सरदार पूर्णसिंह जीवन एवं साहित्यिक परिचय (Sardar Purnsingh)- UP BOARD Class 11

UP BOARD Class 11 सरदार पूर्णसिंह जीवन एवं साहित्यिक परिचय (Sardar Purnsingh)

SARDAR POORNSINGH JIVAN PARICHAY

up board class 11th sahityik eva samany hindi sardar purnsingh ka sahityik eva jivan parichay (सरदार पूर्णसिंह ) जीवन परिचय एवं साहित्यिक परिचय कक्षा 11 सामान्य एवं साहित्यिक हिंदी up board (UPMSP) UTTAR PRADESH MADHYAMAIK SHIKSHA PARISHAD द्वारा संचालित पाठ्यक्रम |

 

जीवन एवं साहित्यिक परिचय-

सरदार पूर्णसिंह का जन्म 1881 ई ० ( सं०-1938 ) में सीमा प्रान्त में एबटाबाद नामक स्थान पर हुआ था । इनके पिता सरकारी नौकर थे । बालक पूर्णसिंह ने रावलपिंडी से मैट्रिक परीक्षा पास की , फिर उच्च शिक्षा के लिए लाहौर चले गये । वहाँ इण्टरमीडिएट परीक्षा पास करते ही, इन्हें जापान जाकर पढ़ने के लिए सरकारी छात्रवृत्ति स्वीकृत हो गयी ।

जापान में रहते हुए ही स्वामी रामतीर्थ के व्याख्यानों से प्रभावित होकर इन्होंने संन्यास ले लिया । स्वदेश आकर वे इम्पीरियल फोरेस्ट इन्स्टीट्यूट , देहरादून में रसायन शास्त्र के अध्यापक हो गये । तभी से इनके नाम के साथ अध्यापक शब्द जुड़ गया । कुछ समय पश्चात् इनके विचारों ने पलटा खाया और तब आपने संन्यास छोड़कर विवाह कर लिया परन्तु गृहस्थी होकर भी आध्यात्मिकता और संयम , दोनों उनमें बने रहे ।

इन्स्टीट्यूट में कुछ झगड़ा हो जाने के कारण इन्होंने नौकरी से त्याग – पत्र दे दिया और ग्वालियर चले गये । वहाँ पर भी मन नहीं लगा तो ‘ जड़वाला ‘ नामक गाँव में जाकर खेती करने लगे । इनके जीवन का अन्तिम समय गरीबी और दुःखों में बीता । सन् 1931 में वे इस लोक से विदा हो गये ।

मात्र छः निबन्ध लिखकर अध्यापक पूर्णसिंह ने हिन्दी निबन्धकारों में अपना श्रेष्ठ स्थान बनाया , वस्तुतः वे एक विलक्षण प्रतिभाशाली , साहित्यिक निबन्धकार थे ।

रचनाएं –

अध्यापक पूर्णसिंह ने केवल निम्नलिखित छः निबन्धों की रचना की , जो ‘ सरस्वती ‘ पत्रिका में प्रकाशित हुए थे –

  1. मजदूरी और प्रेम ,
  2. आचरण की सभ्यता
  3. नयनों की गंगा ,
  4. पवित्रता ,
  5. अमेरिका का मस्त जोगी – वाल्ट विटमैन ,
  6. कन्यादान ।
भाषा शैली –

सरदार पूर्णसिंह की भाषा सरल , सरस खड़ी बोली है जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का अधिक प्रयोग है ।

इनके निबन्धों में विचारात्मक शैली, वर्णनात्मक शैली ,भावात्मक शैली ,उद्धरण शैली आदि शैलियों के दर्शन होते हैं |

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