन्हें रूढ़िवादी प्रतिक्रिया के समय सत्ता बहाली किया गया था, उन्हें उदारवादी क्रान्तिकारियों ने भगा दिया तथा इसके स्थान पर एक संवैधानिक राजतन्त्र स्थापित किया गया, जिसका अध्यक्ष लुई फिलिप था ।

यूनानी स्वतन्त्रता – यूनान 15वीं शताब्दी से ही ऑटोमन साम्राज्य का एक भाग था । यूरोप में हो रहे क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति ने यूनानियों को भी स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष (1821) करने पर विवश कर दिया। इस संघर्ष में निर्वासन में रह रहे यूनानियों के साथ पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का भी समर्थन मिला, जो प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे। अन्ततः 1832 ई. में कुस्तुनतुनिया की सन्धि में यूनान को स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दे दी गई।  gyansindhuclasses.com

प्रश्न 6. मेत्सिनी ने यह किस प्रकार महसूस किया कि स्वतन्त्रता संघर्ष में राष्ट्र राज्यों का निर्माण एक आवश्यक कदम है? व्याख्या कीजिए ।    gyansindhuclasses.com

उत्तर.ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक प्रमुख क्रान्तिकारी था। मेत्सिनी कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य भी रहा। चौबीस साल की युवावस्था में लिगुरिया में क्रान्ति करने के लिए उसे बहिष्कृत कर दिया गया तत्पश्चात् उसने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की। पहला मार्सेई में यंग इटली, दूसरा बर्न में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैण्ड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे। मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की इच्छा के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। उसके इस मॉडल की देखा-देखी जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैण्ड और पोलैण्ड में गुप्त संगठन कायम किए गए। मेत्सिनी द्वारा राजतन्त्र का घोर विरोध करके और प्रजातान्त्रिक गणतन्त्रों के अपने स्वप्न से मेत्सिनी ने रूढ़िवादियों को हरा दिया। मैटरनिख ने उसे ‘हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन’ बताया।

प्रश्न 7. मारीआना और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?

उत्तर.मारीआना – यह एक ईसाई लोकप्रिय नाम है, जिसे फ्रांस ने जन राष्ट्र के विचार को रेखांकित करने के लिए नारी रूप में चित्रित किया। अतः फ्रांस ने अपने स्वतन्त्रता के नारी प्रतीक को यही नाम दिया। मारीआना की प्रतिमाएँ सार्वजनिक स्थानी पर लगाई गई, ताकि जनता को राष्ट्रीय एकता एवं प्रतीक का स्मरण होता रहे। मारीआना के चित्र सिक्कों व डाक टिकटों पर भी अंकित किए गए।

जर्मेनिया – यह जर्मन राष्ट्र की नारी रूपक थी जर्मेनिया के प्रत्यक्ष साक्ष्य अभिव्यक्ति के लिए वह बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती हैं, जिसे जर्मन वीरता का प्रतीक माना जाता है। जर्मेनिया के हाथ में जो तलवार दी गई उस पर “जर्मन तलवार जर्मन राइन की रक्षा करती है” अंकित है। जर्मेनिया का चित्र स्वतन्त्रता, न्याय और गणतन्त्र जैसे विचारों को प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त करता है।

प्रश्न 8. 19वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर.19वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास के लिए प्रमुख चार उत्तरदायी कारण निम्नलिखित थे

(i) फ्रांसीसी क्रान्ति का प्रभाव – फ्रांसीसी क्रान्ति 1789 ई. में हुई थी, जिसने विश्वभर में जनतन्त्र का प्रसार किया।

(ii) औद्योगीकरण एवं मध्यवर्ग का प्रभाव – यह प्रक्रियाएँ यूरोप के देशों में नए सामाजिक समूहों को अस्तित्व में लाई उदाहरण के लिए, औद्योगिक श्रमिक व्यवसायी, सेवा क्षेत्र के लोग आदि।

(iii) रूमानीवाद का प्रभाव – 18वीं सदी से यूरोप में रूमानी संस्कृति का प्रादुर्भाव था, जो समाज में एकलयात्मक, साहित्यिक व बुद्धिवादी तथा राष्ट्रवादी

भावनाओं के एक मुख्य रूप का विकास करना चाहते थे।  gyansindhuclasses.com

(iv) उदारीकरण – तत्कालीन समाज में आर्थिक उदारवाद की भावना के साथ-साथ राष्ट्र राज्यों को भी बढ़ावा दिया। उदारवाद व्यक्ति की स्वतन्त्रता और सभी के लिए समान कानून की वकालत करता रहा ।

प्रश्न 9. उदारवादियों की 1848 ई. की क्रान्ति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?

