UP Board Solution of Class 12th Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter -6 Mahamana Malviy महामना मालवीयः
इस पोस्ट में यूपी बोर्ड हिंदी साहित्यिक /सामान्य हिंदी 12 हेतु पाठ ‘महामना मालवीयः का हल दिया जा रहा है, बोर्ड परीक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। In this post, UP Board Hindi Literary & General Hindi lesson for class 12 ‘महामना मालवीयः|
Subject / विषय | General & Sahityik Hindi / सामान्य & साहित्यिक हिंदी |
Class / कक्षा | 12th |
Chapter( Lesson) / पाठ | Chpter 6 full |
Topic / टॉपिक | ‘महामना मालवीयः- Mahamana Malviya |
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All Chapters/ सम्पूर्ण पाठ्यक्रम | सामान्य हिंदी |
महामना मालवीयः
सन्दर्भ- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के संस्कृत-भाग के ‘महामना मालवीयः’ नामक शीर्षक से अवतरित है।
महामनस्विनः मदनमोहनमालवीयस्य जन्म प्रयागे प्रतिष्ठित-परिवारेऽभवत।
महामना मदनमोहन मालवीय का जन्म प्रयाग के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था।
अस्य पिता पण्डितव्रजनाथमालवीयः संस्कृतस्य सम्मान्यः विद्वान् आसीत्।
इनके पिता पं0 ब्रजनाथ मालवीय संस्कृत के सम्माननीय विद्वान् थे।
अयं प्रयागे एव संस्कृतपाठशालायां राजकीयविद्यालये म्योर-सेण्ट्रल महाविद्यालये च शिक्षा प्राप्य अत्रैव राजकीय विद्यालये अध्यापनम् आरब्धवान्।
इन्होने प्रयाग में ही संस्कृत पाठशाला, राजकीय विद्यालय और म्योर सेण्ट्रल महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर यहीं राजकीय विद्यालय में अध्यापन-कार्य प्रारम्भ किया।
युवकः मालवीयः स्वकीयेन प्रभावपूर्णभाषणेन जनानां मनांसि अमोहयत्।
युवक मालवीय ने अपने ओजस्वी भाषण से लोगों के मन को मोह लिया।
अतः अस्य सुहृदः तं प्राड्विवाकपदवी प्राप्य देशस्य श्रेष्ठतरां सेवां कर्तुं प्रेरितवन्तः।
अतः इनके मित्रों ने इन्हें अधिवक्ता (वकील) की पदवी प्रदान कर देश को सर्वश्रेष्ठ सेवा करने के लिए प्रेरित किया।
तद्नुसारम् अयं विधिपरीक्षामुत्तीर्य प्रयागस्थे उच्चन्यायालये प्राड्विवाककर्म कर्तुमारभत्।
तदनुसार इन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण कर, प्रयाग के उच्च न्यायालय में वकालत प्रारम्भ की।
विधेः प्रकष्टज्ञानेन, मधुरालापेन, उदारव्यवहारेण चायं शीघ्रमेव मित्राणां न्यायाधीशानाञ्च सम्मानभाजनमभवत्।
कानून के उत्तम ज्ञान, मधुर बातचीत तथा उदार व्यवहार के कारण शीघ्र ही वे मित्रो और न्यायाधीशों के सम्मान के पात्र बन गए।
महापुरुषाः लौकिक-प्रलोभनेषु बद्धाः नियतलक्ष्यान्न कदापि भ्रश्यन्ति।
महान् पुरुष सांसारिक प्रलोभनों में फंसकर निश्चित लक्ष्य से कभी विचलित नहीं होते हैं।
देशसेवानुरक्तोऽयं युवा उच्चन्यायालयस्य परिधौ स्थातुं नाशक्नोत्।
देशसेवा में अनुरक्त यह युवक (मालवीय) उच्च न्यायालय की सीमा में नहीं रह सका।
पण्डित मोतीलाल नेहरू-लालालाजपतरायप्रभृतिभिः अन्यैः राष्ट्रनायकैः सह सोऽपि देशस्य स्वतन्त्रतासङ्ग्रामेऽवतीर्णः।
पण्डित मोतीलाल नेहरू, लाजपतराय आदि अन्य राष्ट्रनायको के साथ वे भी देश के स्वतन्त्रता संग्राम में उतरे।
देहल्यां त्रयोविंशतितमे काङ्ग्रेसस्याधिवेशनेऽयम् अध्यक्षपदमलङ्कृतवान्।
