UP Board Class 12 Gyansindhu General Hindi Question Bank 2026 [Page -29]

UP Board Class 12 Question Bank 2026 : Gyansindhu Pariksha Prahar General Hindi सामान्य हिंदी की क्वेश्चन बैंक 2026 (Full Book – PAGE-29

निंदा रस  – हरिशंकर परसाई- 2

(3)  ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निन्दा भी होती है। लेकिन इसमें वह मजा नहीं जो मिशनरी भाव से निन्दा करने में आता है। इस प्रकार का निन्दक बड़ा दुःखी होता है। ईर्ष्या द्वेष से चौबीसों घंटे जलता रहता है और निन्दा का जल छिड़ककर कुछ शान्ति अनुभव करता है। ऐसा निन्दक बड़ा दयनीय होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ित वह बेचारा दूसरे की सक्षमता के चाँद को देखकर सारी रात श्वान जैसा भौंकता है। ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निन्दा करनेवालों को कोई दण्ड देने की जरूरत नहीं है। वह बेचारा स्वयं दण्डित होता है। आप चैन से सोइए और वह जलन के कारण सो नहीं पाता। उसे और क्या दण्ड चाहिए? निरन्तर अच्छे काम करते जाने से उसका दण्ड भी सख्त होता जाता है। जैसे एक कवि ने एक अच्छी कविता लिखी, ईर्ष्याग्रस्त निन्दक को कष्ट होगा। अब अगर एक और अच्छी लिख दी तो उसका कष्ट दुगना हो जायेगा।

  1. उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

उत्तर-    उपर्युक्त।

  1. अक्षमता’ और ‘निरन्तर’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-    अक्षमता- क्षमता से रहित, निरन्तर- लगातार।

  1. दयनीय’ और ‘दण्डित’ शब्दों में क्रमशः प्रत्यय छाँटकर लिखिए।

उत्तर-    ‘दयनीय’- अनीय (प्रत्यय), दण्डित- इत (प्रत्यय)

  1. रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-     व्याख्या- निंदक दो प्रकार के होते हैं- प्रथम, जिनका स्वभाव ही निंदा करने का हो अर्थात् मिशनरी निंदक और दूसरे, ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निंदक। मिशनरी भाव से की गई निंदा बिना किसी भेद-भाव के धर्म प्रचार जैसे पुण्य कार्य की भावना से की जाती है। इस प्रकार की निंदा टॉनिक का कार्य करती है। ईर्ष्या भाव से प्रेरित होकर निंदा करने में वह आनंद नहीं आता जो मिशनरी भाव से प्रेरित होकर निंदा करने में आता है। ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निंदक अत्यधिक दुःखी एवं पीड़ित होता है। ईष्या-द्वेष से जलता हुआ व्यक्ति चौबीस घण्टे जलता है। वह निन्दा रूपी जल छिड़ककर शान्ति का अनुभव करता है तथा ऐसा निन्दक बहुत ही दयनीय होता है।

  1. निन्दा कितने प्रकार की होती है?

उत्तर-    निंदा दो प्रकार की होती है- प्रथम मिशनरियों द्वारा की गयी निंदा और दूसरी- ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निंदकों द्वारा की गयी निंदा।

  1. अपनी अक्षमता से पीड़ित निन्दक दूसरे की सक्षमता के चाँद को देखकर कैसा व्यवहार करता है?

उत्तर-    वह सारी रात श्वान जैसा भौंकता है।

  1. लेखक के अनुसार ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित होकर निन्दा करने वाले व्यक्ति किस प्रकार स्वयं को दण्डित करते हैं?

उत्तर-    ईर्ष्या-द्वेष से प्रभावित व्यक्ति को दण्ड की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि वह स्वयं ही अपनी प्रकृति के कारण दुःख प्राप्त करता है, ईर्ष्या की पीड़ा के कारण एक पल भी सुख से चैन की नींद सो नहीं पाता है।

  1. ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित निन्दक किस कारण सो नहीं पाता?

उत्तर-    ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित व्यक्ति कुत्ते की भाँति सो नहीं पाता और रातभर भौंकता रहता है क्योंकि दूसरे की सक्षमता उसे पसन्द नहीं है।

  1. ईर्ष्या-द्वेष से निन्दा करने वाले निन्दक की स्थिति कैसी होती है?

उत्तर-    ईर्ष्या-द्वेष से निंदा करने वाले निंदक की स्थिति श्वान जैसी होती है।

  1. मिशनरी भाव से निन्दा करने में क्या मिलता है?

