हास्य रस/Hasya ras ki Paribhasha udaharan
Hasya ras ki Paribhasha udaharan – – रस – परिभाषा, भेद और उदाहरण – हिन्दी व्याकरण, Ras in Hindi– Ras (रस)- रस क्या होते हैं? रस की परिभाषा . UP Board All Class Hindi रस. Gyansindhuuclasses are presented Here Ras Class 10th | Ras Hindi Grammar, Ras ki Paribhasha, Examples, Question Answer and Ras Hindi Grammar (रस), Ras Class 10 Explanation, Notes. हास जब विभाव , अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत हो , तो ‘ हास्य रस होता है ।
Hasya ras ki Paribhasha udaharan -हास्य रस
किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र ( असंगत ) आकार , अजीब ढंग की वेशभूषा , बातचीत , चेष्टायें अथवा ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है , उसे ‘ हास ‘ कहते हैं । यही हास जब विभाव , अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत हो , तो ‘ हास्य रस होता है ।
उदाहरण-
हँसि हँसि भाजै देखि दूलह दिगम्बर कौं , पाहुनी जो आवैं हिमाचल के उछाह में ।
कहे ‘ पद्माकर ‘ सु काहू सो कहैं सो कहाँ , जोइ जहाँ देखे सो हँसई तहाँ राह में ।
स्पष्टीकरण – इस पद्य में शिव के विवाह का वर्णन है ।
स्थायी भाव – हास ।
आलम्बन – हिमालय की अतिथि स्त्रियाँ ।
आलम्बन विभाव – शिव का विचित्र रूप ।
अनुभाव – हँसते – हँसते भागना , लोट – पोट होना आदि ।
व्यभिचारी भाव – हर्ष , औत्सुक्य आदि ।
विशेष – हास्य रस में आलम्बन ही उद्दीपन होता है , अलग से उद्दीपन नहीं रहता ।