up board solution of class 9 Hindi chapter -2 jeevan parichay -Munshi Premchand class 9th hindi | मुंशी प्रेमचन्द- जीवन-परिचय एवं कृतियाँ Class 9 Hindi Jivan Parichay 

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Up Board Class 9th Hindi Munshi Premchand ka jivan Parichay (Biography of Munshi Premchand) कक्षा 9 हिंदी चैप्टर मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय एवं कृतियाँ|  Chapter -1, Jivan parichay   Munshi Premchand.

मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय एवं कृतियाँ

 

जीवन-परिचय – मुंशी प्रेमचन्द का जन्म वाराणसी जिले के लमही ग्राम में सन् 1880 ई० में हुआ था। इनके बचपन का नाम धनपतराय था। प्रेमचन्द जी पहले उर्दू में नवाबराय के नाम से कहानियाँ लिखते थे। बाद में जब हिन्दी में आये तो इन्होंने प्रेमचन्द नाम से कहानियाँ लिखनी शुरू कीं। इनका जन्म एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो गयी थी।

इनके पिता का नाम अजायब राय था । आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद भी इन्होंने बड़े ही परिश्रम से अपना अध्ययन क्रम जारी रखा। आरम्भ में कुछ वर्षों तक स्कूल की अध्यापकी करने के पश्चात् ये शिक्षा विभाग में डिप्टी इंसपेक्टर हो गये । असहयोग आन्दोलन से प्रेरित होकर इन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और आजीवन साहित्य-सेवा करते रहे । इन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। इनकी मृत्यु सन् 1936 ई० में हुई ।

कृतियाँ – jeevan parichay -Munshi Premchand

मुंशी प्रेमचन्द मुख्य रूप से कहानी और उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध हैं, परन्तु उन्होंने नाटक, निबन्ध और सम्पादन- कला को भी अपनी समर्थ लेखनी का विषय बनाया। इनकी रचनाओं का विवेचन निम्न प्रकार है

(क) उपन्यास – गोदान, सेवासदन, कर्मभूमि, रंगभूमि, गबन, प्रेमाश्रम, निर्मला, वरदान और कायाकल्प नामक श्रेष्ठ उपन्यास लिखे। इनके उपन्यासों में मानव-जीवन के विविध पक्षों और समस्याओं का यथार्थ चित्रण हुआ है।

(ख) कहानी-संग्रह – मुंशी प्रेमचन्द ने लगभग 300 कहानियाँ लिखीं। उनके कहानी संग्रहों में सप्तसुमन, नवनिधि, प्रेमपचीसी, प्रेम सदन, मानसरोवर (आठ भाग) प्रमुख हैं।  

(ग) नाटक – संग्राम, प्रेम की वेदी, कर्बला – इन नाटकों में राष्ट्र-प्रेम और विश्व बन्धुत्व का सन्देश दिया गया है

(घ) निबन्ध‘कुछ विचार’ और ‘साहित्य का उद्देश्य’ में मुंशी प्रेमचन्द जी के निबन्धों का संग्रह है।

(ङ) सम्पादनमाधुरी, मर्यादा, हंस, जागरण आदि

इनके अतिरिक्त इन्होंने ‘तलवार और त्याग’ जीवनी, बालोपयोगी साहित्य और कुछ अनूदित पुस्तकों द्वारा हिन्दी-साहित्य के भण्डार की अभिवृद्धि की है।

साहित्यिक परिचय – मुंशी प्रेमचन्द हिन्दी के युगांतरकारी कथाकार हैं। इनकी कहानियाँ समसामयिक आर्थिक परिस्थितियों – के किताबी दस्तावेज हैं जिनमें किसानों की दयनीय दशा, सामाजिक बन्धनों में तड़पती नारियों की वेदना, वर्णव्यवस्था का खोखलापन, हरिजनों की पीड़ा आदि का बड़ा ही मार्मिक चित्रण है। सामयिकता के साथ ही इनके साहित्य में स्थायित्व प्रदान करनेवाले तत्त्व विद्यमान हैं।

भाषा-शैली – मुंशी प्रेमचन्द प्रारम्भ में उर्दू में लिखा करते थे, अतः इनकी रचनाओं पर उर्दू की छाया स्पष्ट है। शैली अत्यन्त ही सरल, सुबोध तथा स्वाभाविक है, जिसमें मुहावरों और कविता के समावेश से और भी सजीवता आ गयी है। आवश्यकतानुसार भाषा में अंग्रेजी, अरबी, उर्दू, फारसी और पूर्वी के देशज शब्दों का प्रयोग हुआ है । 

प्रेमचन्द की शैली के रूप हैं. – (1) व्यावहारिक और (2) संस्कृतनिष्ठ शैली । व्यावहारिक शैली पर उर्दू की स्पष्ट छाप है। भाषा सरल और मुहावरेदार है।

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