UP Board Class 12 Question Bank 2026 : Gyansindhu Pariksha Prahar General Hindi सामान्य हिंदी की क्वेश्चन बैंक 2026 (Full Book – PAGE-20)
अशोक के फूल -हजारीप्रसाद द्विवेदी (Part-1)
(1) पुष्पित अशोक को देखकर मेरा मन उदास हो जाता है। इसलिए नहीं कि सुन्दर वस्तुओं को हतभाग्य समझने में मुझे कोई विशेष रस मिलता है। कुछ लोगों को मिलता है। वे बहुत दूरदर्शी होते हैं। जो भी सामने पड़ गया उसके जीवन के अन्तिम मुहूर्त तक का हिसाब वे लगा लेते हैं। मेरी दृष्टि इतनी दूर तक नहीं जाती । फिर भी मेरा मन इस फूल को देखकर उदास हो जाता है। असली कारण तो मेरे अन्तर्यामी ही जानते होंगे, कुछ थोड़ा-सा मैं भी अनुमान कर सकता हूँ।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- प्रस्तुत गद्यांश के लेखक व पाठ का नाम स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश के लेखक हजारीप्रसाद द्विवेदी जी हैं तथा पाठ का नाम ‘अशोक के फूल’ है ।
- रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- व्याख्या- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक कहता है कि जब भी वह पुष्पित अशोक अर्थात् अशोक के खिले हुए फूलों को देखता है, तो वह उदास हो जाता है । लेखक अपनी उदासी का कारण स्पष्ट करते हुए कहता है कि वह इसलिए उदास नहीं है कि अशोक के पुष्प अत्यधिक सुन्दर हैं या उनकी सुन्दरता से उसे कोई ईर्ष्या हो रही है और वह न ही उसकी कमियों का अन्वेषण कर उसे अभागा बताकर उससे सहानुभूति प्रदर्शित करने का प्रयास करते हुए स्वयं को उससे सुन्दर अथवा सर्वगुणसम्पन्न बताकर अपने मन को सुखी बना रहा है । यद्यपि संसार में सुन्दर वस्तुओं को दुर्भाग्यशाली या कम समय के लिए भाग्यवान समझकर ईर्ष्यावश उससे आनन्द की प्राप्ति करने वाले लोगों की कमी नहीं है ।
- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने स्वयं के विषय में क्या कहा है?
उत्तर- लेखक ने स्वयं को अन्य लोगों से कम दूरदर्शी बताकर अपनी उदारता एवं महानता का परिचय दिया है। लेखक अशोक के फूल के सम्बन्ध में अपनी मनः स्थिति एवं सोच को स्पष्ट कर रहा है।
- ‘‘वे बहुत दूरदर्शी होते हैं।’’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘वे बहुत दूरदर्शी होते हैं।’ पंक्ति का आशय यह है कि कुछ लोग बहुत दूर तक देखने वाली गहन दृष्टि रखते हैं वे बहुत आगे तक विचार करते हैं । वे सामने वाले व्यक्ति के जीवन के अन्तिम मुहूर्त तक का हिसाब लगा लेते हैं।
- ‘हतभाग्य’ तथा ‘दूरदर्शी’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर- हतभाग्य- भाग्यहीन, अभागा। दूरदर्शी- भविष्य की घटनाओं को समझने वाला।
- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक क्या बताना चाहता है?
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक यह बताना चाहता है कि संसार में सुन्दर वस्तुओं दुर्भाग्यशाली या कम समय के लिए भाग्यवान समझकर ईर्ष्या के कारण उससे आनन्द की प्राप्ति करने वाले लोगों की कमी नहीं है।
- लेखक का मन क्यों उदास हो जाता है?
उत्तर- पुष्पित अशोक को देखकर लेखक का मन उदास हो जाता है।
- प्रस्तुत पाठ में किस शैली का प्रयोग किया है?
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने विवेचनात्मक, वर्णनात्मक एवं व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग किया है।
- किस पुष्प को देखकर लेखक का मन उदास हो जाता है?
उत्तर- अशोक के खिले हुए पुष्प को देखकर लेखक का मन उदास हो जाता है।
- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने स्वयं के विषय में क्या कहा है?
