UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter -1 – Kabir- sakhi कबीर -साखी (काव्य खंड) Kabeer- प्रश्न -उत्तर Gadyansh ke Prashn Uttar-gyansindhuclasses
Chapter -1 – Kabir- sakhi– UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter -1 – Kabir- sakhi- kabir ke doho ki vyakhya adharit prashnottar -kabir chapter ke question and answer – questin-answer.
चैप्टर 1 कबीर पद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क)राम नाम के पटतरे, देबे कौं कछु नाहिं ।
क्या ले गुर संतोषिए, हौंस रही मन माँहि ।।
प्रश्न- (i) गुरु ने कबीर को कौन-सा मंत्र दिया है ?
उत्तर- (i) गुरु ने कबीर को राम नाम का मंत्र दिया है।
प्र.(ii) प्रस्तुत दोहे के रचनाकार का नाम लिखिए।
उ. प्रस्तुत दोहे के रचनाकार कबीर जी हैं।
प्र.(iii) प्रस्तुत दोहे में किस अलंकार की अभिव्यक्ति हुई है ?
उ. प्रस्तुत दोहे में अनुप्रास अलंकार प्रयुक्त हुआ है।
(ख) माया दीपक नर पतँग, भ्रमि-भ्रमि इवैं पड़ंत ।
कहैं कबीर गुर ग्यान थैं, एक आध उबरंत ।।
प्रश्न- (i) कबीर ने मनुष्य और माया को किसका रूपक माना है ?
उत्तर- (i) कबीर ने मनुष्य और माया को पतिंगा और दीपक का रूपक माना है।
प्र.(ii) पतिंगे के समान कौन है ?
उ. कबीर ने व्यक्ति को पतिंगे के समान माना है।
प्र.(iii) ‘कहै कबीर’ और ‘गुरु ज्ञान’ में कौन-सा अलंकार है ?
उ. ‘कहै कबीर’ और ‘गुरु ज्ञान’ में अनुप्रास अलंकार है ।
chpter-1 sakhi – kabirdas
(ग) अंषड़ियाँ झाई पड़ी, पंथ निहारि – निहारि ।
जीभड़ियाँ छाला पड्या, राम पुकारि – पुकारि ।।
प्रश्न- (i) परमात्मा का स्मरण किस प्रकार करना चाहिए ?
उत्तर- (i) परमात्मा का स्मरण सच्ची लगन, सच्चे प्रेम तथा मन की पवित्रता के साथ करना चाहिए।
प्र.(ii) जीवात्मा किसकी प्रतीक्षा में आँखें बिछाये हुए है?
उ. जीवात्मा, परमात्मा की प्रतीक्षा में आँखें बिछाये हुए है।
प्र.(iii) प्रस्तुत दोहे में कौन से अलंकार प्रयुक्त हुए। हैं ?
उ. प्रस्तुत दोहे में पुनरुक्ति और अनुप्रास अलंकार है ।
(घ)झूठे सुख को सुख कहैं, मानत हैं मन मोद।
जगत चना कालका, कछु मुख में कछु गोद ।।
प्रश्न- (i) प्रस्तुत दोहे का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर- (i) प्रस्तुत दोहा कबीर द्वारा रचित है।
प्र.(ii) अज्ञानी व्यक्ति सच्चा सुख किसे समझता है ?
उ. अज्ञानी व्यक्ति सच्चा सुख सांसारिक सुखों को मानता है।
प्र.(iii) उपर्युक्त दोहे में कौन-सा अलंकार है ?
उ. प्रस्तुत दोहे में अनुप्रास एवं रूपक अलंकार की अभिव्यक्ति हुई है।
(ङ)जब मैं था तब हर नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि ।
सब अंधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माँहि ।।
प्रश्न- (i)व्यक्ति को ईश्वर के दर्शन क्यों नहीं होते हैं?
उत्तर- (i) जब तक व्यक्ति अहंकार से युक्त होता है, तब तक ईश्वर के दर्शन नहीं होते हैं।
प्र.(ii) ‘सब अंधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माहिं’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उ. ज्ञानरूपी दीपक का प्रकाश मिल जाने पर अज्ञान रूपी अंधकार मिट जाता है।
प्र.(iii) प्रस्तुत दोहे में कौन-से अलंकार प्रयुक्त हुए हैं?
उ. प्रस्तुत दोहे में अनुप्रास एवं रूपक अलंकार की अभिव्यक्ति हुई है।
chpter-1 sakhi – kabirdas
(च) यह तन काचा कुंभ है, लियाँ फिरै था साथि।
ढबका लागा फूट गया, कछु न आया हाथि ।।
प्रश्न- (i) कबीर ने शरीर की तुलना किससे की है ?
उत्तर- (i) कबीर ने शरीर की तुलना मिट्टी के कच्चे घड़े से की है।
प्र.(ii) प्रस्तुत दोहे के रचनाकार कौन हैं ?
उ. प्रस्तुत दोहे के रचनाकार कबीर जी हैं।
प्र.(iii) “ढबका लागा फूटि गया, कछु न आया हाथि” का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उ. एक ही धक्का लगने से यह टूटकर चूर-चूर हो जायेगा और कुछ भी हाथ नहीं लगेगा ।
(छ) कबिरा कहा गरबियौ, देही देखि सुरंग ।
बीछड़ियाँ मिलिबौ नहीं, ज्यूँ काँचली भुजंग ।।
प्रश्न- (i) प्रस्तुत दोहे में कबीर किस बात पर घमण्ड न करने की सलाह देते हैं ?
उत्तर- (i) कबीर अपने शरीर की सुन्दरता पर घमण्ड न करने की सलाह देते हैं।
प्र.(ii) ‘बीछड़ियाँ मिलिबौ नहीं, ज्यूँ काँचली भुजंग’ का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उ. एक बार केंचुल छोड़ देने के बाद साँप को वह दोबारा प्राप्त नहीं होता है ।
प्र.(iii) ‘कबीर कहा’, ‘देखि देखि ‘ में कौन-सा अलंकार है ? ,
उ. ‘कबीर कहा’ और ‘देही देखि’ में अनुप्रास अलंकार है ।
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