Essay On Place of Sports In Education निबंध -शिक्षा में खेल – कूद का स्थान(importance of sports)

Hindi Essay On Place of Sports In Education | हिंदी निबंध -शिक्षा में खेल – कूद का स्थान

Essay On Place of Sports In Education निबंध -शिक्षा में खेल – कूद का स्थान(importance of sports): निबंध -शिक्षा में खेल – कूद का स्थान अथवा (importance of sports). its Important For UP Board Hindi And All OtherBoard Exam For CBSE and Ncert Based Syllabus.

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Dear friends, here we have brought all the essays for you, so now the essay is presented! On sports खेलकूद निबन्ध  or sports in india  , This essay is very important for UP board exam. It is also important for other competitive exams as well. ⇒सभी महत्वपूर्ण निबंध 

Essay based on importance of sports in life or Essay on khelkud ka mahatva  प्रिय मित्रों, यहां हम आपके लिए सभी निबंध लेकर आए हैं, तो अब निबंध प्रस्तुत है! निबंध -शिक्षा में खेल – कूद का स्थान पर, यह निबंध यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। जीवन में खेलकूद का महत्त्व  पर आधारित निबंध।

प्रस्तावना –

खेल मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्ति है । यह प्रवृत्ति बालकों , युवकों और वृद्धों तक में पाई जाती है । जो बालक अपनी बाल्यावस्था में खेलों में भाग नहीं लेता , वह बहुत – सी बातें सीखने से वंचित रह जाता है और उसके व्यक्तित्व का भली प्रकार विकास नहीं हो पाता । स्वास्थ्य जीवन की आधारशिला है । स्वस्थ मनुष्य ही अपने जीवन सम्बन्धी कार्यों को भली – भाँति पूर्ण कर सकता है । यह स्वास्थ्य हमें व्यायाम अथवा खेल – कूद से प्राप्त होता है ।

क्रीडा एवं व्यायाम के विभिन्न प्रकार –

शरीर को शक्तिशाली , स्फूर्तियुक्त और ओजस्वी तथा मन को प्रसन्न बनाने के लिए जो कार्य किए जाते हैं , उन्हें हम खेल – कूद , क्रीडा या व्यायाम कहते हैं । खेलकूद और व्यायाम से शरीर में तीव्र गति से रक्त – संचार होता है ; अतः दौड़ , क्रिकेट , फुटबॉल , बैडमिंटन , टेनिस , हॉकी आदि खेल इसी दृष्टि से खेले जाते है ।

इन खेलों के लिए विशेष रूप से लम्बे – चौड़े मैदान की आवश्यकता होती है , अत : ये खेल सब लोग सभी स्थानों पर सुविधापूर्वक नहीं खेल सकते हैं । वे अपने शरीर को पुष्ट करने के लिए कुछ नियमित व्यायाम करते हैं ; जैसे — प्रात : तथा सायं खुली वाय , दण्ड – बैठक लगाना , मुग्दर घुमाना , अखाड़े में कुश्ती के जोर करना एवं आसन करना आदि ।

इस प्रकार , खेल – कूद और व्यायाम का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत है और इनके विभिन्न रूप है ।

शिक्षा में क्रीडा एवं व्यायाम का महत्त्व  –

संकीर्ण अर्थ  में शिक्षा का आशय  पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करना और मानसिक विकास करना ही समझा जाता है , लेकिन व्यापक अर्थ में शिक्षा से तात्पर्य केवल मानसिक विकास से ही नहीं है वरन शारीरिक , चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास से है । सर्वांगीण विकास के लिए शारीरिक विकास आवश्यक है और शारीरिक विकास के लिए खेल – कूद और व्यायाम का विशेष महत्त्व है । शिक्षा में व्यायाम और खेल – कूद का महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसका अर्थ यह नहीं है कि खेल – कूद के समक्ष शिक्षा के अन्य अंगों की उपेक्षा कर दी जाए ।

शिक्षा में क्रीडा एवं व्यायाम का  समन्वय –

आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षा और खेल – कूद में समन्वय स्थापित किया जाए । विद्यार्थीगण खेल – कूद और व्यायाम से शक्ति का संचय करें , स्फूर्ति एवं ताजगी प्राप्त करें और इन सबका सदुपयोग शिक्षा प्राप्त करने में करें । किसी भी एक कार्य को निरन्तर करते रहना ठीक नहीं है । इस सम्बन्ध में एक अंग्रेज कवि की उक्ति है-

Work while you work Play while you play ,

That is the way To be happy and gay .”

यानी  काम के समय दिल  लगाकर काम करो और खेलने के समय दिल  लगाकर खेलो । जीवन में प्रसन्नता प्राप्त करने का एकमात्र यही तरीका है । अतः हमें पढ़ाई के समय खेल – कूद से दूर रहना चाहिए और खेल के समय प्रत्येक दृष्टि से चिन्तारहित होकर केवल खेलना ही चाहिए ।

उपसंहार –

व्यायाम और खेल – कूद से शरीर में शक्ति का संचार होता है , जीवन में ताजगी और स्फूर्ति मिलती है । आधुनिक शिक्षा – जगत् में खेल के महत्त्व को स्वीकार कर लिया गया है । छोटे – छोटे बच्चों स्कूलों में भी खेल – कूद की समुचित व्यवस्था की गई है ।

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