UP Board Class 12 Question Bank 2026 : Gyansindhu Pariksha Prahar General Hindi सामान्य हिंदी की क्वेश्चन बैंक 2026 (Full Book – PAGE-33)
कैकेयी का अनुताप (1)
पद्यांश पर आधारित प्रश्नोत्तर
(1) ‘यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को।
‘चौंके सब सुनकर अटल केकयी स्वर को।
सबने रानी की ओर अचानक देखा,
वैधव्य तुषारावृता यथा विधु लेखा।
बैठी थी अचल तथापि असंख्यतरंगा,
वह सिंही अब थी हहा! गोमुखी गंगा
‘‘हाँ, जनकर भी मैंने न भरत को जाना,
सब सुन लें, तुमने स्वयं अभी यह माना।
यह सच है तो फिर लौट चलो घर भैया,
अपराधिन मैं हूँ तात, तुम्हारी मैया ।।
- पद्यांश का प्रसंग क्या है?
उत्तर- श्रीराम ने कैकेयी को सम्बोधित करते हुए कहा था कि भरत की जननी होते हुए भी वे उन्हें समझ नहीं पाई। उसी बात को लक्ष्य कर कैकेयी राम से कहती हैं।
- रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए?
उत्तर- उस समय विधवा के वेश में वह सफेद वस्त्र धारण किए ऐसी प्रतीत हो रही थी, मानो कुहरे से ढकी चाँदनी हो। यद्यपि कैकेयी निश्छल और स्थिर बैठी हुई थी, तथापि उसके हृदय में अनेक प्रकार के भावों की लहरें उठ रही थीं। सिंहनी जैसा रूप धारण करनेवाली वह कैकेयी अब गोमुखी गंगा के समान शान्त, शीतल और पवित्र हो उठी थी; अर्थात् उसके मुख से गंगाजल के समान कल्याणकारी और मधुर शब्द निकल रहे थे। कैकेयी ने राम से कहा कि यह सत्य है कि भरत को जन्म देकर भी मैं उसे न पहचान सकी। सभी व्यक्ति मेरी इस बात को सुन लें। राम ने भी अभी इसी बात को स्वीकार किया है।
काव्यगत सौंदर्य- भाषा-साहित्यिक खड़ीबोली, अलंकार-उत्प्रेक्षा, उपमा एवं रूपक, रस-शान्त, छन्द-सवैया।
- पद्यांश के पाठ का शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखित महाकाव्य’ साकेत’ के आठवें सर्ग से हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक के काव्य भाग में संकलित’ कैकेयी का अनुताप’ शीर्षक से उद्धृत है।
- राम की उस रात्रिकालीन सभा में सभी क्या सुनकर चौंक पड़े?
उत्तर- राम की उस रात्रिकालीन सभा में सभी कैकेयी के इस दृढ़ स्वर को सुनकर चौंक पड़े कि हे राम! यदि तुम्हारी बात सत्य है कि मैं माँ होते भी भरत की बात न समझ पाई तो अब तुम घर को लौट चलो; अर्थात् अपनी नासमझी में मैंने जो तुम्हारे वनवास की कामना की थी, मेरी उस भूल को तुम भुला दो।
- एक विधवा के वेश में कैकेयी उस समय कैसी प्रतीत हो रही थी?
उत्तर- एक विधवा के वेश में कैकेयी उस समय सफेद वस्त्र धारण किए हुए ऐसी प्रतीत हो रही थी, मानो कुहरे से ढकी चाँदनी हो।
- सिंहनी जैसा रूप धारण करनेवाली कैकेयी इस समय किस रूप में दिखाई दे रही थी?
उत्तर- सिंहनी जैसा रूप धारण करनेवाली कैकेयी इस समय गोमुख गंगा के समान शान्त, शीतल और पवित्र रूप में दिखाई दे रही थी।
- ‘उल्का-सी रानी दिशा दीप्त करती थी’ इस पंक्ति में कौन-सी अलंकार है?
उत्तर- ‘उल्का-सी रानी दिशा दीप्त करती थी’ इस पंक्ति में उपमा अलंकार है।
- प्रस्तुत पद्यांश में किन किन पात्रों के बीच संवाद हो रहा है?
उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश में कैकेयी और राम के बीच संवाद हो रहा है।
- घर लौट चलने के लिए कौन किससे आग्रह कर रहा है?
उत्तर- घर लौट चलने के लिए कैकेयी राम से आग्रह कर रही है।
- सिंहनी और गोमुखी गंगा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- सिंहनी’ का अभिप्राय यहाँ पर वीरांगना और साहसिनी से है। गोमुखी’ से अभिप्राय शान्त और पवित्र वाणीवाली है।
(2) दुर्बलता का ही चिह्न विशेष शपथ है,
पर, अबलाजन के लिए कौन-सा पथ है?
यदि मैं उकसाई गई भरत से होऊँ,
तो पति समान ही स्वयं पुत्र भी खोऊँ।
ठहरो, मत रोको मुझे, कहूँ सो सुन लो,
पाओ यदि उसमें सार उसे सब चुन लो।
करके पहाड़ सा पाप मौन रह जाऊँ?
