UP Board Class 10 sanskrit Katha Natak Kaumudi- Chapter -5 पंचम: पाठ:  भोजस्य शल्यचिकित्सा Bhojasy Shalychikitsa

UP Board Class 10 sanskrit Katha Natak Kaumudi- Chapter –5 पंचम: पाठ:  भोजस्य शल्यचिकित्सा Bhojasy Shalychikitsaचरित्र चित्रण एवं प्रश्नोत्तर (बहुविकल्पीय प्रश्न- MCQs)

प्रिय विद्यार्थियों! यहाँ पर हम आपको कक्षा 10 यूपी बोर्ड संस्कृत कथा नाटक कौमुदी के chapter 5 पंचम: पाठ:  भोजस्य शल्यचिकित्सा Bhojasy Shalychikitsa  के सभी पत्रों के चरित्र चित्रण, लघु उत्तरीय संस्कृत में प्रश्न उत्तर तथा  बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर – MCQs  प्रदान कर रहे हैं। आशा है आपको अच्छा ज्ञान प्राप्त होगा और आप दूसरों को भी शेयर करेंगे।

Subject / विषयसंस्कृत (Sanskrit) कथा नाटक कौमुदी
Class / कक्षा10th
Chapter( Lesson) / पाठChpter -5
Topic / टॉपिकभोजस्य शल्यचिकित्सा
Chapter NameBhojasy Shalychikitsa
All Chapters/ सम्पूर्ण पाठ्यक्रमकम्पलीट संस्कृत बुक सलूशन

भोजस्य शल्यचिकित्सा’  राजा भोज का चरित्र-चित्रण

परिचय – राजा भोज धारा के राजा हैं। ‘भोजस्य शल्यचिकित्सा’ नामक पाठ के अनुसार इनके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं- विद्याविलासी एवं शास्त्रोद्धारक- राजा भोज विद्याप्रेमी हैं। वह स्वयं विद्वान् हैं और विद्वानों का आदर करनेवाले हैं। जिस समय देवराज इन्द्र भोज की अस्वस्थता का समाचार नारद से प्राप्त करते हैं तो वे अश्विनी- कुमारों से उनको चिकित्सा करने का आग्रह करते हुए कहते हैं कि तुम दोनों को इसी समय जाना चाहिए, नहीं तो भू-लोक में वैद्यकशास्त्र असिद्ध हो जायगा। विद्या-विलास का स्थान और शास्त्रों का उद्धारकर्ता नहीं रहेगा।

आयुर्वेद के प्रति विरक्ति- कपाल में मछली के प्रविष्ट हो जाने के कारण राजा भोज के सिर में अत्यधिक पीड़ा होती है। एक वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी जब किसी भी चिकित्सा से लाभ नहीं होता, तो वे अपने जीवन से निराश हो जाते हैं। उन्हें वैद्यकशास्त्र असत्य और व्यर्थ प्रतीत होने लगता है, उन्हें आयुर्वेद के प्रति विरक्ति हो जाती है और वे अपने मन्त्री बुद्धिसागर को आदेश देते हैं कि बाध्वटादिभेषज ग्रन्थों को नदी में फेंक दो और अब कोई भी वैद्य हमारे राज्य में न रहे।

अनुमान करने में चतुर – राजा भोज अनुमान करने में चतुर हैं। जब अश्विनीकुमार दो ब्राह्मणों का वेष बनाकर स्वयं को काशी का वैद्य बताकर इनकी चिकित्सा करते हैं, वे दोनों भोज को एकान्त में बेहोश करके इनके कपाल की हड्डी अलग कर देते हैं और उस कपाल में से मछली को एक पात्र में निकालकर रख लेते हैं। हड्डी को पुनः जोड़कर इन्हें सञ्जीवनी से जीवित कर देते हैं। तब इस चमत्कार को देखकर भोज जान जाते हैं कि ये भू-लोक के वैद्य न होकर देवलोक के वैद्य अश्विनीकुमार हैं। अपने अनुमान की पुष्टि करने के लिए वे उनसे पथ्य पूछते हैं। अश्विनीकुमार उन्हें पथ्य बताते समय मानुष शब्द का प्रयोग करते हैं जिससे उन्हें पूर्ण विश्वास हो जाता है कि ये देवलोक के वैद्य अश्विनीकुमार ही हैं। अत: वे उनका हाथ पकड़कर उनसे पूछते हैं किन्तु वे अन्तर्धान हो जाते हैं।

 विद्वत्ता का आदर करनेवाले – राजा भोज विद्वत्ता का आदर करनेवाले हैं। जब मानवों के लिए बताते हुए अश्विनीकुमार श्लोक के तीन ही चरण बता पाते हैं तब तक राजा भोज उनका हाथ पकड़ लेते हैं किन्तु वे दोनों अश्विनीकुमार यह कहते हुए लुप्त हो जाते हैं कि श्लोक का चतुर्थ चरण कालिदास पूरा करेंगे। कालिदास द्वारा श्लोक की पूर्ति किये जाने पर राजा भोज कालिदास का अत्यधिक सम्मान करते हैं।

अश्विनीकुमारों का चरित्र-चित्रण

अश्विनीकुमार सदैव युगल रूप में उपस्थित होते हैं तथा इनका प्रयोग द्विवचन में किया जाता है। ये देवता कुशल चिकित्सक तथा स्वर्ग के वैद्य हैं। शारीरिक व्याधियों को दूर करने, नवयौवन प्रदान करने और नये अंगों की रचना करने में वे समर्थ हैं। प्रस्तुत पाठ के आधार पर उनकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