उत्तर.उदारवादियों की 1848 ई. की क्रान्ति का अर्थ राजतन्त्र का अन्त और गणतन्त्र की स्थापना करना था। इस क्रान्ति को लाने में मध्यम वर्ग का बहुत बड़ा योगदान था। यही कारण था कि यहाँ राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन हुए, जो निम्नलिखित थे

सामाजिक क्षेत्र के परिवर्तन – कुलीन वर्गों की अपेक्षा मध्यम वर्ग के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, जिससे कुलीन वर्ग की श्रेष्ठता कम हुई। महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा दिया गया तथा सभी क्षेत्रों में भागीदारी के महत्त्व को भी समझा गया।

आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन – भू-दासता और बंधुआ मजदूरी का अन्त किया गया। 1848 ई. में खाद्य सामग्री का अभाव एवं बढ़ती बेरोजगारी की समस्या के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था। अतः इसके समाधान के लिए उदारवादियों के द्वारा क्रान्ति एवं प्रदर्शन किया गया।

राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन – राजतन्त्र का अन्त कर गणतन्त्र की स्थापना की गई। महिलाओं को राजनैतिक मताधिकार दिए जाने की मांग की जाने लगी। जर्मनी, इटली, पोलैण्ड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्यों में उदारवादी मध्यम वर्गों के स्त्री पुरुषों ने संविधानवाद की अपनी माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ा।

प्रश्न 10. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाइए।

अथवा जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया के बारे में एक संक्षिप्त लेख लिखिए।

उत्तर.1848 ई. के बाद यूरोप में राज्य शक्ति और राजनीतिक वर्चस्व पर अपना प्रभु स्थापित करने के लिए रूढ़िवादियों ने अकसर राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रयोग किया। जर्मनी में मध्यवर्गीय लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावनाएं व्यापक थीं।

1848 ई. में जर्मन सम्प्रदाय के विभिन्न क्षेत्रों को मिलाकर निर्वाचित संसद द्वारा नियन्त्रित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया गया था। प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व किया। प्रशा के प्रमुख मन्त्री ऑटोवॉन बिस्मार्क को इस प्रक्रिया का जनक माना जाता है, जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की सहायता ली थी। जर्मनी के एकीकरण के समय हुई बड़ी घटनाएँ निम्न थीं –

  • ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस के साथ 7 वर्षों तक लड़ा गया युद्ध प्रशा की जीत के साथ समाप्त हो गया और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
  • 18 जनवरी, 1871 ई. को जर्मन राज्यों के शासकों, सेना के प्रतिनिधियों, प्रमुख मन्त्री ऑटोवॉन बिस्मार्क सहित प्रशा के महत्वपूर्ण मन्त्रियों की एक बैठक वर्साय के महल में हुई, जिसमें काइजर विलियम प्रथम की अध्यक्षता में नए जर्मन साम्राज्य की घोषणा की गई थी। .जर्मनी में मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी और न्यायिक प्रणाली के आधुनिकीकरण पर नए राज्य ने बल दिया।

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प्रश्न 11. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दीजिए।

उत्तर यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं

(i) कार्ल कैस्पर फ्रिट्ज का ‘स्वतन्त्रता के वृक्ष का रोपण’ सम्बन्धित चित्र – जर्मन चित्रकार कार्ल कैस्पर फ्रिट्ज़ द्वारा बनाए गए इस रंगीन चित्र का विषय फ्रेंच सेनाओं द्वारा ज्वेब्रकेन शहर पर कब्ज़ा है। अपनी नीली, सफेद और लाल पोशाकों से पहचाने जाने वाले फ्रांसीसी सैनिकों को दमनकारियों के रूप में प्रस्तुत किया है, जो एक किसान की गाड़ी छीनते हुए कुछ युवा महिलाओं को तंग कर रहे हैं और एक किसान को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहे हैं।

