UP Board Solution of Hindi Class 10 Raskhan ka jeevan parichay रसखान जीवन परिचय
UP Board Solution of Hindi Class 10 Raskhan ka jeevan parichay रसखान जीवन परिचय -gyansindhuclasses- raskhan ki rachnaye va jivanparichay – Biography Of Raskhan.
रसखान (जीवन/साहित्यिक परिचय)
जीवन परिचय – हिन्दी साहित्य और ब्रज भाषा प्रेमी कृष्णभक्त मुसलमान कवियों में रसखान अग्रगण्य हैं । विद्वानों द्वारा इनका मूल नाम नाम सैयद इब्राहिम माना जाता है । इनका जन्म 1533 ई . में दिल्ली में हुआ माना में जाता है । इनका जीवन वृत्त अभी भी अन्धकार में है अर्थात् विद्वानों के बीच इनके जन्म के सम्बन्ध में अभी भी मतभेद है ।
इनके द्वारा रचित ग्रन्थ ‘ प्रेमवाटिका ‘ से प्राप्त संकेत के आधार पर इनका सम्बन्ध दिल्ली राजवंश से माना जाता है । रसखान रात – दिन श्रीकृष्ण भक्ति में तल्लीन रहते थे ।
इन्होंने गोवर्धन धाम अर्थात् गोकुल में जाकर अपना जीवन श्रीकृष्ण के भजन – कीर्तन में लगा दिया । ऐसा कहा जाता है कि इनकी कृष्णभक्ति से प्रभावित होकर गोस्वामी विट्ठलनाथ जी ने इन्हें अपना शिष्य बना लिया । इन्होंने गोस्वामी विट्ठलनाथ जी से वल्लभ सम्प्रदाय के अन्तर्गत पुष्टिमार्ग की दीक्षा ली थी।
वैष्णव धर्म में दीक्षा लेने पर इनका लौकिक प्रेम अलौकिक प्रेम में बदल गया और रसखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त बन गए । ऐसी मान्यता है कि ‘ प्रेमवाटिका ’ ( 1614 ई . ) इनकी अन्तिम काव्य कृति है । सम्भवतः इस रचना के कुछ वर्ष बाद 1618 ई . में इनकी मृत्यु हो गई ।
साहित्यिक परिचय–
रसखान ने श्रीकृष्ण की भक्ति में पूर्ण रूप से अनुरक्त होकर अपने काव्य का सृजन किया । अरबी और फारसी भाषा पर इनकी बहुत अच्छी पकड़ थी । काव्य और पिंगलशास्त्र का भी इन्होंने गहन अध्ययन किया ।
ये अत्यन्त भावुक प्रवृत्ति के थे । संयोग और वियोग दोनों पक्षों की अभिव्यक्ति इनके काव्य में देखने को मिलती है । कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम ने ही इन्हें कवि के रूप में पहचान दिलाई । इन्होंने पूर्णरूपेण समर्पित होकर कृष्ण के बाल रूप एवं यौवन के मोहक रूपों पर अनेक कविताएँ लिखी हैं । काव्य में जितने भी सौन्दर्य , गुण होते हैं , उनका प्रयोग इन्होंने अपनी कविताओं में किया है । सरसता , सरलता एवं माधुर्य इनके काव्य की विशेषताएँ हैं ।
कृतियाँ ( रचनाएँ )
रसखान द्वारा रचित दो ही रचनाएँ उपलब्ध हैं- ‘ सुजान रसखान ‘ और ‘ प्रेमवाटिका । ‘
- सुजान रसखान इसमें कवित्त , दोहा , सोरठा और सवैये हैं , यह 139 छन्दों का संग्रह है । यह भक्ति और प्रेम विषय पर मुक्त काव्य है ।
- प्रेमवाटिका इसमें केवल 25 दोहे हैं । इस रचना में प्रेम रस का पूर्ण परिपाक हुआ है । रसखान की समग्र रचनाएँ कृष्णभक्ति एवं ब्रज प्रेम में लिप्त हैं ।
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