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Maithilisharan gupt sahityik parichay|| मैथिलीशरण गुप्त साहित्यिक & जीवन परिचय

Maithilisharan gupt sahityik parichay- Up Board -gyansindhuclasses: here मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय एवं सहित्यिक परिचय| यूपी बोर्ड हिंदी मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय मात्र 80 शब्दों में|

Class
12th (class 12) Intermediate
Subject
General Hindi (सामान्य हिंदी )
Chapter
Kaikeyi ka Anutap (कैकेयी का अनुताप )
Topic
जीवन परिचय ( साहित्यिक परिचय ) sahityik parichay
Maithilisharan Gupta (मैथिलीशरण गुप्त )
Board
UP BOARD
By
Arunesh Sir
Other
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कक्षा 12 – मैथिलीशरण गुप्त (जीवन एवं साहित्यिक परिचय) Class 12th Hindi/maithilisharan gupt jeevan

 

मैथिलीशरण गुप्त / Maithilisharan Gupta sahityik parichayMaithilisharan gupt sahityik parichay- Up Board -gyansindhuclasses: here मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय एवं सहित्यिक परिचय| यूपी बोर्ड हिंदी मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय मात्र 80 शब्दों में|

जीवन – परिचय-

श्री मैथिलीशरण गुप्त का जन्म चिरगाँव ( झाँसी ) में सन् 1886 ई ० ( संवत् 1943 ) में हुआ था । इनके पिता सेठ रामचरण गुप्त को हिन्दी – साहित्य से विशेष प्रेम था । गुप्तजी की शिक्षा – दीक्षा घर पर ही सम्पन्न हुई । घर के साहित्यिक वातावरण के कारण इनमें काव्य के प्रति अभिरुचि जाग्रत हुई । 12 दिसम्बर , सन् 1964 ई ० ( संवत् 2021 ) में गुप्तजी का देहावसान हो गया ।

साहित्यिक – परिचय – मैथिलीशरण गुप्त में बाल्यावस्था से ही काव्यात्मक प्रवृत्ति विद्यमान थी । ये अल्पावस्था से ही छिट – पुट काव्य – रचनाएँ करते थे । आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के सम्पर्क में आने के पश्चात् उनकी प्रेरणा से काव्य – रचना करके इन्होंने हिन्दी- -काव्य की धारा को समृद्ध किया । इनकी कविता लेखन का प्रारम्भ 1909 ई ० में हुआ ; किन्तु इन्हें ख्याति सन् 1912 ई ० में प्रकाशित पुस्तक ‘ भारत – भारती ‘ के पश्चात् ही मिलनी प्रारम्भ हुई । इसी पुस्तक ने इन्हें ‘ राष्ट्रकवि ‘ के रूप में विख्यात किया ।

गुप्तजी प्रमुख रूप से प्रबन्ध – काव्य की रचना में सिद्धहस्त थे । खड़ीबोली के स्वरूप का निर्धारण करने एवं उसके विकास में गुप्तजी ने अपना अमूल्य योगदान दिया है । प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रीय भाव की अपने काव्य में प्रस्तुति कर इन्होंने युगधर्म का निर्वाह किया और अतीत के आदर्श को वर्तमान की . प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया । ये द्विवेदी युग के सबसे अधिक लोकप्रिय कवि माने जाते हैं ।

कृतियाँ –

गुप्तजी की रचनाएँ दो प्रकार की हैं—

( क ) अनूदित , ( ख ) मौलिक । उनका साहित्य विशाल है और विषय – क्षेत्र बहुत विस्तृत ।

( क ) मौलिक रचनाएँ — इनकी प्रमुख मौलिक रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

( 1 ) भारत – भारती — इसमें देश के प्रति गर्व और गौरव की भावनाओं पर आधारित कविताएँ हैं । इसी रचना के कारण वे राष्ट्रकवि के रूप में विख्यात हुए ।

( 2 ) साकेत — ‘ श्रीरामचरितमानस ‘ के पश्चात् हिन्दी में राम – काव्य का दूसरा स्तम्भ है |

( 3 )  यशोधरा – इसमें गौतम ब्नुद्ध की पत्नी यशोधरा के चरित्र को उजागर किया गया है |

अन्य मशहूर रचनाये

जयद्रथ वध , अनघ , द्वापर, झंकार , पंचवटी ,

नहुष , पृथ्वीपुत्र, प्रदक्षिणा , सिद्धराज |

अनूदित रचनाये –

प्लासी का युद्ध , मेघनाद वध ,  वृत्र संहार   आदि|

 

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