up board class 10 syllabus 2022-23- Up Board solution of class 10 Hindi -खंडकाव्य ज्योति जवाहर (Jyoti Javahar) charitr chitran sarans kathavastu

up board class 10 syllabus 2022-23– Up Board solution of class 10 Hindi –खंडकाव्य ज्योति जवाहर (Jyoti Javahar) charitr chitran sarans kathavastu

up board class 10 syllabus 2022-23– Class 10 Hindi Chapter 2  ज्योति जवाहर (खण्डकाव्य)- श्री देवीप्रसाद शुक्ल ‘राही’ – जोति जवाहर -खंडकाव्य-सभी-सर्ग-10th, charitr chitran sarans kathavastu. मुक्ति-दूत खण्डकाव्य के आधार पर पात्रों का चरित्र-चित्रण कीजिए. ज्योति जवाहर खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग की कथा संक्षेप में लिखिए। UP Board Solution Class 10 Hindi Chapter Question Answer. joti jawahar. सर्गों का सरांश.

             ज्योति जवाहर

प्रश्न 1. देवी प्रसाद राही द्वारा लिखित ‘ज्योति जवाहर’ खण्डकाव्य की कथा का सार (सारांश) लिखिए।

(अथवा) ‘ज्योति जशहर की कथावस्तु (कथानक) संक्षेप में लिखिए।

(अथवा) ‘ज्योति जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर प्रमुख घटना का वर्णन कीजिए।

उत्तर- व्यक्तित्व का निर्माण इस काव्य के कथानक का आरम्भ नेहरू जी के अलौकिक व्यक्तित्व की स्वर्गीय झलक से होता है। की ज्योति, नन्द्रमा से सौन्दर्य, हिमालय से स्वाभिमान, सागर से गम्भीरता लेकर इस महान पुरुष के व्यक्तित्व का निर्माण हुआ है। कयों से उनके विशेष गुण लेकर विधाता ने अपना सम्पूर्ण रचना कौशल इस दिव्य व्यक्ति को सौंप दिया है। देश के किसी न किसी रूप में कुछ न कुछ नेहरू को दिया है। वास्तव में नेहरू जी राष्ट्र को एकताबद्ध करने वाली राष्ट्रीय एकता ये प्रतीक थे।

गुजरात की देन – सर्वप्रथम गुजरात की सर्वप्रथम गुजरात प्रदेश ने पूज्य बापू के रूप में इस दिव्य पुरुष के मस्तकं पर आशीर्वाद रूपी चन्दन बताया! जैसे गुरु वाशष्ठ ने राम को त्याग, तपस्या, क्षमा, करुणा आदि गुणों से विभूषित किया था उसी प्रकार गाँधी जी ने जवाहरलाल नेहरू में अहिंसा, सत्य तथा प्रेम आदि सभी गुण उत्पन्न किये। गाँधी पर भक्त नरसी मेहता, शामल तथा महर्षि दयानन्द आदि की विचारधारा का प्रभाव पड़ा और गाँधी जी का प्रभाव नेहरू जी पर पड़ा। इस प्रकार गुजरात प्रदेश के अनेक महापुरुषों के विचारों की देन नेहरू जी को प्राप्त हुईं।

महाराष्ट्र और राजस्थान की देन – महाराष्ट्र के शिवाजी, समर्थ गुरु रामदास, लोकमान्य तिलक, गोखले आदि के विशेष गुणों ने नेहरू के व्यक्तित्व में सहयोग दिया। राजस्थान के वीर पुरुषों ने उन्हें संघर्षों में जीने की कला और बाधाओं को निर्भयतापूर्वक कुचलने की शक्ति प्रदान की। मेवाड़ ने उन्हें अपना गौरव तथा राणा प्रताप ने आजादी की भावना प्रदान की । भामाशाह की देशभक्ति, पन्ना का पुत्र प्रेम और मीरा की वीणा की झंकार लेकर राजस्थान ने उसके चरण पखारे ।

