UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter -7– Daan – Suryakant Tripathi nirala – पाठ – 7 सूर्यकांत त्रिपाठी निराला-दान (काव्य खंड) nirala- Dan – प्रश्न -उत्तर Padyansh ke Prashn Uttar-gyansindhuclasses
चैप्टर 7. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला- दान – पद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर
प्रश्न- 1. निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) निकला पहिला अरविन्द आज,
देखता अनिन्द्य रहस्य- साज;
सौरभ-वसना समीर बहती,
कानों में प्राणों को कहती,
गोमती क्षीण-कटि नटी नवल,
नृत्य पर मधुर आवेश- चपल ।
प्रश्न- (i) उपर्युक्त काव्य पंक्तियों का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर- (i) उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों के रचनाकार सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हैं और कविता का नाम ‘दान’ है।
प्र.(ii) पहला कमल कब खिल गया ?
उ. पौ फटते ही (प्रातः का समय) पहला कमल खिल गया।
प्र.(iii) गोमती नदी में कहीं-कहीं पानी कम होने की वजह से उसकी तुलना किससे की गयी है ?
उ. गोमती नदी में कहीं-कहीं पानी कम होने की वजह से उसकी तुलना एक पतली कमर वाली नवेली नायिका से की गयी है।
(ख) मैंने झुक नीचे को देखा,
तो झलकी आशा की रेखा
विप्रवर स्नान कर चढ़ा सलिल
शिव पर दूर्वादल, तण्डुल तिल,
लेकर झोली आये ऊपर,
देखकर चले तत्पर वानर ।
द्विज राम-भक्त, भक्ति की आस
भजते शिव को बारहों मास,
कर रामायण का पारायण,
जपते हैं श्रीमन्नारायण,
प्रश्न- (i)कवि ने नीचे झुककर क्या देखा?
उत्तर- (i) कवि ने गोमती पुल के नीचे देखा तो एक ब्राह्मण स्नान करके पुल के ऊपर आ रहा है।
प्र.(ii) दान कविता में कवि द्वारा किये गये व्यंग्य को लिखिए ।
उ. कवि ने दान शीर्षक कविता में ढोंग करने वाले दिखावटी धार्मिक लोगों पर तीखा व्यंग्य किया
प्र.(iii) शिव पर किसने क्या चढ़ाया ?
उ. एक श्रेष्ठ ब्राह्मण ने स्नान करके शिवजी पर जल, दूध, चावल एवं तिल चढ़ाया।
Chapter -7– Daan – Suryakant
(ग) दुख पाते जब होते अनाथ,
कहते कपियों के जोड़ हाथ,
मेरे पड़ोस के वे सज्जन,
करते प्रतिदिन सरिता-मज्जन,
झोली से पुए, निकाल लिए,
बढ़ते कपियों के हाथ दिये,
देखा भी नहीं उधर फिर कर
जिस ओर रहा वह भिक्षु इतर,
चिल्लाया किया दूर दानव
बोला मैं- “धन्य श्रेष्ठ मानव!”
प्रश्न- (i) प्रस्तुत कविता का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर- (i) कविता का नाम—दान एवं कवि – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ।
प्र.(ii) बन्दरों को पुए कौन खिला रहा है ?
उ.अन्धविश्वासी ब्राह्मण बन्दरों को पुआ खिला रहा है । है।
प्र.(iii) बन्दरों को पुआ खिलाने के पश्चात् ब्राह्मण अपने आपको कैसा महसूस करता है ।
उ. बन्दरों को पुआ खिलाने के पश्चात् ब्राह्मण को अब महसूस हुआ कि मैं राक्षसी वृत्तियों से छुटकारा पा लिया हूँ ।
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