हिंदी (भारतीय काव्यशास्त्र) काव्य हेतु | Bhartiy Kavyashastra Kavya Hetu Paribhashaye
Bhartiy Kavyashastra ||Kavya Hetu|| भारतीय काव्यशास्त्र काव्य-हेतु For NET JRF TGT PGT: हिंदी विषय का पाठ्यक्रम भारतीय काव्यशास्त्र एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र NTA NET/JRF UP TGT PGT KVS NET SLET SET HINDI Kavyashastra Kavya laskhsan Free PDF Book in Hindi|
Subject | Hindi (हिंदी) |
Topic | काव्यशास्त्र के अंतर्गत काव्य हेतु |
Other | विभिन्न विद्वानों के अनुसार काव्य हेतु परिभाषाएं उक्तियाँ कथन सूक्तियां |
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काव्य हेतु
- काव्य हेतुका अर्थ है– ‘काव्य के उत्पत्ति का कारण।‘ किसी व्यक्ति में काव्य रचना की सामर्थ्य उत्पन्न कर देने वाले कारण काव्य हेतु कहलाते हैं।
- बाबू गुलाबरायके अनुसार –’’हेतु का अभिप्राय उन साधनों से है, जो कवि की काव्य रचना में सहायक होते हैं।’’
- मध्यकालीन आचार्यों में कुलपति ने सर्वप्रथम काव्य हेतु का विवेचन किया ।
- काव्य हेतु –तीन
1. प्रतिभा | 2. व्युत्पत्ति | 3. अभ्यास |
- प्रतिभा के प्रकार दो, प्रतिभा के दो भेद रुद्रट ने किये
- सहजा (जन्मजात )
- उत्पाद्या ( देवाराधन या मंत्र बल से या अध्ययनजन्य )
- काव्य हेतु के बदले ‘ काव्यांग ‘ शब्द का प्रयोग करते हुए किस आचार्य ने (लोको विद्याप्रकीर्णस्य काव्यांगानि कहकर ) लोक , विद्या और प्रकीर्ण को काव्य हेतु स्वीकार किया है ? –वामन
- काव्य हेतुओं के विवेचन में राजशेखर की मौलिक उद्भावना –शक्ति और प्रतिभा में भेद करना ( शक्ति व्यापक है जबकि प्रतिभा परिमित )
- राजशेखर बुद्धि के ये तीन प्रकार माने है= स्मृति 2. मति 3.प्रज्ञा
- सहजा , आहार्या और औपदेशिकी प्रतिभा के आधार पर कवियों की क्रमशः तीन कोटि
सारस्वत , आभ्यासिक और औपदेशिक का निर्धारण किसने किया ? राजशेखर
महत्वपूर्ण कथन /सूत्र /उक्तियाँ /सूक्तियां
- ” शक्तिर्निपुणता लोकशास्त्रकाव्याद्यवेक्षणात् । काव्यज्ञ शिक्षयाभ्यास इति हेतुस्तुद्रुद्भववे ।। -आचार्य मम्मट
- ‘ प्रतिभा ‘ को काव्य निर्माण का एकमात्र हेतु मानने के कारण किस आचार्य को प्रतिभावादी कहा जाता है ? –पंडितराज जगन्नाथ
- ‘ प्रतिभा ‘ को ‘ नवनवोन्मेषशालिनी प्रज्ञा ‘ कहा –भट्टतौत
- ‘ प्रतिभा ‘ को ‘ अपूर्ववस्तुनिर्माणक्षमा प्रज्ञा कहा –अभिनवगुप्त
- लोको विद्याप्रकीर्णस्य काव्यांगानि- –वामन
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