द्वितीय: पाठ: – प्रयाग: Hindi Anuvad UP Board Class 11 Sanskrit Digdarshika

द्वितीय: पाठ: – प्रयाग: Hindi Anuvad UP Board Class 11 Sanskrit Digdarshika

द्वितीय: पाठ: – प्रयाग: Hindi Anuvad जो कि UP Board Class 11 Sanskrit Digdarshika तथा  Class 11 संस्कृत दिग्दर्शिका | द्वितीय: पाठ: –  प्रयाग: हिंदी अनुवाद & Prayag -chapter 2 Sanskrit Digdarshika Hindi  Anuvad with word to word Meaning Class 11 जो  Up Board Hindi Sahityik sanskrit digdarshika anuvad तथा  with Question Answer  सरल भाषा में दिए जा रहे हैं|

Board | बोर्डUP Board (UPMSP)
Class | कक्षा11th (XI)
Subject  | विषयHindi | हिंदी कक्षा ११वी  (संस्कृत दिग्दर्शिका) 
Topic | शीर्षक प्रयाग: पाठ का हिन्दी अनुवाद और प्रश्न उत्तर 
Video LectureClick Here
Full Syllabus Link (हिन्दी का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम )Click Here

  प्रयाग: पाठ का हिन्दी अनुवादclasss 11

सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘ संस्कृत दिग्दर्शिका ‘ के ‘ प्रयागः ‘ शीर्षक पाठ से उद्धृत है ।

      • भारतवर्षस्य उत्तरप्रदेशराज्ये प्रयागस्य विशिष्टं स्थानमस्ति ।

भारतवर्ष के ‘ उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयाग का विशेष महत्त्व है ।

      • अत्र ब्रह्मणः प्रकृष्टयागकरणात् अस्य नाम प्रयाग : अभवत् ।

यहाँ ब्रह्माजी के द्वारा श्रेष्ठ यज्ञ करने के कारण इसका नाम प्रयाग हुआ ।

      • गङ्गा – यमुनयो : संगमे सितासितजले स्नात्वा

गंगा और यमुना के श्वेत – श्याम ल में स्नान करके

      • जना : विगतकल्मषा भवन्ति

मनुष्य पाप – रहित हो जाते हैं ।

      • इति जनानां विश्वासः ।

कुछ लोगों का विश्वास है,

      • अमायां पौर्णमास्यां संक्रान्तौ च

अमावस्या , पूर्णिमा और संक्रान्ति को

      • स्नानार्थिनामत्र महान् सम्मर्दः भवति ।

यहाँ स्नान करनेवालों की अपार भीड़ होती है ।

      • प्रतिवर्ष मकरं गते सूर्ये माघमासे तु अनेकलक्षाः

प्रतिवर्ष सूर्य के मकर राशि में चले जाने पर माघ के महीने में तो कई लाख

      • जनाः अत्र आयान्ति मासमेकमुषित्वा च संगमस्य पवित्रेण जलेन ,

लोग यहाँ आते हैं और एक मास तक रहकर संगम के पवित्र जल से

      • विदुषां महात्मनामुपदेशामृतेन च आत्मानं पावयन्ति ।

और विद्वान् महात्माओं के उपदेशरूपी अमृत से स्वयं को पवित्र करते हैं ।

      • अस्मिन्नेव पर्वणि महाराज : श्रीहर्षः

इसी पर्व पर महाराज हर्षवर्धन

      • प्रतिपञ्चवर्षम् अत्रागत्य सर्वस्वमेव याचकेभ्यो दत्त्वा

प्रति पाँचवें वर्ष यहाँ आकर माँगने वालों को सर्वस्व दान में देकर

      • मेघ इव पुन : सञ्चयार्थं स्वराजधानी प्रत्यगच्छत् |

बादलों की भाँति पुनः संचय करने के लिए अपनी राजधानी लौट जाते थे ।

      • ऋषे : भरद्वाजस्य आश्रम : अपि अत्रैव अस्ति ,

ऋषि भरद्वाज का आश्रम भी यहीं है ,

      • यत्र पुरा दशसहस्रमिता : विद्यार्थिन : अधीतिन : आसन् ।

यहाँ प्राचीनकाल में दस हजार विद्यार्थी अध्ययन करते थे ।

      • पितुः आज्ञां पालयन् पुरुषोत्तमः श्रीराम : अयोध्यायाः वनं गच्छन्

पिता की आज्ञा का पालन करते हुए पुरुषोत्तम श्रीराम अयोध्या से वन को जाते हुए

      • ‘ कुत्र मया वस्तव्यम् ‘ इति प्रष्टुम् अत्रैव भरद्वाजस्य समीपम् आगतः ।

       मुझे कहाँ निवास करना चाहिए ” -यह पूछने के लिए , यहीं ऋषि भरद्वाज के पास आए थे|

      • चित्रकूटमेव त्वन्निवासयोग्यम् उचितं स्थानम् इति

” चित्रकूट ही तुम्हारे रहने योग्य उचित स्थान है “

      • तेनादिष्टः रामः , सीतया लक्ष्मणेन च सह चित्रकूटम् अगच्छत् ।

उनसे आदेश पाकर राम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट को गए थे |

