Bhartiya sanskriti gadyansh- कक्षा 10 भारतीय संस्कृति चैप्टर के प्रश्नोत्तर

Bhartiya sanskriti gadyansh- कक्षा 10 भारतीय संस्कृति चैप्टर के प्रश्नोत्तर

Bhartiya sanskriti gadyansh- कक्षा 10 भारतीय संस्कृति चैप्टर के प्रश्नोत्तर: यहाँ पर राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा रचित भारतीय संस्कृत पथ के गद्यांशो पर आधारित प्रश्नोत्तर दिए जा रहे है| UP Board Hindi Chapter-2  Bhartiya Sanskriti Gadyansh Adharit Prashn Uttar.

गद्यांश -1

1. आज हम इसी निर्मल . शुद्ध , शीतल और स्वस्थ अमृत की तलाश में है और हमारी इच्छा , अभिलाषा और प्रयत्न यह है कि वह इन सभी अलग – अलग बहती हुई नदियों में अभी भी उसी तरह बहता रहे और इनको वह अमर – तत्त्व देता रहे , जो जमाने के हजारों थपेड़ों को बरदाश्त करता हुआ भी आज हमारे अस्तित्व को कायम रखे हुए है और रखेगा ।

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) हमारे अस्तित्व को कौन क़ायम रखे हुए है ?

गद्यांश -2

2.  यह एक नैतिक और आध्यात्मिक स्रोत है , जो अनन्तकाल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण देश में बहता रहा है और कभी – कभी मूर्त रूप होकर हमारे सामने आता रहा है । यह हमारा सौभाग्य रहा है कि हमने ऐसे ही मूर्त रूप को अपने बीच चलते – फिरते , हँसते – रोते भी देखा है और जिसने अमरत्व की याद दिलाकर हमारी सूखी हड्डियों में नई मज्जा डाल हमारे मृतप्राय शरीर में नष्ट प्राण फूंके और मुरझाए हुए दिलों को फिर खिला दिया । वह अमरत्व सत्य और अहिंसा का है , जो केवल इसी देश के लिए नहीं , आज मानवमात्र के जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक हो गया है.

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) लेखक ने अमरत्व का स्रोत किसे बताया है ?
( घ ) गाँधीजी ने कौन – सा अमरत्व हमारी सूखी हड्डियों में डाला ?

गद्यांश -3

3.  हमारी सारी संस्कृति का मूलाधार इसी अहिंसा – तत्त्व पर स्थापित रहा है । जहाँ – जहाँ हमारे नैतिक सिद्धान्तों का वर्णन आया है , अहिंसा को ही उनमें मुख्य स्थान दिया गया है । अहिंसा का दूसरा नाम या दूसरा रूप त्याग है और हिंसा का दूसरा रूप या दूसरा नाम स्वार्थ है , जो प्रायः भोग के रूप में हमारे सामने आता है पर हमारी सभ्यता ने तो भोग भी त्याग ही से निकाला है और भोग भी त्याग में ही पाया है । श्रुति कहती है – ‘ तेन त्यक्तेन , भुञ्जीथाः । इसी के द्वारा हम व्यक्ति और व्यक्ति के बीच का विरोध , व्यक्ति और समाज के बीच का विरोध , समाज और समाज के बीच का विरोध , देश और देश के बीच के विरोध को मिटाना चाहते हैं । हमारी सारी नैतिक चेतना इसी तत्व से ओत – प्रोत है ।

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) गद्यांश के रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए
( ग ) हमारी सभ्यता की विशेषता क्या रही है ?
( घ ) हम किसके द्वारा व्यक्ति , समाज और देशों के बीच विरोध की भावना मिटाना चाहते हैं ?
अथवा पारस्परिक विरोध को कैसे मिटाया जा सकता है ?
( ङ ) स्वार्थ के क्या – क्या दुष्परिणाम होते हैं ?

गद्यांश -4

4.  दूसरी बात , जो इस सम्बन्ध में विचारणीय है , वह यह है कि संस्कृति अपना सामूहिक चेतना ही हमारे देश के प्राण हैं । इसी नैतिक चेतना के पांचो से हमारे मार और प्राम , हमारे प्रदेश और सम्प्रदाय , हमारे विभिन्न वर्ग और आलियों आपस में बंधी हुई है जहाँ उनमें सब तरह की विभिन्नता है . वहीं उन रूप में यह एकता है । इसी बात को ठीक तरह से पहचान लेने से बापू ने जनसाधारण को बुद्धिजीवियों के नेतृत्व में क्रान्ति करने और तत्पर रहने के लिए इसी मैतिक चेतना का सहारा लिया था अहिंसा , सेवा और त्याग की बातो से जनसाधारण का इदय इसीलिए आन्दोलित हो उठा , क्योंकि उन्हीं से तो वह शताब्धियों से प्रभावित और प्रेरित रहा ।

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) लेखक ने भारतीय संस्कृति की एकता और उसके बल का क्या महत्त्व बताया है ?
( घ ) क्रान्ति के लिए बापू ने किसका सहारा लिया था ?
( ङ) जनसाधारण किन बातों से आन्दोलित हो उठा ?

गद्यांश -5

5. आज विज्ञान मनुष्यों के हाथों में अद्भुत और अतुल शक्ति दे रहा है , उसका उपयोग एक व्यक्ति और समूह के उत्कर्ष और दूसरे व्यक्ति और समूह के गिराने में होता ही रहेगा इसलिए हमें उस भावना को जाग्रत रखना है और उसे जाग्रत रखने के लिए कुछ ऐसे साधनों को भी हाथ में रखना होगा , जो उस अहिंसात्मक त्याग – भावना को प्रोत्साहित करें और भोग – भावना को दबाए रखें । नैतिक अंकुश के बिना शक्ति मानव के लिए हितकर नहीं होती । वह नैतिक अंकुश यह चेतना या भावना ही दे सकती है । वही उस शक्ति को परिमित भी कर सकती है और उसके उपयोग को नियन्त्रित भी ।

( क ) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
( ख ) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
( ग ) उपरोक्त अवतरण में लेखक ने मानव को क्या सन्देश दिया है ?
( घ ) आज विज्ञान मनुष्य को क्या दे रहा है ?
( ङ ) विज्ञान की शक्ति के सन्तुलित उपयोग के लिए किस भावना को जाग्रत रखना आवश्यक है ?
अथवा विज्ञान के सम्बन्ध में लखक के क्या विचार है ? स्पष्ट कीजिए ।
अथवा आज विज्ञान मनुष्य के हाथ में कैसी शक्ति दे रहा है ?

इस गद्यांश के सभी प्रश्नों के उत्तर के लिए – 

उत्तरों का वीडियो देखें   

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