स्वर्ग के देवता – अश्विनीकुमार स्वर्ग में निवास करते हैं। इन्द्र, अग्नि तथा सोम के बाद इनका स्वर्ग में सबसे अधिक महत्त्व है। अश्विनी देवता दो भाई हैं। इनको शहद से बहुत अधिक प्रेम है।

आयुर्वेद के ज्ञाता – अश्विनीकुमार आयुर्वेद के विशिष्ट ज्ञाता हैं। एक दिन नारद इन्द्रलोक पहुँचे, वहाँ उन्होंने कहा कि क्या आयुर्वेद गुणहीन हो गया है तब वहाँ उपस्थित अश्विनीकुमारों ने कहा कि आयुर्वेद तो गुणों से परिपूर्ण है।

कुशल चिकित्सक – अश्विनीकुमार आयुर्वेद के कुशल चिकित्सक हैं। इन्द्र का आदेश पाकर जब अश्विनीकुमारों ने राजा भोज के रोग का निरीक्षण किया तब उन्होंने राजा को एक चूर्ण से बेहोश कर दिया। कपाल को चीड़-फाड़कर उस मछली को बाहर निकाल दिया। राजा पूर्ण स्वस्थ हो गया । इस प्रकार स्पष्ट है कि अश्विनीकुमार स्वर्ग के देवता, कुशल चिकित्सक तथा आयुर्वेद के ज्ञाता हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर – MCQs

1. भोज:…………………. नृपः आसीत्।

(क) धारानगर्याः

(ख) मथुरानगर्याः

(ग) काशीनगर्याः

(घ) गयानगर्याः

2. भोजस्य चिकित्सा केन कविना कृता?

(क) अश्विनीकुमाराभ्यां

(ख) अतुल वैद्येन

(ग) चरकेन

(घ) सुश्श्रुतेन

3. भोजस्य कस्मिन् अङ्गे वेदना जाता?

(क) कपाले

(ख) उदरे

(ग) वक्षःस्थले

(घ) हृदये

4. बुद्धिसागरः भोजस्य आसीत्।

(क) मन्त्री

(ख) द्वारपालः

(ग) रक्षकः

(घ) मित्रं

5. भोजस्य चिकित्सकः…………… आसीत्।

(क) चरकः

(ख) अश्विनीकुमारः

(ग) धन्वन्तरिः

(घ) हरिहर:

6. भोजप्रबन्धस्य रचयिता…………… अस्ति।

(क) आर्यशूरः

(ख) बाणः

(ग) बल्लालसेनः

(घ) हर्ष:

7. अथ कदाचित् ……………..नगराद् बहिः निर्गतः।

(क) भोजो

(ख) श्री हर्षो

(ग) ज्ञानको

(घ) शिववीरः

8. ‘भोजस्य शल्यचिकित्सा’ शीर्षकः उद्धृतः ।

(क) भोजप्रबन्धग्रन्थात्

(ख) हितोपदेशात् ‘

(ग) महाभारतात्

(घ) रामायणात्

9. पूर्वजन्मनि सुपारगः आसीत् ।

(क) इन्द्रः

(ख) बोधिसत्त्वः

(ग) नृपः

(घ) अर्जुनः

उत्तर- 1. (क), 2. (क), 3. (क), 4. (क), 5. (ख), 6. (ग), 7. (क), 8. (क), 9. (ख )

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. : भोजः कः आसीत् ?

उत्तर : भोजः धारानगर्याः राजा आसीत्।

प्रश्न 2. : द्वारस्थोः भिषजौ किमाहुः?

उत्तर : भो विप्रौ ! कोऽपि भिषक्प्रवरः प्रवेष्टव्यः इति  राज्ञोक्तम्।

प्रश्न 3. : सः कुत्र अगच्छत्?

उत्तर : सः नगरात् बहिरगच्छत् ।

प्रश्न 4. : राजा बुद्धिसागरं किम् अकथयत् ?

उत्तर : राजा बुद्धिसागरम् अकथयत्-इतः परमस्मद् ! विषये न कोऽपि भिषग्वरो वसतिमातनोतु ।

प्रश्न 5. : मानुषां पथ्यं किमस्ति ?

उत्तर : अशीतेनाम्भसा स्नानम्, पयः पानम्, वरास्त्रियः एतद् मानुषापथ्यम् ।

प्रश्न 6. : भोजस्य चिकित्सा काभ्याम् कृता च कुतः तौ समागतौ?

उत्तर : भोजस्य चिकित्सा अश्विनीकुमाराभ्याम् कृता तौ च स्वर्गाद् समागतौ आस्ताम् ।

प्रश्न 7. : श्लोकस्य तुरीयचरणं केन पूरितम् ?

उत्तर : श्लोकस्य तुरीयचरणं कालिदासेन पूरितम् ।

प्रश्न 8. : राज्ञः कपाले वेदना किमर्थं जाता?

उत्तर : राज्ञः कपाले वेदना-शफरशाव स्थित्या जाता।

प्रश्न 9. : पुरन्दरः नारदम् किम् आह?

उत्तर : पुरन्दरः नारदम्-मुने ! इदानीं भूलोके का नाम वार्ता-इति आह।

प्रश्न 10. : भोजोस्य कस्मिन् स्थाने वेदना जाता?

उत्तर : भोजस्य कपाले वेदना जाता।

 

error: Content is protected !!