(ii) फ्रेडरिक सॉरयू का ‘यूटोपिया’ – 1848 ई. में एक फ्रांसीसी कलाकार फ्रेडरिक सॉरयू ने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इनमें उसने सपनों का एक संसार रचना जो उसके शब्दों में ‘जनतान्त्रिक और सामाजिक गणतन्त्रों” से मिलकर बना था। सभी उम्र के और सामाजिक वर्ग के लोग लंबी कतार में स्वतन्त्रता की प्रतिमा की वन्दना करते जा रहे हैं।

(iii) यूजीन देलानोआ की ‘द मसैकर ऐट किऑस’ – फ्रांसीसी चित्रकार देलानोआ सबसे महत्त्वपूर्ण फ्रेंच रूमानी चित्रकारों में से एक था। यह विशाल चित्र एक घटना को चित्रित करता है।

प्रश्न 12. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताइए कि 19वीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?

उत्तर.19वीं शताब्दी में यूरोप में इटली और जर्मनी दो एकीकृत राष्ट्र बने जिनका विकास निम्नलिखित चरणों में पूर्ण हुआ

(i) जर्मनी राष्ट्र का विकास – 1848 ई. के बाद यूरोप में राज्य शक्ति और राजनीतिक वर्चस्व पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए रूढ़िवादियों ने अकसर राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रयोग किया। जर्मनी में मध्यवर्गीय लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावनाएं व्यापक थी। 1848 ई. में जर्मन सम्प्रदाय के विभिन्न क्षेत्रों को मिलाकर निर्वाचित संसद द्वारा नियन्त्रित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया गया था। प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व किया। प्रशा के प्रमुख मन्त्री ऑटोनॉन बिस्मार्क को इस प्रक्रिया का जनक माना जाता है, जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की सहायता ली थी।

(ii) इटली का एकीकरण – 19वीं सदी के मध्य में इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था, जिनमें से केवल सार्डिनिया पीडमॉण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासन था। इसके उत्तरी भाग पर ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्ग, मध्य क्षेत्र पर पोप तथा दक्षिणी क्षेत्र स्पेन यूर्वी शासकों के अधीन था। यहाँ की इतालवी भाषा ने साझा रूप प्राप्त नहीं किया था। इटली के एकीकरण में यहाँ के प्रमुख व्यक्तियों ने योगदान दिया था।

प्रश्न 13. यूरोप में संस्कृति के माध्यम से राष्ट्रवाद का विकास किस प्रकार हुआ? स्पष्ट कीजिए।

अथवा यूरोप में राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में संस्कृति की क्या भूमिका थी? व्याख्या करें।

उत्तर.यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्धों या क्षेत्रीय विस्तार से नहीं हुआ, बल्कि संस्कृति ने भी इस विकास को विस्तार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका वर्णन इस प्रकार है

रूमानीबाद – रूमानीवाद एक ऐसा आन्दोलन था, जो लोगों में एक विशेष प्रकार की भावना का विकास करना चाहता था। रूमानी कलाकार और कवियों ने तर्क एवं विज्ञान के महत्त्व की आलोचना की और उसकी जगह भावनाओं, अन्तर्दृष्टि और रहस्यवाद पर अधिक बल दिया। इनका मत था कि एक साझा संस्कृति को ही राष्ट्र का आधार बनाया जाए।

राष्ट्रीय भावना – भाषा एवं बोलियाँ तथा संगीत ने राष्ट्रीय भावना के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्थानीय बोलियों के माध्यम से स्थानीय लोक साहित्य को एकत्र किया गया, जिससे आधुनिक राष्ट्रीय सन्देश अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके, जहाँ अधिकांश लोग निरक्षर थे।

भाषा एवं लोक साहित्य – भाषा ने भी राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के बाद पोलिश भाषा का महत्त्व समाप्त कर दिया गया तथा रूसी भाषा को एक हथियार बनाया। पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष में प्रतीक के रूप में देखी जाने लगीं।

प्रश्न 14. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर.ब्रिटेन में भी राष्ट्रवाद का विकास एक लम्बी अवधि एवं संवैधानिक प्रक्रिया द्वारा हुआ। इसे रक्तहीन क्रान्ति के नाम से जाना जाता है। ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप से भिन्न होने के अनेक कारण थे