उत्तर-    मिशनरी भाव से निन्दा करने से जैसे टानिक प्राप्त होती है।

  1. किस प्रकार के निन्दक को दण्ड देने की कोई जरूरत नहीं होती? कारण बताइए।

उत्तर-    मिशनरी निन्दक को दण्ड देने की कोई जरूरत नहीं होती। कारण यह कि ऐसा निन्दक बेचारा स्वयं दण्डित होता है।

(4)       निंदा कुछ लोगों की पूंजी होती है। बड़ा लम्बा-चौड़ा व्यापार फैलाते हैं वे इस पूंजी से। कई लोगों की प्रतिष्ठा ही दूसरों की कलंक-कथाओं के पारायण पर आधारित होती है। बड़े रस-विभोर होकर वे जिस-तिस की सत्य कल्पित कलंक-कथा सुनते हैं और स्वयं को पूर्ण संत समझने की तुष्टि का अनुभव करते हैं।

  1. उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

उत्तर-    उपर्युक्त।

  1. निन्दा किसकी पूँजी होती है?

उत्तर-    निंदा कुछ लोगों की पूँजी की तरह होती है।

  1. कुछ लोगों की प्रतिष्ठा का आधार क्या होता है?

उत्तर-    कुछ लोगों की प्रतिष्ठा का आधार दूसरों की निंदा होती हैं।

  1. ‘सत्य कल्पित कलंक’ कथा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-    ‘सत्य कल्पित कलंक कथा’ का अर्थ ‘सच्ची काल्पनिक कलंकपूर्ण’ घटना’ है। ऐसी कथा जिसकी केवल कल्पना की गई हो।

  1. रेखांकित अंश का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-    कुछ लोग निंदा को उसी प्रकार महत्त्व देते हैं, जैसे व्यापारी अपनी पूँजी को देता है। वे निंदा को पूँजी समझते हुए ही अपना व्यापार बढ़ाने में लगे रहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की अधिक से अधिक सर्वत्र निंदा करना ही उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य होता है। उनकी यह धारणा होती है कि वे जितनी अधिक निंदा करेंगे, उतना ही लाभ उनको प्राप्त होगा।

(5)       अद्भुत है मेरा यह मित्र। उसके पास दोषों का ‘केटलाग’ है। मैंने सोचा कि जब वह हर परिचित की निन्दा कर रहा है, तो क्यों न मैं लगे हाथ विरोधियों की गत, इसके हाथों करा लूँ। मैं अपने विरोधियों का नाम लेता गया और वह उन्हें निन्दा की तलवार से काटता चला। जैसे लकड़ी चीरने की आरा मशीन के नीचे मजदूर लकड़ी का लट्ठा खिसकाता जाता है और वह चीरता जाता है, वैसे ही मैंने विरोधियों के नाम एक-एक कर खिसकाये और वह उन्हें काटता गया। कैसा आनन्द था। दुश्मनों को रण-क्षेत्र में एक के बाद एक कटकर गिरते हुए देखकर योद्धा को ऐसा ही सुख होता होगा।

  1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

उत्तर-    उपर्युक्त।

  1. रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-    रेखांकित अंश की व्याख्या – लेखक का निन्दक मित्र बहुत ही अद्भुत और विचित्र है जिसके पास दोषों और बुराइयों का अच्छा-खासा सूची -पत्र है। उनके सम्मुख जिस किसी की भी चर्चा छिड़ जाती वह उसी की निन्दा में चार-छः वाक्य बोल दिया करता था। लेखक के मन में विचार आया कि क्यों न वह भी अपने कुछ एक परिचितों की जो उसके विरोधी हैं, की निन्दा उसके माध्यम से करवा ले।

  1. लेखक ने किसका उदाहरण आरा मशीन से दिया है?

उत्तर-    लेखक ने निन्दक का उदाहरण आरा मशीन से दिया है।

  1. लेखक ने अपने विरोधियों की गत किसके हाथों कराने का विचार किया?

उत्तर-    लेखक ने अपने विरोधियों की गत निन्दक मित्र के हाथों कराने का विचार किया।

  1. योद्धा को क्या देखकर निन्दक के जैसा ही सुख प्राप्त होता होगा?

उत्तर-    दुश्मनों को रण-क्षेत्र में एक के बाद एक कटकर गिरते हुए देखकर योद्धा को निन्दक जैसा ही सुख प्राप्त होता होगा।

  1. केटलाग’ का क्या अर्थ है?

उत्तर-    ‘केटलाग’ का अर्थ है -सूचीपत्र।

UP Board Class 12 Question Bank 2026 : Gyansindhu Pariksha Prahar General Hindi सामान्य हिंदी की क्वेश्चन बैंक 2026 

पिछले पेज पर जायें   || अगले पेज पर जायें

error: Content is protected !!