  प्रयाग: पाठ का हिन्दी अनुवाद

      • पुरा वत्सनामकमेकं समृद्धं राज्यमासीत् ।

प्राचीनकाल में वत्स नामक एक समृद्धिशाली राज्य था ।

      • अस्य राजधानी कौशाम्बी इत : नातिदूरेऽवर्तत ।

 इसकी राजधानी कौशाम्बी यहाँ ( प्रयाग ) से अधिक दूर नहीं थी ।

      • अस्य राज्यस्य शासकः महाराज : उदयन : वीर :

इस राज्य के शासक महाराज उदयन वीर ,

      • अप्रतिमसुन्दर : ललितकलाभिज्ञश्चासीत् ।

अनुपम सुन्दर और ललित – कलाओं के ज्ञाता थे ।

      • यमुनातटे आधुनिक – ‘ सुजावन ‘ – ग्रामे तस्य सुयामुनप्रासादस्य ध्वंसावशेषाः

यमुना के तट पर आधुनिक ‘ सुजावन ‘ ग्राम में उनके ‘ सुयामुन ‘ नामक महल के खण्डहर ,

      • तस्य सौन्दर्यानुरागं ख्यापयन्ति ।

उनके सौन्दर्य – प्रेम को प्रकट कर रहे हैं ।

      • प्रियदर्शी सम्राट अशोकः कौशाम्ब्यामेव स्वशिलालेखमकारयत्

प्रियदर्शी सम्राट अशोक ने कौशाम्बी में ही अपना शिलालेख बनवाया था ,

      • योऽधुना कौशाम्ब्या : आनीय प्रयागस्य दुर्गे सुरक्षितः ।

जो आजकल कौशाम्बी से लाकर प्रयाग के दुर्ग में अच्छी तरह रखा गया ( सुरक्षित ) है ।

      • गङ्गायाः पूर्वं पुराणप्रसिद्धस्य महाराजस्य पुरुरवस : राजधानी

गंगा के पूर्व में पुराणों में प्रसिद्ध महाराज पुरूरवा की राजधानी

      • प्रतिष्ठानपुरम् अ॒सीत्याधुनिकनाम्ना प्रसिद्धमस्ति ।

प्रतिष्ठानपुर आजकल झूसी के नाम से प्रसिद्ध है ,

      • यस्य प्रतिष्ठा अद्यापि विदुषां महात्मनाञ्च स्थित्या अक्षुण्णैव ।

जिसकी प्रतिष्ठा आज भी विद्वानों और महात्माओं के रहने से अखण्डित है ।

  प्रयाग: पाठ का हिन्दी अनुवाद

      • इतिहासप्रसिद्धः नीतिनिपुण : मुगलशासक : अकबरनामा

इतिहासप्रसिद्ध नीतिनिपुण अकबर नामक मुगल – शासक ने

      • दिल्ल्या : सुदूरे पूर्वस्यां दिशि- स्थितयो : कड़ाजौनपुरनामकयो : समृद्धयोः राज्ययो :

दिल्ली से सुदूरपूर्व दिशा में स्थित कड़ा और जौनपुर नामक समृद्धिशाली दोनों राज्यों के

      • निरीक्षणं दुष्करं विज्ञाय तयोर्मध्ये प्रयागे

निरीक्षण को कठिन जानकर उनके मध्य स्थित प्रयाग में

      • गङ्गायमुनाभ्यां परिवृतं दृढं दुर्गमकारयत्

गंगा और यमुना से घिरा हुआ एक मजबूत दुर्ग बनवाया था

      • गङ्गाप्रवाहाच्चास्य रक्षणाय विशालं बन्धमप्यकारयत् ,

और गंगा के प्रवाह ( धारा ) से इसकी रक्षा करने के लिए एक विशाल बाँध भी बनवाया था

      • योऽद्यापि नगरस्य गङ्गायाश्च मध्ये सीमा इव स्थितोऽस्ति ।

जो आज भी नगर और गंगा के मध्य सीमा के समान स्थित है ।

      • अयमेव प्रयागस्य नाम स्वकीयस्य ‘ इलाही ‘ धर्मस्यानुसारेण ‘ इलाहाबाद ‘ इत्यकरोत् ।