दक्षिण भारत की देन – दक्षिण भारत के कवि कम्बन की रामायण, शंकराचार्य और रामानुजाचार्य की धरोहर भावनाओं को लेकर इस दिव्य पुरुष का निर्माण हुआ । अप्पर नाम का भारत का सर्वप्रथम सत्याग्रही दक्षिण भारत में हुआ। उस सन्त अप्पर के मन्त्र तथा सातवाहन सम्राटों के समय की सप्तशती आदि के द्वारा दक्षिण भारत ने किसी न किसी रूप में हमारे राष्ट्रनायक का निर्माण किया। एलीफेंटा और एलोरा की प्रतिमाओं ने बताया कि काल की चपेटों से मनुष्यों की रचनाएँ समाप्त नहीं होतीं । उज्जैन नगरी ने नृत्य दिया । तानसेन की वीणा ने स्वर दिया। अजन्ता की मूर्तियों ने लम्बी आयु का आशीर्वाद दिया।

बंगाल की देन — बंगाल के कृतिवास ‘रामायण’, कवि कंकड़, चण्डीदास तथा दौलत काजी आदि की साधना सम्पूर्ण देश में प्रसिद्ध है। जफर की गजलें, स्वामी विवेकानन्द तथा राजा राममोहन राय की भावनाएँ, बंकिमचन्द्र का वन्देमातरम् मन्त्र, सुभाष का यौवन, टैगोर और शरतचन्द्र की कला आदि के रूप में बंगाल ने राष्ट्रनायक के व्यक्तित्व के निर्माण में अपना सर्वस्व नि कर दिया।

असम की देन—असम में जहाँ ब्रह्मपुत्र बहती है जो कंकड़-पत्थरों, वनों तथा पर्वतों से युक्त झोंपड़ियों का प्रदेश है, जहाँ की सांस्कृतिक सम्पन्नता की निशानी असमिया भाषा है, जहाँ वैष्णव धर्म की स्थापना और पौराणिक तथा धार्मिक गीतों की रचना हुई, उस असम ने भी संगम के राजा के दर्शनों की इच्छा की और कहा-यहाँ की हरियाली, झरने, जंगल तथा हिरनी के बच्चे तेरा स्वागत करने के लिए तैयार हैं।

बिहार की देन – बिहार ने कहा- “मैं इस सत्य-अहिंसा क्षमा वाले गौतम के नन्दन का माली तुझे बनाता हूँ। पाटलिपुत्र समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त, अशोक आदि के विचार देकर राष्ट्रनायक के व्यक्तित्व के विकास में योगदान किया। पतंजलि का चिन्तन, ब्रह्मा का योग, नालन्दा का ज्ञान, वैदिक तथा बौद्धिक संस्कृतियों का साहित्य तथा अमर तत्व मिलाते हुए भवन की ओर चली और उसने अपनी जयमाला नेहरू जी के गले में डाल दी।”

उत्तर प्रदेश का प्रभाव — उत्तर प्रदेश तो राष्ट्रनायक को पाकर धन्य ही हो गया। तीर्थराज प्रयाग जहाँ नेहरू जी विचरे, धन्य हो गया। मथुरा, वृन्दावन और अयोध्या में चर्चा थी कि राम-कृष्ण नया रूप धारण करके प्रयाग में आ गये हैं। वे सुर, कबीर आदि मिथिला नगरी आनन्द कवियों की भावनाएँ लेकर आये बद्रीनाथ, केदारनाथ, हरिद्वार, मथुरा, काशी आदि तीर्थ अपनी पवित्रता तथा मेरठ और झाँसी आदि सन् सत्तावन की क्रान्ति के भावों को लेकर आये ।

पंजाब की देन – लाला लाजपत राय, भगत सिंह, पोरस, सिकन्दर, चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य आदि सभी महापुरुष राष्ट्रनायक ‘को आशीर्वाद देने आये इस प्रकार पंजाब ने भी राष्ट्रनायक के व्यक्तित्व के निर्माण में योगदान किया । कश्मीर की देन – फलों तथा प्राकृतिक दृश्यों के सौन्दर्य वाला कश्मीर सुख-शान्ति एवं सौन्दर्य बिखराता हुआ आया और उसने भारत से अलग न होने की प्रतिज्ञा की।