  1. 18वीं शताब्दी से पहले ब्रिटेन राष्ट्र नहीं, बल्कि यह एक द्वीप समूह था, जिसमें रहने वाले लोगों को अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश कहा जाता था। इनकी पहचान नृजातीय थी।
  2. इन सभी नृजातीयों की अपनी-अपनी सांस्कृतिक एवं राजनीतिक पहचान थी। धीरे-धीरे यहाँ धन-जन, अहमियत और सत्ता की वृद्धि होती गई और यह द्वीप समूह अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगा।
  3. 1688 ई. में एक लम्बे संघर्ष के द्वारा आंग्ल संसद ने द्वीप समूहों से राजतन्त्र की ताकत छीन ली। इस संसद के माध्यम से ही एक नए राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ, जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड रहा।
  4. ब्रिटेन के एकीकरण की प्रक्रिया में इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन (1707) से यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया। इससे इंग्लैण्ड का स्कॉटलैण्ड पर प्रभुत्व स्थापित हो गया। साथ ही ब्रिटेन की संसद में आंग्ल सदस्यों का ही वर्चस्व स्थापित हो गया।
  5. आयरलैण्ड कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेण्ट जैसे दो धार्मिक गुटों में बंटा हुआ था। यहाँ पर अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेण्ट धर्म का समर्थन किया और कैथोलिक देश पर प्रभुत्व स्थापित कर लिया।

प्रश्न 15. यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय में जर्मनी एवं इटली के एकीकरण का योगदान बताइए |

उत्तर.यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय होने के विभिन्न कारक उत्तरदायी थे, जिसमें जर्मनी एवं इटली के एकीकरण की प्रक्रिया ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान निभाया। 1848 ई. के बाद यूरोप में राज्य शामिल और राजनीतिक वर्चस्व पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए रूढ़िवादियों ने हमेशा राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रयोग किया। जर्मनी में मध्यवर्गीय लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावनाएँ व्यापक थीं। 1848 ई. में जर्मन सम्प्रदाय के विभिन्न क्षेत्रों को मिलाकर निर्वाचित संसद द्वारा नियन्त्रित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया गया था।

19वीं शताब्दी के मध्य में इटली को सात राज्यों में विभाजित किया गया था। इनमें से केवल एक राज्य सार्डिनिया पीडमॉण्ट की एक इतालवी राजसी सभा द्वारा शासित किया गया था। संयुक्त इटली की घोषणा 1860 ई. में हुई। सेना (नियमित सैनिकों और सशस्त्र स्वयंसेवकों) ने दक्षिणी इटली और दो सिलासिलियों के राज्य में प्रवेश किया और स्पेनिश किसानों को बाहर निकालने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन जीतने में सफल रही। मार्च 1860 तक पूरे मध्य इतालवी राज्यों को सर्वसम्मति से पीडमॉण्ट के साथ एकजुट किया गया रोम, सार्डिनिया का एक हिस्सा बन गया। इस तरह इटली का अन्तिम एकीकरण भी 1871 ई. में किया गया।

                  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer -Deergh Uttariy Prashn)

प्रश्न 1. राष्ट्रवाद से क्या तात्पर्य है? यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय होने में कौन-सी परिस्थितियाँ सहायक हुईं?

उत्तर.राष्ट्रवाद से तात्पर्य लोगों का एक समूह इतिहास, परम्परा, भाषा, जातीयता या जातिवाद और संस्कृति के आधार पर स्वयं को एकीकृत करने से है। राष्ट्रवाद के आधार पर लोग अपने स्वयं के निर्णयों के आधार पर अपना स्वयं का सम्प्रभु राजनीतिक समुदाय बनाते हैं। यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय होने में निम्न परिस्थितियाँ सहायक सिद्ध हुईं