इसी ने ( अकबर ही ने ) अपने ‘ इलाही ‘ धर्म के अनुसार प्रयाग का नाम ‘ इलाहाबाद ‘ रखा

      • इदं दुर्गमतीव विशालं सुदृढं सुरक्षादृष्ट्या च अतिमहत्त्वपूर्णमस्ति ।

 यह दुर्ग अत्यधिक विशाल , अत्यन्त मजबूत और सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है

      • भारतस्य स्वतन्त्रतान्दोलनस्य इदं नगरं प्रधानकेन्द्रम् आसीत् ।

यह नगर भारतवर्ष के स्वतन्त्रता आन्दोलन का प्रधान केन्द्र था ।

  प्रयाग: पाठ का हिन्दी अनुवाद
      • श्रीमोतीलालनेहरू , महामना मदनमोहनमालवीय ,

श्री मोतीलाल नेहरू , महामना मदनमोहन मालवीय ,

      • आजादोपनामकश्चन्द्रशेखरः , अन्ये च स्वतन्त्रतासंग्रामसैनिकाः

चन्द्रशेखर आजाद और स्वतन्त्रता संग्राम के अन्य सैनिकों ने

      • अस्यामेव पावनभूमौ उषित्वा आन्दोलनस्य सञ्चालनम् अकुर्वन् ।

इसी पावन भूमि पर रहकर आन्दोलन का संचालन किया ।

      • राष्ट्रनायकस्य पण्डितजवाहरलालस्य इयं क्रीड़ास्थली कर्मभूमिश्च ।

राष्ट्रनायक पण्डित जवाहरलाल नेहरू की यह क्रीडा – स्थली और कर्मभूमि है ।

      • राष्ट्रभाषा – हिन्दी – प्रचारे संलग्नं हिन्दीसाहित्यसम्मेलनम् अत्रस्थितम्

यहाँ राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार में संलग्न हिन्दी – साहित्य – सम्मेलन स्थित है

      • अत्रैव च अनेकसहस्रसंख्यैः देशविदेशविद्यार्थिभिः परिवृत :

और यहीं देश – विदेश के हजारों विद्यार्थियों से घिरा हुआ

      • विविधविद्यापारङ्गतैः विद्वद्वरेण्यैः उपशोभित : च

और विभिन्न विद्याओं में पारंगत , श्रेष्ठ विद्वानों से सुशोभित

      • प्रयागविश्वविद्यालय : भरद्वाजस्य प्राचीन – गुरुकुलस्य नवीनं रूपमिव शोभते ।

प्रयाग विश्वविद्यालय , भरद्वाज के प्राचीन गुरुकुल के नवीन रूप की भाँति शोभायमान् है

      • स्वतन्त्रेऽस्मिन् भारते प्रत्येकं नागरिकाणां न्यायप्राप्तेरधिकारघोषणामिव कुर्वन्

इस स्वतन्त्र भारत में प्रत्येक नागरिक के न्याय – प्राप्ति के अधिकार की मानो घोषणा करता हुआ

      • उच्चन्यायालयः अस्य नगरस्य प्रतिष्ठां वर्द्धयति ।

 उच्च न्यायालय इस नगर की प्रतिष्ठा को बढ़ा रहा है ।

      • एवं गङ्गा – यमुना – सरस्वतीनां पवित्रसङ्गमे स्थितश्च

इस प्रकार गंगा , यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर स्थित

      • भारतीयसंस्कृतेः केन्द्रस्य च महिमानं वर्णयन्

और भारतीय संस्कृति के केन्द्र की महिमा का वर्णन करते हुए

      • महाकवि : कालिदासः सत्यमेव अकथयत्-

महाकवि कालिदास ने सत्य ही कहा था-

      • समुद्रपन्योर्जलसन्निपाते

यहाँ समुद्र की दोनों पलियों अर्थात् गंगा और यमुना के जल के संगम पर

      • पूतात्मनामत्र किलाभिषेकात् ।

स्नान करने से पवित्र आत्मावाले व्यक्तियों को

      • तत्त्वावबोधेन विनापि भूयस्

 , तत्त्वज्ञान के बिना ही बार -बार

      • तनुत्यजां नास्ति शरीरबन्धः ।।

शरीर त्यागकर शरीर के बन्धन में नहीं पड़ना पड़ता

error: Content is protected !!