UP Board Solution of Class 10 Sanskrit Vyakran -Tumun Aniyar Ktin pratyay – Paribhsha udaharan – तुमुन, अनीयर, क्तिन प्रत्यय – संस्कृत व्याकरण
इस पोस्ट में आपको क्तिन् प्रत्यय बारे में बताया गया है
प्यारे बच्चों! यहां पर हम आपको कक्षा 10वी के लिए क्तिन् प्रत्यय एवं क्तिन् प्रत्यय परिभाष एवं क्तिन् प्रत्यय के नियमों को उदाहरण सहित समझाया गया है आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
Chapter Name | क्तिन् प्रत्यय |
Part 3 | Sanskrit Vyakaran |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | क्तिन् प्रत्यय (Ktin Pratyay with Example) |
क्तिन् प्रत्यय
‘क्तिन्’ प्रत्यय का प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है। ‘क्तिन्’ प्रत्यय से बने शब्द सदैव स्त्रीलिङ्ग में होते हैं। इसके प्रयोग में निम्न बातें स्मरणीय हैं-
(क) ‘क्तिन्’ प्रत्यय का ‘ति’ शेष रहता है। क्तिन् प्रत्यय लगने पर धातु की गुण नहीं होता है, यथा-कृ + क्तिन् = कृति
(ख) स्था एवं मा धातु के ‘आ’ को ‘इ’ तथा गा, पा इत्यादि धातुओं के ‘आ’ की ‘ई’ होता है, यथा + स्था+क्तिन्= स्थितिः। पा+क्तिन् + पीतिः ।
(ग) धातु के अन्त में आनेवाले ‘म्’ एवं ‘व्’ का लोप हो जाता है; यथा-गम् + क्तिन् = गतिः।
(घ) धातु के अन्त में आनेवाले ‘च्’ तथा ‘ज्’ को ‘का’ हो जाता है; यथा-भज्+क्तिन् = भक्तिः।
(ङ) स्वप, वच्, यज् इत्यादि धातुओं का सम्प्रसारण (य=इ, व=उ, र=ऋ) होता है; यथा– यज्ञ + क्तिन् = इष्टिः
(च) शम्, दम्, भ्रम, क्रम् इत्यादि धातुओं के अन्तिम वर्ण से पूर्व के ‘अ’ को ‘आ’ हो जाता है; यथा-शम् + क्तिन् = शान्ति।
(छ) क्तिन् प्रत्यय लगने पर पृ धातु के ऋ को ‘ऊर्’ हो जाता है; यथा-पृ + क्तिन् = पूर्तिः ।
(ज) इन शब्दों के रूप ‘मति’ की भाँति चलते हैं।
नीचे क्तिन् प्रत्यय तालिका दी जा रही है; इसकी सहायता से प्रत्यय लगाकर शब्द निर्माण का अभ्यास करें।
क्तिन् प्रत्यय
धातु क्तिन् प्रत्ययान्त शब्द धातु क्तिन् प्रत्ययान्त शब्द
रम् रतिः मुच् मुक्तिः
भज् भक्तिः प्र+वृत् प्रवृत्तिः
जन् जातिः दृश् दृष्टिः
दम् दान्तिः मन् मतिः
भ्रम् भ्रान्तिः उद्+नम् उन्नतिः
शम् शान्ति सम्+कृ संस्कृतिः
भृ भृतिः वि+भू विभूतिः
भी भीतिः बुध् बुद्धिः
भिद् भित्तिः गम् गतिः
स्तु स्तुतिः धृ धृतिः
भुज् भुक्तिः सृज् सृष्टिः
सिध् सिद्धिः युज् युक्तिः
शक् शक्ति: यज् इष्टिः
तुमुन् प्रत्यय Tumun Pratyay with Example
इस पोस्ट में आपको तुमुन् प्रत्यय के बारे में बताया गया है
प्यारे बच्चों! यहां पर हम आपको कक्षा 10वी के लिए तुमुन् प्रत्यय एवं तुमुन् प्रत्यय परिभाष एवं तुमुन् प्रत्यय के नियमों को उदाहरण सहित समझाया गया है आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