  • नए माध्यम वर्ग का उदय यूरोप के पश्चिमी और मध्य भागों में औद्योगीकरण के कारण नए सामाजिक समूह श्रमिक वर्ग के लोग और मध्यम वर्गः जैसे उद्योगपति, व्यापारी और सेवा क्षेत्र के लोग अस्तित्व में आए। कुलीनों को प्राप्त विशेषाधिकारों की समाप्ति के पश्चात् शिक्षित और उदारवादियों के मध्य राष्ट्रीय एकता के विचार लोकप्रिय हुए।
  • उदारवाद की विचारधारा का प्रसार नए मध्यम वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ व्यक्तियों के लिए स्वतन्त्रता और कानून के समक्ष सभी को समान अधिकार था। फ्रांस में वोट देने और निर्वाचित करने का अधिकार विशेष रूप से अधिक सम्पत्ति वाले लोगों को दिया गया था। सम्पत्ति विहीन पुरुषों और महिलाओं को इस अधिकार से वंचित रखा गया था। आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजार की आजादी के पक्ष में था। 1834 ई. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन का गठन किया गया, जिसने शुल्क. अवरोध को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी, जो उससे पहले तीस से भी अधिक थी।
  • रूढ़िवाद की नई भावना 1815 ई. में नेपोलियन की हार के बाद यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित थीं। रूढ़िवादियों का मानना था कि राज्य और समाज की स्थापित परम्परागत संस्थाओं; जैसे- राजशाही, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच सम्पत्ति और परिवार को संरक्षित किया जाना चाहिए।
  • क्रान्तिकारियों का उदय यूरोप के अनेक क्षेत्रों में उदारवाद और राष्ट्रवाद क्रांति से जुड़ा हुआ था, जैसे इतालवी और जर्मन राज्य, ऑटोमन साम्राज्य आयरलैण्ड और पोलैण्ड के प्रान्त । प्रथम विद्रोह फ्रांस में जुलाई, 1830 में हुआ। जुलाई क्रान्ति से ब्रूसेल्स में भी एक विद्रोह फैला, जिसने बेल्जियम को यूनाइटेड किंगडम ऑफ द नीदरलैण्ड से अलग कर दिया।

प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के कारणों की समीक्षा करें।

उत्तर – जर्मनी, इटली और स्विट्जरलैण्ड 18वीं शताब्दी के मध्य राजशाहियों, इचियों और कैटनों में विभाजित थे, जिनके शासकों ने अपने स्वायत्त प्रदेशों का निर्माण किया था। उन्होंने एक सामाजिक पहचान या एक आम संस्कृति साझा नहीं की कुछ महत्त्वपूर्ण कारकों ने राष्ट्रवाद को जन्म दिया, जो निम्नलिखित हैं-

  • नए मध्यम वर्ग का उदय 
  • उदारवाद की विचारधारा का प्रसार
  • रूढ़िवाद की नई भावना और वियना की सन्धि
  • क्रान्तिकारियों का उदय

19वीं शताब्दी के दौरान राष्ट्रवाद एक शक्ति के रूप में उभरा, जिसने यूरोप के वंश साम्राज्यों के स्थान पर देश और राज्य के उदय का नेतृत्व किया। फ्रांसीसी क्रान्ति ने आधुनिक राष्ट्रवाद का मार्ग प्रशस्त किया।

फ्रांसीसी क्रान्ति ने पुराने राजशाही आदेश पर सवाल उठाया और एक लोकप्रिय राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया। एक संयुक्त समुदाय के रूप में राष्ट्र पर बल देने के लिए फ्रांसीसी क्रान्ति ने पितृभूमि नागरिक और फ्रांसीसी लोगों के बीच एक फ्रांसीसी ध्वज का विचार दिया। इसने सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून के साथ एक केन्द्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली की शुरुआत की। क्षेत्रीय भाषा की जगह देश की एक सामान्य भाषा के रूप में स्वीकार किया गया।

राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्ध और क्षेत्रीय विस्तार के माध्यम से नहीं हुआ, बल्कि राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। कला, कविता, कहानियाँ और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को व्यक्त करने और आकार देने में सहायता की प्रेमपूर्ण कलाकारों और कवियों ने तर्क-वितर्क और विज्ञान की आलोचना की भावनाओं, अन्तर्ज्ञान और रहस्यमय भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उन्होंने एक राष्ट्र के आधार के रूप में एक साझा सामूहिक विरासत की भावना पैदा करने का प्रयास किया।

