शिवा – शौर्य छत्रसाल प्रशस्ति  – महाकवि भूषण Up Board 11th Hindi Chapter 5

शिवा – शौर्य छत्रसाल प्रशस्ति  – महाकवि भूषण Up Board 11th Hindi Chapter 5

शिवा – शौर्य छत्रसाल प्रशस्ति (Shiva Shaurya + Chhatrasal Prashasti) – महाकवि भूषण Up Board 11th Hindi Chapter 5 – gyansindhuclasses: UpBoard Class 11 Hindi Sahityik & Samanya Kavyanjali Vyakhya & Question Answer. कक्षा 11 शिवा शौर्य – महाकवि भूषण द्वारा रचित शिवा शौर्य एवं छत्रसाल प्रशस्ति के पद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर सरल भाषा में दिए जा रहे हैं|

Board | बोर्डUP Board (UPMSP)
Class | कक्षा11th (XI)
Subject  | विषयGeneral Hindi & Sahityik Hindi सामान्य एवं साहित्यिक हिंदी कक्षा ११वी
Topic | शीर्षकPadyansh Based Question Answer || पद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर
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शिवा – शौर्य छत्रसाल प्रशस्ति  - महाकवि भूषण Up Board 11th Hindi Chapter 5

पद्यांश -1

बाने फहराने घहराने घंटा गजन के ,

नाहीं ठहराने रावराने देसदेस के ।

नग भहराने ग्राम नगर पराने सुनि ,

बाजत निसाने सिवराजजू नरेस के ।

हाथिन के हौदा उकसाने कुंभ कुंजर के ,

भौन को भजाने अलि छूटे लट केस के

दल के दरारन ते कमठ करारे फुटे ,

केरा के से पात बिहराने फन सेस के ॥

 

शब्दार्थ – बाने झण्डे । घहराने भागने लगे । कुम्भ — गज – मस्तक । कमठ -कछुआ । करारे – गहन ध्वनि से बजने लगे । भहराने -तेजी से टूटना । पराने – जाने लगे , कठोर । बिहराने- फट गए ।

Question & Answer –

प्रश्न – ( क ) प्रस्तुत पद्यांश के पाठ एवं कवि का नाम लिखिए।

उत्तर – प्रस्तुत पद्यांश ‘ शिवा शौर्य ‘ शीर्षक पाठ से लिया गया है जिसके रचयिता महाकवि भूषण हैं ।

( ख ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर – रेखांकित अंश की व्याख्या — महाकवि भूषण कहते हैं कि हाथियों की तेज चाल से उनके हौदे ढीले पड़ रहे हैं । हाथियों गण्डस्थल से मद बह रहा है । उस भ्रमर गुंजार कर रहे हैं । उनकी तेज चाल से वे अपने घर की ओर वन में जा रहे हैं । उस समय उड़ते भ्रमर ऐसे प्रतीत हो रहे हैं , जैसे मानो लट खुलकर विखर रही हों । शिवाजी की सेना के चलने से पृथ्वी को धारण करने वाले कछुए की पीठ भी टूट गयी है तथा शेषनाग के फन केले पत्तों के समान फट कर विखर गये हैं ।

( ग ) वीर शिवाजी की सेना के नगाड़ों की आवाज का क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर –   वीर शिवाजी की सेना के नगाड़ों की आवाज सुनकर आसपास के गाँवों में रहने वाले लोग अपनी रक्षा के उपाय करने लगे ।

( घ ) कविवर भूषण ने यहाँ हाथियों की चाल कैसी बताई है ?

उत्तर- कवि ने हाथियों की चाल अत्यन्त तीव्र बताई है जिससे उनके हौदे ढीले पड़ गए और कनपटी से बहते मद पर मँडराने वाले भौरे भाग खड़े हुए ।

( ङ ) शिवाजी की सेना के चलने से क्या हुआ ?

उत्तर-शिवाजी की सेना के चलने की धमक से कछुए की कठोर पीठ टूट गयी और शेषनाग का फन केले के पत्ते के समान फट गया ।

पद्यांश -2

भुज भुजगेस की वै संगिनी भुजंगिनी – सी ,

खेदि खेदि खाती दीह दारुन दलन के ॥

बखतर पाखरन बीच धँसि जाति मीन ,

पैरि पार जात परवाह ज्यों जलन के ।

रैयाराव चंपति के छत्रसाल महाराज ,

भूषन सकै करि बखान को बलन के ।

पच्छी पर छीने ऐसे परे पर छीने वीर ,

तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के ॥

 

शब्दार्थ – भुजगेस – सर्पराज , शेषनाग । संगिनी सहचरी खेदि खेदि भगा भगः कर दीह – दीर्घ । दारुण – कठोर । दलन के सेना के । वखतर- कवच | पाखरन ढाल | मीन – मछली । पैरि – तैर कर । बखान- वर्णन | परछीने पंख काट देने पर । पर शत्रु । छीने- क्षीण , दुर्बल । खलक -दुष्टों ।

प्रश्न (क) प्रस्तुत पद्यांश के पाठ एवं कवि का नाम लिखिए |

उत्तर – प्रस्तुत पद्यांश ‘ छत्रसाल प्रशस्ति शीर्षक पाठ से लिया गया है जिसके रचयिता महाकवि भूषण हैं ।

( ख )रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए |

उत्तर- रेखांकित अंश की व्याख्या – कवि कहता है कि छत्रसाल की बरछी की धार इतनी तेज है कि यह तो ढाल और कवच में भी इतनी तेजी से घुस जाती है जितनी तेजी से मछली जल के प्रवाह को तैरकर पार कर जाती है । हे छत्रसाल ! जिस प्रकार पंख काट देने पर पक्षी विवश हो जाता है वही दशा तुम्हारे शत्रुओं की हो रही है , वास्तव में तुम्हारी बरछी ने दुष्टों के वीरवर , उद्भट योद्धाओं को छीन लिया है ।

( ग ) कवि ने छत्रसाल की तलवार को किसके समान कहा है ?

उत्तर- कवि ने छत्रसाल की तलवार को शेषनाग के साथ रहने वाली नागिन के समान बताया है

( घ )छत्रसाल किसके पुत्र हैं ?

उत्तर- छत्रसाल चम्पतराय जी के पुत्र हैं ।

( ङ ) छत्रसाल की तलवार शत्रुदल की क्या दशा बनाती है ?

उत्तर-  छत्रसाल की तलवार शत्रुदल की दशा पंख कटे पक्षी के समान शक्तिहीन बनाती है ।

 

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