उत्तर- लेखक ने स्वयं को अन्य लोगों से कम दूरदर्शी बताकर अपनी उदारता एवं महानता का परिचय दिया है।
(2) अशोक को जो सम्मान कालिदास से मिला, वह अपूर्व था। सुन्दरियों के आसिंजनकारी नूपुरवाले चरणों के मृदु आघात से वह फूलता था, कोमल कपोलों पर कर्णावतंस के रूप में झूलता था और चंचल नील अलकों की अचंचल शोभा को सौ गुना बढ़ा देता था। वह महादेव के मन में क्षोभ पैदा करता था, मर्यादा पुरुषोत्तम के चित्त में सीता का भ्रम पैदा करता था और मनोजन्मा देवता के एक इशारे पर कन्धों पर से ही फूट उठता था।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- प्रस्तुत गद्यांश के लेखक व पाठ का नाम स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश के लेखक हजारीप्रसाद द्विवेदी जी हैं तथा पाठ का नाम ‘अशोक के फूल’ है।
- रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- उनका मानना था कि अशोक पर तभी पुष्प आते थे, जब कोई अत्यन्त सुन्दर युवती अपने कोमल और संगीतमय नूपुरवाले चरणों से उस पर प्रहार करती थी । अशोक के फूलों की सुन्दरता के कारण सुन्दरियाँ उन्हें अपने कानों का आभूषण बनाती थीं । यह कर्णफूल जब उनके सुन्दर गालों पर झूलता था तो उनकी सुन्दरता और भी अधिक बढ़ जाती थी । जब वे अशोक के फूलों को अपनी काली- नीली चोटी में गूंथती थीं, तो उनकी चंचल लटाओं की सुन्दरता सौ गुना बढ़ जाती थी और तब देखने वालों की दृष्टि उनसे हटती ही नहीं थी ।
- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने अशोक के फूल का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया है। यहाँ लेखक कहना चाहता है कि साहित्यकारों में मुख्य रूप से संस्कृत के महान् कवि कालिदास ने अशोक के फूल का जो मादकतापूर्ण वर्णन किया है, ऐसा किसी अन्य ने नहीं किया है ।
- ‘अशोक को जो सम्मान कालिदास से मिला, वह अपूर्व था’ पंक्ति का फूल आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘अशोक को जो सम्मान कालिदास से मिला, वह अपूर्व था।’ पंक्ति का आशय यह है कि कालिदास ने अपने साहित्य में अशोक के फूल को अत्यन्त सम्मान दिया । अशोक के फूल की मादकता का अनुभव करने की दृष्टि कालिदास के पास थी, ऐसा वर्णन अपूर्व (पहले किसी ने नहीं किया) था।
- निम्न शब्दों का शब्दार्थ लिखिए- आसिजनकारी तथा कर्णावतंस ।
उत्तर- आसिंजनकारी- अनुरागोत्पादक। कर्णावतंस- कर्णफूल।
- अशोक को तत्कालीन सामज में सम्मान किसने दिलाया?
उत्तर- अशोक को तत्कालीन सामज में सम्मान कालिदास ने दिलाया था।
- अशोक के प्रति महादेव का हृदय क्षोभ (क्रोध) से किस कारण भर गया था?
उत्तर- अशोक के कामोत्तेजक गुणों के कारण।
- प्रस्तुत गद्यांश में मनोजन्मा देवता किसे कहा गया है?
उत्तर- मनोजन्मा देवता कामदेव को कहा गया है।
- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक का क्या उद्देश्य है?
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक का कहना है कि साहित्यकारों में मुख्य रूप से संस्कृत महान् कवि कालिदास ने अशोक के फूल का जो मादकतापूर्ण वर्णन किया है, ऐसा किसी अन्य रचनाकार ने नहीं किया है।
- किस फूल की सुन्दरता के कारण सुन्दरियाँ उन्हें अपने कानों का आभूषण बनाती है?
उत्तर- अशोक के फूलों की सुंदरता के कारण सुन्दरियाँ उन्हें अपने कानों का आभूषण बनाती हैं।
- संस्कृत के किस कवि ने अशोक को अपने साहित्य में स्थान दिया?
उत्तर- संस्कृत के कवि कालिदास ने अशोक को अपने साहित्य में स्थान दिया।
- गद्यांश की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- भाषा प्रवाहपूर्ण संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है। शैली विवेचनात्मक है।
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