प्रश्न 3. 1815 ई. में नेपोलियन की हार के बाद यूरोप में स्थापित रूढ़िवादी शासन की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर.1815 ई. में नेपोलियन की पराजय के बाद यूरोप में रूढ़िवादी शासन स्थापित हुआ, जिसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(i) पारस्परिक संस्थाओं में विश्वास – रूढ़िवादी विचारधारा वाले लोगों का मानना था कि राज्य और समाज द्वारा स्थापित पारम्परिक संस्थाएँ; जैसे राजतन्त्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, सम्पत्ति आदि परिवार को , बनाए रखते हैं।

(ii) आधुनिकीकरण में विश्वास – रूढ़िवादी आधुनिकीकरण में विश्वास करते थे तथा उसका ही समर्थन करते रहे। उनका मत था कि इससे राजतन्त्र

जैसी पारम्परिक संस्थाओं की मजबूती में सहायता मिलेगी।

(iii) निरंकुश शासन व्यवस्था को मजबूती – रूढ़िवादी शासन व्यवस्थाएँ निरंकुश थीं। इनके विचार में एक आधुनिक सेवा, कुशल नौकरशाही, गतिशील अर्थव्यवस्था, सामन्तवाद और भू-दासत्व की समाप्ति – यूरोप के निरंकुश राजतन्त्रों को शक्ति प्रदान कर सकते थे, क्योंकि यह अपने शासन पर किसी की आलोचना सहन नहीं करती थी।

(iv) वियना कांग्रेस – 1815 ई. की वियना कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य नेपोलियन के साथ युद्ध के दौरान हुए सभी बदलावों को समाप्त करना था। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर 1815 ई. में ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियों के प्रतिनिधि यूरोप के लिए एक समझौता तैयार करने के लिए एकत्रित हुए।

(v) नियन्त्रण – रूढ़िवादी शासन व्यवस्था अपनी आलोचना एवं असहमति सहन नहीं कर पाती थी। इन्होंने उन शासन गतिविधियों को दबाने का प्रयास किया, जो निरंकुश सरकारों पर प्रश्न खड़े करें। अधिकांश सरकारों ने सेंसरशिप के नियम भी बनाए, जिनका उद्देश्य अखवारों, किताबों, नाटकों और गीतों में व्यक्त उन बातों पर नियन्त्रण लगाना था।

प्रश्न 4. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा प्रारम्भ किए गए उपायों और कार्यों का विश्लेषण कीजिए |

अथवा यूरोप में फ्रांसीसी क्रान्ति ने राष्ट्रवाद का विकास कैसे किया ? व्याख्या कीजिए |

उत्तर.यूरोप में राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 ई. में फ्रांसीसी क्रान्ति के साथ हुई 1789 ई. में फ्रांस एक ऐसा राज्य था, जिसके सम्पूर्ण भू-भाग पर एक निरंकुश राजा का आधिपत्य था। फ्रांसीसी क्रान्ति से जो राजनीतिक और संवैधानिक बदलाव हुए, उनसे प्रभुसत्ता राजतन्त्र से निकलकर फ्रांसीसी नागरिकों के समूह में हस्तान्तरित हो गई।

क्रान्तिकारियों ने घोषणा की कि अब लोगों द्वारा राष्ट्र का गठन होगा और वे ही उसकी नियति तय करेंगे। फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाए, जिससे फ्रांसीसी लोगों एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो सके; जैसे

.पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया, जिसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।

  • एक नया फ्रांसीसी झण्डा तिरंगा चुना गया, जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली। स्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल असेम्बली कर दिया गया।
  • नई स्तुतियाँ रची गईं, शपथ ली गई, शहीदों का गुणगान हुआ और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।
  • एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई, जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए ।

प्रश्न 5. इटली के एकीकरण में मेत्सिनी, कावूर और गैरीबाल्डी के योगदान का वर्णन कीजिए।

अथवा इटली के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तीन नेताओं के नाम लिखिए।

उत्तर.इटली का राष्ट्रीय एकीकरण आधुनिक यूरोप के इतिहास में महत्त्वपूर्ण घटना है। 19वीं सदी के मध्य में इटली सात राज्यों में बँटा था, जिनमें से केवल एक इतालवी राजघराने के अधीन था। इटली के एकीकरण में देशभक्तों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इन देशभक्तों में गैरीबाल्डी, मेत्सिनी और कावूर का महत्त्वपूर्ण योगदान निम्नलिखित है।

