UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter -3 – Raheem -Dohe पाठ -3 रहीम के दोहे (काव्य खंड) Rahim – प्रश्न -उत्तर Padyansh ke Prashn Uttar-gyansindhuclasses

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चैप्टर 3- रहीम के दोहे -पद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर

प्रश्न- 1. निम्नलिखित पद्याशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) जो रहीम उत्तम प्रकृति, का कर सकत कुसंग ।   

       चन्दन विष ब्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग ।।

प्रश्न- (i) प्रस्तुत दोहे के रचनाकार का नाम लिखिए।

उत्तर- (i) प्रस्तुत दोहे के रचनाकार रहीम जी हैं।

प्र.(ii) उत्तम प्रकृति वालों पर कुसंगति का क्या प्रभाव पड़ता है ?

उ.उत्तम प्रकृति वालों पर बुरी संगति में रहने पर भी उनके चरित्र में विकार उत्पन्न नहीं होता है।

प्र.(iii) चन्दन के वृक्ष पर विषैले सर्प लिपटे रहने पर क्या होता है

उ. चन्दन के वृक्ष पर विषैले सर्प लिपटे रहने पर भी   

 चन्दन अपनी शीतलता एवं सुगन्ध नहीं त्यागता है ।

 

(ख) टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार ।

       रहिमन फिर-फिर पोइए, टूटे मुक्ताहार ।।

प्रश्न- (i)’टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार’ का आशय स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- (i)रहीम का आशय है कि यदि सज्जन व्यक्ति नाराज हो जाये तो उन्हें शीघ्र मना लेना चाहिए। यदि वे सौ बार नाराज हो जायें तो उन्हें सौ बार मनाना चाहिए।

प्र.(ii) मोतियों का हार टूट जाने पर उन्हें बार-बार क्यों पिरोया जाता है ?

उ. मोतियाँ मूल्यवान होती हैं। इसीलिए मोतियों का हार टूट जाने पर बार-बार पिरोया जाता है।

प्र.(iii) प्रस्तुत दोहे में कौन-सा अलंकार है ?

उ. प्रस्तुत दोहे में दृष्टान्त और पुनरुक्ति अलंकार है ।

 

(ग) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति ।

      बिपति – कसौटी जे कसे, तेही साँचे मीत ।।

प्रश्न- (i) सच्चे मित्र कौन होते हैं ?

उत्तर- (i)सच्चा मित्र वही होता है, जो विपत्ति में साथ देता है।,

प्र.(ii) ‘बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उ. विपत्ति में जो साथ दे, वही सच्चा मित्र है ।

प्र.(iii) ‘बनत बहुत बहु रीति’ में कौन-सा अलंकार है ?

उ. ‘बनत बहुत बहुरीति’ में अनुप्रास अलंकार है ।

(घ) दीन सबन को लखत हैं, दीनहिं लख ने कोय । 

      जोरहीम दीनहिं लखै, दीनबन्धु सम होय ।।

 

प्रश्न- (i) जो लोग गरीबों को देखते हैं अर्थात् उनसे प्रेम करते हैं उन्हें रहीम जी ने क्या कहा है?

उत्तर- (i) जो लोग गरीबों से प्रेम करते हैं, उन्हें रहीम जी ने दीनबन्धु अर्थात् भगवान की संज्ञा दी है।

प्र.(ii) ‘दीन सबन को लखत हैं, दीनहिं लखै न कोय’ का आशय स्पष्ट कीजिए ।

उ. गरीब व्यक्ति तो सबको देखता है। सबका सहयोग करने का इच्छुक होता है किन्तु गरीब की ओर कोई भी व्यक्ति ध्यान नहीं देता।

प्र.(iii) प्रस्तुत दोहे के रचनाकार कौन हैं ?

उ. प्रस्तुत दोहे के रचनाकार रहीम जी हैं।

 

(ङ) प्रीतम छवि नैनन बसी, पर छबि कहाँ समाय । , 

      भरी सराय रहीम लखि, पथिक आप फिरि जाय ।।

प्रश्न- (i) प्रस्तुत दोहे के रचनाकार का नाम लिखिए।

उत्तर- (i) प्रस्तुत दोहे के रचनाकार रहीम जी हैं।

प्र.(ii) रहीम जी के नेत्रों में किस प्रकार का सौन्दर्य समाया हुआ है ?

उ. रहीम जी के नेत्रों में परमात्मा रूपी प्रियतम का सौन्दर्य समाया हुआ है।

प्र.(iii) प्रस्तुत दोहे में कौन-सा अलंकार है ?

उ. प्रस्तुत दोहे में दृष्टान्त अलंकार की अभिव्यक्ति हुई है।

 

(च) तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान । 

     कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहिं सुजान ॥ ।

प्रश्न- (i) सज्जनों की सम्पत्तियाँ किसके लिए होती हैं ?

उत्तर- (i)सज्जनों की सम्पत्तियाँ परोपकार के लिए होती हैं।

प्र.(ii) ‘संपति सँचहिं सुजान’ में कौन सा अलंकार है ?

(ii) ‘संपति सँचहिं सुजान’ में अनुप्रास अलंकार प्रयुक्त हुआ है।

प्र.(iii) प्रस्तुत दोहे में किसकी महत्ता पर प्रकाश डाला गया है ?

उ. प्रस्तुत दोहे में परोपकार की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है।

 

(छ)रहिमन ओछे नरन ते, तजौ बैर अरु प्रीति ।

     काटे – चाटे स्वान के, दुहूँ भाँति विपरीति ।।

प्रश्न- (i) रहीम के अनुसार किससे बैर एवं प्रीति करना हानिकारक है ?

उत्तर- (i) कवि ने ओछे स्वभाव वाले लोगों से बैर और प्रीति दोनों ही हानिकर बताया है।

प्र.(ii) कुत्ते के काटने और चाटने से क्या दोष होता है ?

उ. कुत्ते के काट लेने पर घाव की पीड़ा अथवा मृत्यु हो सकती है। उसके चाटने से शरीर अपवित्र हो जाता है।

प्र.(iii) उपर्युक्त दोहे में कौन-सा अलंकार है ?

उ. उपर्युक्त दोहे में अनुप्रास तथा दृष्टान्त अलंकार है ।

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