कुरुक्षेत्र का निवेदन – कुरुक्षेत्र ने दुर्योधन जैसे अत्याचारियों को समाप्त करने के लिए निवेदन किया। दिल्ली की देन – दिल्ली में उस समय चारों ओर कंगाली का राज्य था। इसलिए दिल्ली अकबर के नवरत्नों के दर्पण को लेकर आयी। दिल्ली ने जहाँगीर का न्याय और शाहजहाँ का ताजमहल नेहरूजी को भेंट किया। शाह जफर भी राष्ट्रनायक के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आये। स्नेह की भेंट लेकर यमुना संगम पर आये।

इस प्रकार सबने अपने-अपने मन की निधि राष्ट्रनायक के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए अर्पित की। जिसके पास कुछ देने को न था, उसने अपनी स्मृतियाँ दीं। सारे भारत ने राष्ट्रनायक नेहरू के जन्म को एक महान घटना माना और उसके व्यक्तित्व के निर्माण में सभी ने सक्रिय योगदान किया।

प्रश्न 2. ‘ज्योति जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर उसके नायक जवाहरलाल नेहरू का चरित्र चित्रण कीजिए।

(अथवा) ‘ज्योति जवाहर’ खण्डकाव्य का नायक कौन है? उसके चरित्र की प्रधान विशेषताएँ लिखिए।

(अथवा) ‘ज्योति जवाहर’ खण्डकाव्य के प्रधान पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए ।

(अथवा) ‘ज्योति जवाहर’ खण्डकाव्य के जिस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया हो, उसका चरित्रांकन कीजिए।

उत्तर- ‘ज्योति जवाहर’ काव्य के नायक हमारे राष्ट्रनायक पं० जवाहरलाल नेहरू हैं। वे स्वयं राष्ट्रीय एकता के प्रतीक . धीरोदात्त नायक के सभी गुणों से युक्त हैं। पं0 जवाहरलाल नेहरू के चरित्र में निम्नलिखितं विशेषताएँ पायी जाती हैं

युगावतार – कवि ने पं० जवाहरलाल नेहरू को युगावतार का रूप दिया है। उनके व्यक्तित्व में समस्त भारतीय महापुरुषों तथा सांस्कृतिक विशेषताओं का समन्वय पाया जाता है। उनमें गाँधी जी का सत्य, अहिंसा और प्रेम, चाणक्य की नीति चन्द्रगुप्त की वीरता विद्यमान है। शक्ति, शील और सौन्दर्य का समन्वित रूप, दया, क्षमा, समता, देशप्रेम, त्याग, विश्वबन्धुता एवं राष्ट्रीय भावात्मक एकता आदि सभी श्रेष्ठ गुणों की वे साक्षात समन्वित मूर्ति हैं। वे अपने युग के अवतार हैं। इसी कारण उनके जन्म लेने पर मथुरा वृन्दा तथा अवध प्रदेश में गली-गली में यह चर्चा होने लगी कि द्वापर और त्रेता के महाबली ने आज नवीन रूप में अवतार लिया है।

महान वीर – हमारे राष्ट्रनायक में वीरता का महान गुण है। उनमें अपार उत्साह है। बड़ी से बड़ी कठिनाई में भी वे घबराते नहीं बाधाओं और आपत्तियों का साहस के साथ सामना करते हुए आगे बढ़ते जाना ही उनकी सफलता का रहस्य है। वे बैरी के समक्ष कभी भी झुक नहीं सकते हैं-“मुझमें कोमलता है लेकिन कायरता मेरा धर्म नहीं। वैरी के सम्मुख झुक जाना, मेरे जीवन का धर्म नहीं।” वे अत्याचारी के चरणों में झुकने को हिंसा ही नहीं भारी हिंसा मानते हैं-“अत्याचारी के चरणों पर झुक जाना भारी हिंसा है। पापी का शीश कुचल देना, जो हिंसा नहीं अहिंसा है।”

भावात्मक एकता—पं० जवाहरलाल नेहरू में राष्ट्रीय भावात्मक एकता सुदृढ़ रूप में मौजूद है। भारत की सब भाषाएँ, सब धर्म, सब महापुरुष, सभी महत्त्वपूर्ण स्थान उन्हें प्रिय हैं। सब धर्म उनके लिए समान हैं। सम्पूर्ण राष्ट्र को उन्होंने एकता के सूत्र में बाँधने प्रयत्न किया है।