Chapter Name | तुमुन् प्रत्यय |
Part 3 | Sanskrit Vyakaran |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | तुमुन् प्रत्यय (Tumun Pratyay with Example) |
तुमुन् प्रत्यय
निमित्त अथवा प्रयोजन सूचित करने के लिए धातु से तुमुन् प्रत्यय होता है, इसका ‘तुम्’ शेष रह जाता है। हिन्दी में इसे जाने को, जाने के लिए, जाने के निमित्त आदि अर्थों द्वारा व्यक्त करते हैं। जैसे- द्रष्टुम्, पठितुम्, गन्तुम् आदि। कृष्णं द्रष्टुम् याति – कृष्ण को देखने के लिए जाता है।
तुमुन् प्रत्यय वहीं होता है, जहाँ दोनों क्रियाओं का कर्त्ता एक होता है। भिन्न कर्त्ता होने से तुमुन् प्रत्यय नहीं होता है। जैसे- रामः पठितुम् इच्छति। राम पढ़ना चाहता है। यहाँ दोनों क्रियाओं का कर्ता (रामः) एक ही है।
कुछ धातुओं के तुमुन् प्रत्ययान्त रूप नीचे दिये जा रहे हैं-
धातु अर्थ तुमुन् प्रत्यय धातु अर्थ तुमुन् प्रत्यय
पठ् पढ़ना पठितुम् जि जीतना जेतुम्
गम् जाना गन्तुम् ग्रह लेना ग्रहीतुम्
भू होना भवितुम् क्री खरीदना क्रेतुम्
पच् पकाना पक्तुम् दृश् देखना दुष्टुम्
अर्च पूजा करना अर्चितुम् कृ करना कर्तुम्
मृ मरना मर्तुम् स्मृ स्मरण करना स्मर्तुम्
शी सोना शेतुम् स्ना नहाना स्नातुम्
रुद् रोना रोदितुम् हस् हँसना हसितुम्
कथ् कहना कथयितुम् चुर् चुराना चोरयितुम्
पा पीना पातुम् कृ करना कर्तुम्
दा देना दातुम पृच्छ पूछना प्रष्टुम्
अनीयर् प्रत्यय Aniyar Pratyay with Example
इस पोस्ट में आपको अनीयर् प्रत्यय बारे में बताया गया है
प्यारे बच्चों! यहां पर हम आपको कक्षा 10वी के लिए अनीयर् प्रत्यय एवं अनीयर् प्रत्यय परिभाष एवं अनीयर् प्रत्यय के नियमों को उदाहरण सहित समझाया गया है आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
Chapter Name | अनीयर् प्रत्यय |
Part 3 | Sanskrit Vyakaran |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | अनीयर् प्रत्यय ( Aniyar Pratyay with Example) |
अनीयर् प्रत्यय
भाववाच्य और कर्मवाच्य में ही इस प्रत्यय का प्रयोग सदा होता है, कर्तृवाच्य में नहीं। इस प्रत्यय में अनीय शेष रहता
है, जो धातु के आगे जुड़ जाता है। ‘चाहिए’ अर्थ में इस प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे–
धातु अनीयर् प्रत्यय अर्थ
कृ करणीयः करना चाहिए
गम् गमनीयः जाना चाहिए
पूज् पूजनीयः पूजना चाहिए
याच् याचनीयम् याचना करनी चाहिए
दृश् दर्शनीयः देखना चाहिए
स्मृ स्मरणीयः स्मरण करना चाहिए
मन् मननीयः मनन करना चाहिए
पठ् पठनीयः पढ़ना चाहिए
वच् वचनीयः कहना चाहिए
कथ् कथनीयः कहना चाहिए
ह हरणीयः हरना चाहिए
भुज् भोजनीयः खाना चाहिए
मान् माननीयः मान करना चाहिए
दा दानीयम् दान करना