(i) इटली के एकीकरण में मेत्सिनी का योगदान – मेत्सिनी ने इटली को एकीकृत कर गणराज्य बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उसने 1860 के दशक में इटली के एकीकरण हेतु एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसके प्रचार-प्रसार के लिए उसने एक गुप्त संगठन ‘यंग इटली’ बनाया ।

(ii) इटली के एकीकरण में कावूर का योगदान – कावूर एक उच्च शिक्षित फ्रेंच भाषी था, किन्तु वह कट्टर देशभक्त था, उसके कार्यों के विषय में ग्राण्ट एवं टेम्परले के द्वारा यह विचार दिया गया है कि “उसके प्रथम कार्यों में से एक कार्य मिशनरियों का विनाश भी था, परन्तु इटली के एकीकरण ने उसका ध्यान सबसे अधिक आकर्षित किया था।” कावूर ने क्रीमिया के युद्ध में भाग लेकर फ्रांस और इंग्लैण्ड को सहानुभूति प्राप्त की तथा 1858 ई. में नेपोलियन के साथ प्लोम्बियर्स का समझौता किया।

(iii) इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का योगदान – गैरीबाल्डी को इटली की सेना का निर्माता कहा जाता है। इटली के एकीकरण के लिए गैरीबाल्डी ने महत्त्वपूर्ण कार्य किए। गैरीबाल्डी ने सिसली के विद्रोह का लाभ उठाकर उस पर अधिकार कर लिया तथा रोम और वेनेशिया पर आक्रमण करने की योजना तैयार की। इसी समय कावूर ने गैरीबाल्डी पर सन्देह करके पोप के राज्य अब्रिया तथा मार्चेज पर अधिकार कर लिया और नेपोलियन को अपने साथ मिला लिया ! गैरीबाल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या में सशस्त्र स्वयंसेवकों की सेना बनाई गई। गैरीबाल्डी के प्रयासों से 1861 ई. में रोम तथा वेनेशिया को छोड़कर सम्पूर्ण इटली के प्रतिनिधियों ने इटली राज्य की घोषणा की तथा एमैनुअल द्वितीय को इटली का राजा घोषित किया गया।

प्रश्न 6. उदारवादी राष्ट्रवाद का अर्थ बताइए एवं राष्ट्रवाद का उदय किस प्रकार हुआ ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर. 19वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में राष्ट्रीय एकता के विचार उदारवाद की विचारधारा से अधिक जुड़े थे। नएं मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का अर्थ व्यक्तियों के लिए स्वतन्त्रता और कानून के समक्ष सभी को समान अधिकार था। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार-

  1. फ्रांस में वोट देने और निर्वाचित करने का अधिकार विशेष रूप से अधिक सम्पत्ति वाले लोगों को दिया गया था।
  2. सम्पत्ति विहीन पुरूषों और महिलाओं को इस अधिकार से वंचित रखा गया था।
  3. आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजार की आजादी के पक्ष में था। साथ ही यह राज्य द्वारा लगाए गए वस्तुओं और पूँजी के आवागमन पर नियन्त्रण को समाप्त करने के पक्ष में भी था।
  4. 1834 ई. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जौलवेराइन का गठन किया गया। राष्ट्रवाद का विकास केवल युद्ध और क्षेत्रीय विस्तार के माध्यम से नहीं हुआ था, बल्कि राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  5. कला, कविता, कहानियाँ और संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को व्यक्त और आकार देने में. सहायता की। प्रेमपूर्ण कलाकारों ओर कवियों ने तर्क-वितर्क और विज्ञान की महिला की आलोचना की । भावनाओं, अन्तर्ज्ञान और रहस्यमय भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए उन्होंने एक राष्ट्र के आधार पर रूप में एक साझा सामूहिक विरासत की भावना पैदा करने का प्रयास किया।

जर्मन दार्शनिक मोहन गॉटफीड हेडर (1744-1803) ने दावा किया कि आम लोगो के बीच जर्मन संस्कृति निहित थी। वॉक पोलैण्ड, जो अथ एक स्वतन्त्र क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में नहीं था। वह संगति और भाषा के माध्यम से राष्ट्रवादी महसूस कर रहा था ।

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