अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘ हरिऔध ‘ जीवन परिचय| Ayodhyasingh upadhyay hariaudh
Ayodhya singh upadhyay hariaudh jivan parichay: Up Board Class 12 Hindi SAhityik and samany -Hariaudh ji ka sahityik parichya. कक्षा 12 अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध का जीवन परिचय और साहित्यिक परिचय|
Board | बोर्ड | UP Board (UPMSP) |
Class | कक्षा | 12th (XII) |
Subject | विषय | Sahityik Hindi || साहित्यिक हिंदी कक्षा 12वी |
Topic | शीर्षक | अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘ हरिऔध ‘ जीवन परिचय |
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जीवन परिचय
हरिऔध जी का जन्म 15 अप्रैल सन 1865 में निजामाबाद ( आजमगढ ) में हुआ था । पिता का नाम भोलासिंह उपाध्याय माता का नाम रुक्मिणी देवी था । स्वाध्याय से इन्होने हिंदी अंग्रेजी फारसी संस्कृत आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर कर लिया । अध्यापक , कानूनगो , अवैतनिक शिक्षक के रूप में काम करते हुए एवं हिन्दी माता की सेवा करते हुई 6 मार्च सन् 1947 ई ० को पंचतत्व में लीन हो गए ।
सहित्यिक परिचय –
द्विवेदी युग के प्रमुख कवि हरिऔध जी ने गद्य और पद्य दोनों ही क्षेत्रों में हिंदी माता की सेवा की । हरिऔध जी ने सर्वप्रथम खड़ी बोली में काव्यरचना करके यह सिद्ध कर दिया कि उसमें भी ब्रजभाषा के समान खड़ी बोली की कविता में भी सरसता और मधुरता आ सकती है ।
इनमें एक श्रेष्ठ कवि के समस्त गुण विद्यमान थे । ‘ उनका प्रियप्रवास ‘ महाकाव्य अपनी काव्यगत विशेषताओं के कारण हिंदी महाकाव्यों में ‘ माइलस्टोन- ‘ माना जाता है । ‘ निराला ‘ के शब्दों में -‘इनकी यह एक सबसे बड़ी विशेषता है कि ये हिंदी के सार्वभौम कवि हैं । खड़ी बोली , उर्दू के मुहावरे , ब्रजभाषा , कठिनसरल सब प्रकार की कविता की रचना कर सकते हैं ।
कृतियाँ-
हरिऔध जी मूलतः कवि ही थे, उनके उल्लेखनीय ग्रंथ निम्नलिखित हैं काव्य ग्रंथ-
1. प्रिय प्रवास – मंगलाप्रसाद पुरस्कार प्राप्त हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है । खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है ।
2. कवि सम्राट
3.वैदेही वनवास
4.पारिजात
5.रसकलश
6. चुभते चौपदे ,
7.चौखे चौपदे
8.ठेठ हिंदी का ठाठ
9.अधखिला फूल
10 . रुक्मिणी परिणय
11 . हिंदी भाषा और साहित्य का विकास बाल साहित्य .बाल विभव, बाल विलास, फूल पत्ते, चन्द्र खिलौना , खेल तमाशा उपदेश कुसुम, बाल गीतावली, चाँद सितारे, पद्य- प्रसून ।