राई भर भी अनुताप न करने पाऊँ?“
थी सनक्षत्र शशि – निशा ओस टपकाती,
रोती थी नीरव सभा हृदय थपकाती।
उल्का – सी रानी दिशा दीप्त करती थी,
सबमें भय विस्मय और खेद भरती थी।“
‘‘क्या कर सकती थी, मरी मन्थरा दासी,
मेरा ही मन रह सका न निज विष्वासी
- उपर्युक्त पद्यांश का शीर्षक एवं रचयिता का नाम लिखिए।
उत्तर- इस पद्यांश का शीर्षक ‘कैकेयी का अनुताप’ है जिसके रचयिता ‘मैथिलीशरण गुप्त’ हैं।
- रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- सौगन्ध खाना यद्यपि व्यक्ति की कमजोरी का प्रमाण है, तथापि मुझ अबला के लिए सौगन्ध खाकर अपनी बात को प्रमाणित करने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है। इस प्रकार सौगन्ध खाते हुए कैकेयी ने कहा कि वास्तविकता यह है कि इस कार्य के लिए भरत ने मुझे नहीं उकसाया है। यदि कोई इस बात को सिद्ध कर दे कि मुझे भरत ने इस कार्य के लिए प्रेरित किया है तो मैं पति के समान ही अपने पुत्र को भी खो दूं।
काव्यगत सौंदर्यः अलंकार- उपमा एवं अनुप्रास, रस- शान्त।
- पद्यांश के पाठ और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखित महाकाव्य ‘साकेत’ के आठवें सर्ग कैकेयी का अनुताप शीर्षक से उद्धृत है।
- ‘‘दुर्बलता का ही चिह्न विशेष शपथ है।“ इस पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘‘दुर्बलता की ही चिह्न विशेष शपथ है।“ इस पंक्ति को कैकेयी ने अपनी भूल स्वीकार करते हुए पंचवटी में उपस्थित सभा और श्रीराम के समक्ष कहा था। जिसका आशय यह था कि सौगन्ध खाना यद्यपि व्यक्ति की कमजोरी का प्रमाण है, तथापि मुझ अबला के लिए सौगन्ध खाकर अपनी बात को प्रमाणित करने के अतिरिक्त और कोई उपाय शेष नहीं रह गया है।
- अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए कैकेयी के पास एकमात्र क्या उपाय था?
उत्तर- अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए कैकेयी के पास एकमात्र उपाय शपथ खाकर अपनी बात कहना ही था।
- अपने पाप और पश्चात्ताप के सन्दर्भ में कैकेयी ने क्या कहा?
उत्तर- अपने पाप और पश्चात्ताप के सन्दर्भ में कैकेयी ने कहा कि मेरे लिए यह सम्भव नहीं है कि मैं पहाड़ से बड़ा पाप करके भी चुप रह जाऊँ और राई जैसा छोटा-सा पश्चात्ताप भी न कर सकूँ ।
(3) कहते आते थे यही अभी नरदेही,
माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले हीं।
अब कहें सभी यह हाय! विरुद्ध विधाता,
‘है पुत्र पुत्र ही, रहे कुमाता माता।’
- रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- हे पुत्र राम अभी तक लोग कहावत के रूप में यही कहते आए हैं कि पुत्र माताके प्रति चाहे कितने ही अपराध कर ले, किन्तु माता कभी भी उस पर क्रोध नहीं करती और न ही वह क्रोध में भरकर पुत्र का कोई अहित करती है। इसीलिए कहा जाता है कि पुत्र भले ही कुपुत्र सिद्ध हो, किन्तु माता कभी कुमाता नहीं होती। परन्तु मैंने तो माता होकर भी पुत्र भरत और तुम्हारा दोनों का ही अहित किया है; अतः मैं वास्तव में लोगों की दृष्टि में एक बुरी माता हूँ ।
अलंकार-अनुप्रास, वीप्सा, रस-करुण एवं शान्त, छन्द-सवैया, गुण-प्रसाद।
- कविता का शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखित महाकाव्य ‘साकेत’ के आठवें सर्ग कैकेयी का अनुताप शीर्षक से उद्धृत है।
- ‘‘कहते आते थे यही अभी नरदेही, माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले ही।“ इस पंक्ति के माध्यम से कैकेयी ने क्या कहा है?
उत्तर- इस पंक्ति के माध्यम से कैकेयी ने यह कहा है कि अभी तक लोग कहावत के रूप में यही कहते आए हैं कि पुत्र माता के प्रति चाहे कितने ही अपराध कर ले, किन्तु माता कभी भी उस पर क्रोध नहीं करती और न ही क्रोध में अपने पुत्र का कोई अहित करती है, परन्तु मैंने तो माता होकर पुत्र भरत और तुम्हारा दोनों का ही अहित किया है। इसलिए मैं वास्तव में लोगों की दृष्टि में एक बुरी माता हूँ।
- कैकेयी के अनुसार उनसे हुआ पाप किसने कराया?
उत्तर- कैकेयी के अनुसार उन्होंने कोई भी दुष्कृत्य जानबूझकर नहीं किया। उनका भाग्य ही उनके विपरीत था, जिसने उनसे ऐसा अपराध कराया।
- कैकेयी के अनुसार उनके दुष्कृत्य को देखकर अब लोग
उत्तर- यही कहेंगे कि पुत्र तो सदैव पुत्र ही रहता है, भले ही माता कुमाता बन जाए।
- नरदेही शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- नरदेही शब्द का अर्थ है- नर को देह धारण करनेवाला अर्थात् मनुष्य।
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