दिल्ली में तेईसवे कांग्रेस-अधिवेशन में इन्होंने (कांग्रेस के) अध्यक्ष पद को सुशोभित किया।
रौलेट एक्ट’ इत्याख्यस्य विरोधेऽस्य ओजस्विभाषणं श्रुत्वा आङ्ग्लशासकाः भीताः जाताः।
‘रौलेट एक्ट’ नामक कानून के विरोध में इनके ओजस्वी भाषण सुनकर अंग्रेज शासक भयभीत हो गए।
बहुवारं कारागारे निक्षिप्तोऽपि अयं वीरः देशसेवाव्रतं नात्यजत
अनेक बार जेल में जाने के बाद भी इस बीर ने देशसेवा के व्रत को नहीं छोड़ा।
हिन्दी-संस्कृताङ्ग्लभाषासु अस्य समानः अधिकारः आसीत्।
इनका हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार था।
हिन्दी-हिन्दु-हिन्दुस्थानानामुत्थानाय अयं निरन्तरं प्रयत्नमकरोत्।
हिन्दी हिन्दू और हिन्दुस्तान के उत्थान के लिए इन्होंने निरन्तर प्रयत्न किया।
शिक्षयैव देशे समाजे च नवीनः प्रकाशः उदेति अतः श्रीमालवीयः
शिक्षा से ही देश और समाज में नवीन प्रकाश का उदय होता है अतः मालवीयजी ने
वाराणस्यां काशीहिन्दूविश्वविद्यालयस्य संस्थापनमकरोत्।
बनारस में ’काशी विश्वविद्यालय’ की स्थापना की।
अस्य निर्माणाय अयं जनान् धनम् अयाचत् जनाश्च महत्यस्मिन् ज्ञानयज्ञे प्रभूतं धनमस्मै प्रायच्छन्,
इसके निर्माण के लिए इन्होने लोगों से धन माँगा और लोगो ने इस महान् ज्ञान-यज्ञ में इन्हें बहुत-सा धन दिया,
तेन निर्मितोऽयं विशालः विश्वविद्यालयः भारतीयानां दानशीलतायाः श्रीमालवीयस्य यशसः च प्रतिमूर्तिरिव विभाति।
उससे निर्मित यह विशाल विश्वविद्यालय भारतीयों की दानशीलता और मालवीयजी के यश की प्रतिकृति-सा सुशोभित हो रहा है।
साधारणस्थितिकोऽपि जनः महतोत्साहेन, मनस्वितया, पौरुषेण च
साधारण स्थिति वाला (व्यक्ति) भी महान् उत्साह, विचारशीलता और पुरुषार्थ से
असाधारणमपि कार्यं कर्तुं क्षमः। इत्यदर्शयत् मनीषिमूर्धन्यः मालवीयः।
असाधारण कार्य भी कर सकता है। इस बात को विद्वानों ने श्रेष्ठ दिखा दिया।
एतदर्थमेव जनास्तं महामना इत्युपाधिना अभिधातुमारब्धवन्तः।
इसीलिए लोगों ने इनको ’महामना’ की उपाधि से सम्बोधित करना प्रारम्भ कर दिया।
महामना विद्वान् वक्ता, धार्मिको नेता, पटुः पत्रकारश्चासीत्।
महामना (मदनमोहन मालवीय) विद्वान् वक्ता धार्मिक नेता तथा निपुण पत्रकार थे,
परमस्य सर्वोच्चगुणः जनसेवैव आसीत्।
परन्तु इनका सर्वोच्च गुण जनसेवा ही था।
यत्र कुत्रापि अयं जनान् दुःखितान पीड्यमानांश्चापश्यत्
जहाँ कहीं भी ये लोगों को दुःखी तथा पीड़ित होता देखते
तत्रैव सः शीघ्रमेव उपस्थितः, सर्वविधं साहाय्यञ्च अकरोत्।
वहाँ पर शीघ्र ही उपस्थित हो जाते थे तथा सब प्रकार की सहायता करते थे।
प्राणिसेवा अस्य स्वभाव एवासीत्।
प्राणियों की सेवा हो इनका स्वभावा था।
अद्यास्माकं मध्येऽनुपस्थितोऽपि महामना मालवीयः स्वयशसोऽमूर्तरूपेण प्रकाशं वितरन्
आज हमारे मध्य अनुपस्थित होते हुए भी महामना मालवीय (ज्ञान का) अपने यश के अमूर्तरूप शरीर से प्रकाश बाँटते हुए
अन्धे तमसि निमग्नान् जनान् सन्मार्ग दर्शयन् स्थाने-स्थाने, जने-जने उपस्थित एव।
गहन अंधकार मे डूबे हुए लोगों को अच्छा मार्ग दिखाते हुए स्थान-स्थान पर और जन-जन में उपस्थित है।
जयन्ति ते महाभागा जन-सेवा-परायणाः।
जनसेवा में तत्पर रहनेवाले महापुरुषों की जय हो,
जरामृत्युभयं नास्ति येषां कीर्तितनोः क्वचित।।
जिनके यशरूपी शरीर को कहीं भी वृद्धावस्था और मृत्यु का भय नहीं है।