UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter -10– Nagarjun- Badal ko Ghirte dekha hai – पाठ – 10 नागार्जुन – बादल को घिरते देखा है (काव्य खंड) Nagarjun– Badal ko ghirte dekha hai प्रश्न -उत्तर Padyansh ke Prashn Uttar-gyansindhuclasses
UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter -10– Nagarjun- Badal ko Ghirte dekha hai – पाठ – 10 नागार्जुन – बादल को घिरते देखा है (काव्य खंड) Nagarjun– Badal ko ghirte dekha hai प्रश्न -उत्तर Padyansh ke Prashn Uttar-gyansindhuclasses
चैप्टर 10. नागार्जुन -बदल को घिरते देखा है -पद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है।
छोटे मोटे मोती जैसे अतिशय शीतल वारि कणों को
मानसरोवर के उन स्वर्णिम कमलों पर गिरते देखा है।
तुंग हिमालय के कंधों पर छोटी बड़ी कई झीलों के
श्यामल शीतल अमल सलिल में
समतल देशों के आ-आकर
पावस की ऊमस से आकुल
तिक्त मधुर बिसतंतु खोजते, हंसों को तिरते देखा है।
प्रश्न- (i) प्रस्तुत कविता का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर- (i) प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ नागार्जुन द्वारा रचित ‘बादल को घिरते देखा है’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।
प्र.(ii) कवि किसकी प्राकृतिक सुषमा का वर्णन किया है?
उ. कवि ने हिमालय के वर्षाकालीन सौन्दर्य का वर्णन किया है।
प्र.(iii) कवि किस प्रकार बादलों के मनोरम दृश्य का वर्णन किया है?
उ. निर्मल, चाँदी के समान सफेद और बर्फ से मण्डित पर्वत की चोटियों पर घिरते हुए बादलों के मनोरम दृश्य का वर्णन किया गया है।
Chapter -10– Nagarjun
(ख)एक दूसरे से वियुक्त हो
अलग अलग रहकर ही जिनको
सारी रात बितानी होती
निशा काल के चिर अभिशापित
बेबस उन चकवा – चकई का,
बन्द हुआ क्रन्दन फिर उनमें
उस महान सरवर के तीरे
शैवालों की हरी दरी पर, प्रणय कलह छिड़ते देखा है।
कहाँ गया धनपति कुबेर वह,
कहाँ गयी उसकी वह अलका ?
नहीं ठिकाना कालिदास के,
व्योम-वाहिनी गंगाजल का !
ढूँढ़ा बहुत परन्तु लगा क्या, मेघदूत का पता कहीं पर !
कौन बताये यह यायावर, बरस पड़ा होगा न यहीं पर !
जाने दो वह कवि-कल्पित था,
कहाँ गया धनपति कुबेर वह,
मैंने तो भीषण जाड़ों में, नभचुम्बी कैलाश शीर्ष पर
महामेघ को झंझानिल से, गरज गरज भिड़ते देखा है।
दुर्गम बर्फानी घाटी में,
शत सहस्र फुट उच्च शिखर पर
अलख नाभि से उठने वाले
अपने ही उन्मादक परिमल
के ऊपर धावित हो-होकर
तरल तरुण कस्तूरी मृग को अपने पर चिढ़ते देखा है।
प्रश्न- (i) चकवा और चकवी आपस में रात में क्यों नहीं मिलते हैं?
उत्तर- (i) चकवा और चकवी किसी शाप के कारण रात में एक-दूसरे से नहीं मिलते हैं ।
प्र.(ii) कवि किस स्थल का मनोरम वर्णन किया है?
(ii) कवि मानसरोवर के मनोरम दृश्य का वर्णन किया है।
प्र.(iii) प्रस्तुत कविता में किस अलंकार की अभिव्यक्ति हुई है ?
उ. प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार की अभिव्यक्ति है।
Chapter -10– Nagarjun
(ग) त-शत निर्झर निर्झरिणी – कल
मुखरित देवदारु कानन में
शोणित धवल भोज पत्रों से छाई हुई कुटी के भीतर
रंग बिरंगे और सुगन्धित फूलों से कुन्तल को साजे इन्द्रनील की माला डाले शंख सरीखे सुघर गले में,
कानों में कुवलय लटकाये, शतदल रक्त कमल वेणी में,
रजत-रचित मणि खचित कलामय
पान- पात्र द्राक्षासव पूरित
रखे सामने अपने-अपने,
लोहित चन्दन की त्रिपदी पर
नरम निदाग बाल कस्तूरी
मृग छालों पर पल्थी मारे
मदिरारुण आँखों वाले
उन्मद उन किन्नर किन्नरियों की
मृदुल मनोरम अँगुलियों को वंशी पर फिरते देखा है।
प्रश्न- (i) आकाश में बादल छा जाने पर किस प्रदेश की शोभा अद्वितीय हो जाती है ?
उत्तर- (i) आकाश में बादल छा जाने पर किन्नर प्रदेश की शोभा अद्वितीय हो जाती है।
प्र.(ii) देवदार के वन को गुंजित कौन करता है?
(ii) सैकड़ों छोटे-बड़े झरने अपनी कल-कल ध्वनि से देवदार के वन को गुंजित कर देते हैं।
प्र.(iii) किन्नर और किन्नरियों के जोड़े विलासमय क्रीड़ाएँ कहाँ करते हैं?
उ. वनों के बीच में लाल और श्वेत भोजपत्रों से छाये हुए कुटीर के भीतर किन्नर और किन्नरियों के जोड़े
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