त्याग भावना – नेहरू जी का जीवन त्याग और बलिदान से पूर्ण है। उन्होंने अपना तन-मन-धन सब कुछ देश के लिए अर्पित कर दिया। जो देश का गया अथवा जिसने सारे देश को ही अपना समझ लिया, उसके व्यक्तिगत वैभव अथवा ऐश्वर्य का प्रश्न ही नहीं उठता।

अन्य विशेषताएँ – उपर्युक्त के अतिरिक्त नेहरू जी में अनेक दिव्य गुण पाये जाते हैं। उन्हें मानवता से प्रेम है। करुणा, आत्मविश्वास, स्वाभिमान, सत्य, अहिंसा, प्रेम आदि सभी गुण महात्मा गाँधी ने धरोहर के रूप में उन्हें सौंपे हैं।

प्रश्न 3. ‘ज्योति जवाहर’ खण्डकाव्य में व्यक्त राष्ट्रीय भावना पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- ‘ज्योति जवाहर’ खण्ड का कथानक राष्ट्रनायक जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तित्व पर आधारित है। कवि ने नेहरू जी के व्यक्तित्व को भावात्मक एकता का प्रतीक माना है। भारत के विभिन्न महापुरुषों के विचारों और भावनाओं को नेहरू जी के चरित्र में प्रस्तुत कर कवि ने राष्ट्र की एकता और अखण्डता को प्रतिष्ठापित किया है। नेहरू जी के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए ही कथानक का सारा ताना-बाना बुना गया है भावात्मक एकता की पुष्टि के लिए ही कवि ने भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा कश्मीर आदि प्रदेशों के गौरव का वर्णन किया है।

ये सभी राज्य भारत की महिमा को प्रकट करते हैं। कबीर, सुर और तुलसी, रामानुजाचार्य और शंकराचार्य, बुद्ध और गाँधी, महावीर और अप्पा आदि सभी सन्तों, महात्माओं तथा महापुरुषों के विचारों, भावनाओं और सिद्धान्तों को नेहरू के व्यक्तित्व में दिखाकर कवि ने उन्हें एकता एवं अखण्डता काप्रतीक बना दिया है।

प्रस्तुत खण्डकाव्य की भूमिका में कवि स्वयं इस विषय में कहता है “जो लोग पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण का प्रश्न उठाकर जाति, भाषा, सम्प्रदाय और रीति-रिवाजों की संकुचित मनोवृत्ति के आधार पर अलगाव और विघटन की बातें करते हैं, वे यह भूल जाते हैं कि भारतवर्ष की सांस्कृतिक एकता सदियों से अपनी अखण्डता का उद्घोष करती हुई समानताओं एवं विषमताओं की चट्टानों को तोड़ती हुई निरन्तर आगे बढ़ती जा रही है।”

तात्पर्य यह है कि प्रस्तुत खण्डकाव्य की कथावस्तु लौकिकता की आधार भूमि पर अवतरित अवश्य होती है किन्तु वह विविध राष्ट्रीय विशेषताओं की अपने में समेटती हुई चलती है जिनके कारण इस विशाल राष्ट्र में भौगोलिक स्थिति, जलवायु, रहन-सहन,आचार-विचार, भाषा तथा धार्मिक मान्यता की जो अनेक विभिन्नताएँ हैं, वे सब लोकनायक जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तित्व में समाहित हो जाती हैं।

इस प्रकार जवाहरलाल नेहरू का व्यक्तित्व राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता का प्रतीक बन कर पाठकों के हृदय में एक अखण्ड राष्ट्र का चित्र उपस्थित करता है। इस प्रकार ‘ज्योति जवाहर के कथानक में घटनाओं को कोई महत्व नहीं दिया गया है केवल राष्ट्रीय भावनाओं को उभारा गया है। वास्तव में इस खण्डकाव्य का कथानक घटना प्रधान न होकर भाव प्रधान है। यह राष्ट्रीय भावात्मक एकता मूलक खण्डकाव्य है।

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